आइए जानते है उपेंद्र राय उर्फ उपेंद्र बाबू जिसने अभी हाल ही पत्रकारिता सुरु किया लेकीन अचानक से होनी को कुछ और ही था

उत्तर प्रदेश

प्रवीण शाही 

सफल समाचार 

 

आज जनपद गोपालगंज स्मृति शेष -13 जुलाई 1993 की वो शाम आज भी नहीं भूलती, अभी पत्रकारिता की शुरुआत तो नहीं हुई थी. लेकिन पत्रकारों के साथ उठना, बैठना शुरू हो चुका था. राजनीति के धुरंधरों के बारे में जानकारी होने लगी थी. तब बिहार में “गुदरी के लाल” कहे जाने वाले लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री हुआ करते थे. गोपालगंज जिले के भोरे थाना क्षेत्र के अधीन आने वाला कोरेया गांव जिसे “कोरेया दरबार” के नाम से जाना जाता था और है. उसी परिवार के सदस्य थे. उपेंद्र राय उर्फ उपेंद्र बाबू. इलाके के जाने माने प्रभावशाली व्यक्ति. शायद उनका प्रभाव ही था कि लालू यादव मुख्यमंत्री रहते हुए भी उनसे मिलने आते थे. काम पड़ने पर कभी पटना के लिए बुलावा नहीं भेजा. बल्कि खुद मिलने आते थे. 13 जुलाई 1993 की शाम उपेंद्र बाबू फुटबॉल के मैदान में थे. उसी वक्त बम के धमाकों ने इलाके को सन्न कर दिया. धुंए का गुबार छंटा तो सबके चहेते, उपेंद्र बाबू सबको छोड़ कर चले गए थे. ये शायद उनका प्रभाव ही रहा कि उनके मरणोपरांत लालू यादव ने उनकी पत्नी किरण राय को टिकट दिया और वो विधायक बनीं. उनके पुत्र अमित कुमार राय उर्फ अंकू बाबू आज जिला परिषद उपाध्यक्ष हैं. उपेंद्र बाबू के बड़े भाई बच्चा बाबू थे. बाद दोनों भाइयों की कृति और नाम को अमर रखने के लिए “कोरेया दरबार” के लोगों ने एक फ़ुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन शुरू किया, जो अब बंद हो चुका है. लेकिन ये नाम आज भी अमर है.

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