अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मिथिला कलाकार पद्मश्री गोदावरी दत्त का निधन सुन भावुक हुए बिहार के कलाकार मधुरेंद्र, हरे पत्तों पर अनोखी तस्वीर बनाकर दी श्रद्धांजलि

उत्तर प्रदेश उत्तराखंड उधमसिंह नगर कुशीनगर गोरखपुर देवरिया प्रयागराज लखनऊ सोनभद्र

सफल समाचार

अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मिथिला कलाकार पद्मश्री गोदावरी दत्त का निधन सुन भावुक हुए बिहार के कलाकार मधुरेंद्र, हरे पत्तों पर अनोखी तस्वीर बनाकर दी श्रद्धांजलि

 

मोतीहारी: अंतरराष्ट्रीय पटल पर मधुबनी पेंटिंग को देश-विदेश में पहचान दिलाने में बड़ी भूमिका निभाने वाली 93 वर्षीय पद्मश्री गोदावरी दत्त का निधन से देशभर में शोक को लहर है। वही इस खबर की जानकारी सोशल मीडिया पर मिलते ही भारत के चर्चित अंतर्राष्ट्रीय रेत कलाकार (Sand Artist) मधुरेंद्र कुमार ने भी भावुक हो गए। देश के ऐसे महान कलाकार को अपनी अनूठी कलाकृति (leaf Art) बनाकर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि भी दिया है। मंगलवार को बिहार के चंपारण निवासी सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र ने अपनी 5 घंटों के कठीन मेहनत के बाद दुनियां के सबसे छोटी 5 सेमी. वाली पीपल के हरे पत्तों पर मिथिला पेंटिंग के गुरु कहे जाने वाले पद्मश्री गोदावरी दत्त की भावपूर्ण कलाकृति बनाकर अपनी गहरी शोक संवेदना प्रकट की हैं।

 

सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र ने पद्मश्री गोदावरी दत्त के बारे बताया कि उन्होंने मधुबनी पेंटिंग कला को फर्श और दीवारों से उठाकर देश और विदेशों में पहचान दिलाने बड़ी भूमिका निभाई हैं। इनकी पेंटिंग जापान के मिथिला म्यूजियम में भी प्रदर्शित की गई है। वह अक्सर कहती थीं कि आज मैं जो कुछ भी हूं, वह इस कला की बदौलत ही हूं। मधुबनी पेंटिंग कला का ही प्रभाव है, जिसने मुझे बिखरने से बचा लिया। काफी वृद्ध होने के बावजूद वह मधुबनी पेंटिंग बनाती रहीं।

 

बता दें कि पद्मश्री गोदावरी देवी दत्त ने लगभग 50 हजार से ज्यादा लोगों को मधुबनी पेंटिंग सिखाया था। उनकी कला से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी काफी प्रभावित हुई थीं। पद्मश्री गोदावरी देवी दत्त का जन्म 1930 में दरभंगा जिला के बहादुरपुर थाना क्षेत्र के भगवती स्थान में हुआ था। जब वह काफी छोटी थीं तो उनके पिता का निधन हो गया था। वह अपनी मां सुभद्रा देवी से मिथिला पेंटिंग सीखकर कला की शिक्षा ग्रहण की थी। उन्होंने अपने जीवन में काफी उतार-चढ़ाव देखे। मधुबनी के रांटी गांव में उपेन्द्र दत्त से उनकी शादी हुई। लेकिन कुछ साल बाद ही पति ने उनके सामने ही दूसरी शादी कर ली थी। इसके बाद वह अपनी एकलौती संतान के साथ अपना जीवन व्यतीत करती रहीं। 

 

गौरतलब हो कि सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र आए दिन खुशी का पल हो या दुःख का खबर सभी ज्वलंत मुद्दों पर अपनी अनोखी कलाकृति के माध्यम से कटाक्ष करने में माहिर हैं। इनकी कला समाज को एक सकारात्मक संदेश भी देता है।

 

मौके पर पद्मश्री प्रो श्याम शर्मा, ललितकला एकेडमी के अध्यक्ष आनंदी प्रसाद बदल, प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ अशोक कुमार सिन्हा, बिहार कला मंच के वरिष्ठ कलाकार मनोज बच्चन, वीरेंद्र सिंह, जितेंद्र मोहन, दिनेश कुमार, संन्यासी रेड, नरेंद्र कुमार, आदित्य कुमार, राजकुमार समेत सैकड़ो कलाकारों ने भी पद्मश्री पुरस्कार सम्मानित गोदावरी दत्त की निधन पर अपनी संवेदना व्यक्त करते शोक प्रकट की।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *