विश्वजीत राय
सफल समाचार कुशीनगर
भगवान ऐसी औलाद और परिवार किसी को न दे, जो अपने ही बाप के शव को लेने से मना कर दे।
कसया कुशीनगर बृद्धाश्रम में एक बाबा बसंत चौधरी जी रहते थे। परिवार के कारण ही बृद्धाश्रम में रहने को मजबूर हुए। जनपद कुशीनगर के ही एक ग्रामसभा के निवासी थे। विगत दिनों उनकी तबियत खराब हुई और संचालक विकास श्रीवास्तव जी के देख रेख में बाबा जिला अस्पताल से रेफर होने के बाद मेडिकल कॉलेज ICU में भर्ती हुए। लगभग 10 दिन तक वेंटिलेटर पर रहे और भर्ती के दौरान एक ही रट लगाए रहे की मेरे बेटे को बुला दीजिये अंतिम बार उसे देख लूं 😭 विकास जी ने बाबा के बेटे एवं परिजन को इसकी सूचना दी लेकिन कोई मिलने तक नही आया आखिरकार बाबा 10 दिनों तक जिंदगी की जंग लड़ते लड़ते और बेटे की राह देखते देखते मेडिकल कॉलेज में ही अंतिम सांस ले ली। फिर विकास जी ने परिजन को सूचना दिए कि बाबा जी अब इस दुनिया में नहीं रहे। तब भी बेटे और परिजन ने शव लेने और अंतिम संस्कार करने से मना कर दिए। 😭
यह घटना मन को अंदर से विचलित कर दे रही है कि समाज किस ओर जा रहा है? यह बहुत ही भयावह स्तिथि है। सच है कि संस्कारों को रौंद कर कभी भी सुंदर समाज की स्थापना नहीं हो सकती है।
इसीलिए पुत्र के लिए कहा गया है कि
पूत सपूत त का धन संचय,
अगर पूत कपूत त का धन संचय