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अकबरनगर को प्रचुर मुआवजे के साथ पुन स्थापित करें सरकार – मधु गर्ग
लखनऊ बचाओ संघर्ष समिति का राजनीतिक प्रस्ताव
शांतिपूर्ण आंदोलन पर दमन लोकतंत्र के लिए अशुभ
डूब के नाम पर उजाड़ कर वन लगाना अन्यायपूर्ण
लखनऊ।अकबरनगर के निवासियों की मुआवजा और पुन: स्थापित करने की मांग पर आज बसंत कुंज में आयोजित शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक उपवास सत्याग्रह आंदोलन पर प्रशासन द्वारा भारी पुलिस बल लगाकर रोक लगाने और अकबरनगर के नेता इमरान राजा को उनके आवास पर हाउस अरेस्ट करने की कड़ी निंदा करते हुए लखनऊ बचाओ संघर्ष समिति ने इसे लोकतंत्र के लिए अशुभ माना है।आज लिए अपने राजनीतिक प्रस्ताव में समिति ने सरकार से कहा है कि उसे संविधान में दिए गए अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का सम्मान करना चाहिए और लोगों को अपनी पीड़ा व्यक्त करने का अवसर मुहैया कराना चाहिए। समिति ने अबरार नगर, खुर्रम नगर, रहीम नगर आदि में भी पुलिस बल लगाने की निंदा करते हुए कहा कि सरकार और उनके अधिकारी जानते हैं कि उन्होंने गलत और तानाशाही पूर्ण निर्णय किया है। इसलिए वह जन आक्रोश से बेहद डरे हुए हैं।संघर्ष समिति ने इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त की है कि कुकरैल नाले के डूब क्षेत्र के नाम पर अकबरनगर निवासियों को बुलडोजर लगाकर तहस-नहस कर दिया गया। अब उसी स्थान पर सरकार सौमित्र शक्ति वन का निर्माण करने जा रही है और आज मुख्यमंत्री जी ने वहीं इसका उद्घाटन किया हैं।यह पूरी कार्यवाही अन्यायपूर्ण और मनमर्जी पूर्ण है। इसलिए सरकार से तत्काल अपनी गलती का एहसास करने और अकबरनगर निवासियों को मुआवजे के साथ उन्हें पुन: स्थापित करने का अनुरोध करती है।संघर्ष समिति का यह मानना है कि अब जब कुकरैल रिवर फ्रंट 35 मीटर रिवर बेड में ही बनाया जाएगा और 50 मीटर का फ्लड प्लेन जोन बनाने की कोई आवश्यकता नहीं है।तब स्पष्ट है कि सरकार द्वारा अकबरनगर को बुलडोज करने की कार्रवाई संविधान के अनुच्छेद 19 और अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। जिसमें यह कहा गया है कि भारत का हर निवासी कहीं भी निवास कर सकता है और उसके सम्मानपूर्ण जीवन की गारंटी, जिसमें आवास का भी अधिकार है, सरकार को करनी चाहिए। संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के सभी राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और गणमान्य नागरिकों का आवाहन करती है कि वह अकबरनगर निवासियों के पक्ष में मजबूती से खड़े हो और उनकी मांग को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाएं और इस सवाल को विधानसभा और लोकसभा में उठाएं।प्रस्ताव से सहमति व्यक्त करने वालों में लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रोफेसर रूपरेखा वर्मा, ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व आईजी एस. आर. दारापुरी, समाजवादी पार्टी की पूर्व मेयर प्रत्याशी वंदना मिश्रा, सीपीएम राज्य सचिव मंडल सदस्य मधु गर्ग, आईपीएफ के प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर, सीपीआई नेता चंद्रशेखर, भाकपा माले के राज्य समिति सदस्य रमेश सिंह सेंगर, जागरूक नागरिक मंच की कात्यायनी व सत्यम, ट्रांस गोमती संघर्ष समिति के संयोजक राकेश मणि पांडे और अध्यक्ष मोहम्मद सलीम, एपवा नेता मीना सिंह, समाजवादी पार्टी की पूर्व प्रदेश सचिव शर्मिला महाराज आदि रहे।