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अकबरनगर पर मुख्यमंत्री ने सदन को गुमराह किया
●जब 35 मीटर ही कुकरैल रिवर फ्रंट तो 500 मीटर दूर अकबरनगर क्यों तोड़ा ?
● कुकरैल नाला आज भी गंदगी से बज बजा रहा
● लखनऊ बचाओं संघर्ष समिति का राजनीतिक प्रस्ताव
लखनऊ।अकबर नगर को उजाड़े जाने के खिलाफ समाजवादी पार्टी द्वारा नियम 56 के तहत विधानसभा में पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सदन और प्रदेश की जनता को गुमराह करने का काम किया गया है। जिसकी तीखी निंदा लखनऊ बचाओं संघर्ष समिति करती है। समिति के राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया कि मुख्यमंत्री का यह कहना कि आज कुकरैल नदी स्वच्छ बह रही है। सच्चाई से परे है आज भी बहुतेरी जगहों से शहर की गंदगी कुकरैल नाले में गिर रही है। कोई भी व्यक्ति जाकर इस बात की तस्दीक कर सकता है कि नाला पूर्व की भांति ही गंदगी से बज बजा रहा।मुख्यमंत्री का यह कहना कि अकबरनगर में लोग 1984 से अवैध बसे हुए थे, जिन्हें हटा दिया गया सत्य से परे है। सच्चाई यह है कि अकबरनगर 1332 फसली यानी 1925 से ही आवासीय भूमि थी। जिसका पुराना नाम मेहनगर, रहीम नगर था। राज्यपाल अकबर अली के नाम पर इसका नाम अकबरनगर कर दिया गया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री और राज्यपाल कार्यालय एवं लखनऊ विकास प्राधिकरण के अकबरनगर के सम्बंध में तमाम पत्र 70 के दशक के मौजूद हैं। अकबरनगर के निवासी हाउस टैक्स, सीवर टैक्स, वॉटर टैक्स, बिजली के बिल का भुगतान करते रहे हैं। यहीं नहीं अकबरनगर में सांसद, विधायक से लेकर पूर्व सरकारों के प्रतिनिधियों ने विकास कार्य कराए थे। ऐसे में मुख्यमंत्री ने विधानसभा में गलत बयानी की है। समिति ने कहा कि जब सरकार ने खुद यह मान लिया की 35 मीटर में रिवर बेड में ही रिवर फ्रंट का निर्माण किया जाना है। तो उसने 500 मीटर अकबरनगर को क्यों तोड़ा ? इस मूल प्रश्न का जवाब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने नहीं दिया। ऐसे में अकबरनगर के सच को जनता के बीच में ले जाने के लिए अभियान चलाया जाएगा, यह फैसला भी अपने राजनीतिक प्रस्ताव में संघर्ष समिति ने लिया है। समिति ने पंतनगर, खुर्रम नगर, अबरार नगर, इंद्रप्रस्थ कॉलोनी, रहीम नगर और स्कॉर्पियो क्लब के संबंध में मुख्यमंत्री के बयान पर भी गहरा रोष व्यक्त करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के बयान के बाद इन बस्तियों में पुन: भय और अवसाद का वातावरण पैदा होगा और लोग सरकार की कार्रवाई के प्रति आशंकित होंगे।प्रस्ताव पर सहमति व्यक्त करने वालों में लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रोफेसर रूपरेखा वर्मा, सपा की मेयर प्रत्याशी रहीं वंदना मिश्रा, सीपीएम की राज्य सचिव मंडल सदस्य मधु गर्ग , वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता डाक्टर रमेश दीक्षित, ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर, कांग्रेस के शहर अध्यक्ष डॉक्टर शहजाद आलम, सीपीआई से कांक्ति मिश्रा, भाकपा माले के मधुसूदन मगन, जागरूक नागरिक मंच की कात्यायनी व सत्यम, अकबरनगर के नेता इमरान राजा, समाजवादी पार्टी के पूर्व सचिव शर्मिला महाराज, युवा मंच के शानतम, एपवा की मीना सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता नाईस हसन, ट्रांस गोमती निवासी संघर्ष समिति के संयोजक राकेश मणि पांडे, मोहम्मद सलीम, किसान सभा के प्रवीन सिंह, एडवोकेट कमलेश सिंह रहे।