सफल समाचार गणेश कुमार
आईआईटी जैसे प्रतिष्ठान के छात्रों को भी नहीं मिल रही नौकरी- राजेश सचान
सोंभभद्र।देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठित संस्थानों में शुमार आईआईटी मुंबई में इस वर्ष कैंपस इंटरव्यू में 25 फीसद छात्रों को नौकरी नहीं मिली। वहीं न्यूनतम सालाना पैकेज महज 4 लाख रुपए रहा। मुंबई आईआईटी की यह रिपोर्ट पिछले दिनों से चर्चा का विषय है। गत वर्ष भी देश भर में 38 फीसदी आईआईटी छात्रों को कैंपस इंटरव्यू में नौकरी नहीं मिली थी। देश में प्रति वर्ष डिग्री हासिल करने वाले 15 लाख इंजीनियरिंग ग्रेजुएट में से 50 फीसदी युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही है। आईटी सेक्टर में संकट को इसकी मुख्य वजह माना जा रहा है। वैसे तो आईटी सेक्टर में कई वर्षों से लगातार छंटनी हो रही है।लेकिन 2024 में जनवरी से अगस्त तक रिकॉर्ड एक लाख 35 हजार से ज्यादा लोग अपनी नौकरी गंवा चुके हैं।देश में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पहले से ही संकटग्रस्त है।एमएसएमई ईकाइयां भी गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही हैं, इनके पुनर्जीवन के सरकारी उपाय नाकामी साबित हुए हैं।कहने का मतलब है कि देश गहरे आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है, लेकिन केंद्र सरकार अपनी नीतियों में बदलाव करने के लिए कतई तैयार नहीं है।देश में अनुमानित एक करोड़ पद खाली हैं उन्हें भी भरने का कोई गंभीर प्रयास नहीं दिखता है।जब इतने बड़े पैमाने पर इंजीनियरिंग ग्रेजुएट बेरोज़गार हैं। डिप्लोमा व आईटीआई प्रशिक्षण प्राप्त युवा तो करोड़ों की संख्या में बेरोज़गार हैं और जो काम भी कर रहे हैं उसमें बहुतायत युवा बेहद कम वेतन पर काम करने के लिए विवश हैं।जब पहले से ही स्तरीय प्रशिक्षण प्राप्त युवा करोड़ों की संख्या में बेरोज़गार हैं तब एक साल के इंटर्नशिप देकर इन युवाओं को कैसे रोजगार मिलेगा, इसका कोई जवाब सरकार के पास नहीं है। वैसे बजट 2024 में एक करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप का लक्ष्य रखा गया है लेकिन बजट आवंटन महज 2 हजार करोड़ रुपए है।कुल मिलाकर बेरोज़गारी की समस्या बेहद चिंताजनक है।सीएमआईई के हाल में जारी आंकड़ों में रिकॉर्ड 9 फीसद से ज्यादा बेरोज़गारी की दर है।यह तब है जब कि यूनिवर्सिटी कालेज के करोड़ों छात्रों समेत अन्य करोड़ों बेरोजगारों को शामिल ही नहीं किया जाता है। क्योंकि उन्हें लेबर फोर्स में शामिल नहीं किया गया है। इसके अलावा प्रच्छन्न बेरोज़गारी, अल्प रोजगार और न्यूनतम मजदूरी से भी कम दरों पर काम करने वाले करोड़ों शिक्षित व उच्च शिक्षित युवा/युवतियों की आर्थिक हालत का आंकलन किया जाए तो देश में बेरोज़गारी की भयावह स्थिति की सही तस्वीर सामने आयेगी। जैसा कि कारपोरेट्स समर्थक पैरोकार मानते हैं कि बेरोज़गारी की समस्या का समाधान संभव नहीं है। यह पूरी तरह से गलत है। देश में संसाधनों की भी कतई कमी नहीं है। लेकिन बड़े पूंजी घरानों ने अकूत मुनाफा कमा कर बेतहाशा संपत्ति अर्जित की है। कौन नहीं जानता कि इस संपत्ति को इनके द्वारा कैसे अर्जित किया गया है। सवाल है कि सरकार के खजाने में अधिकांश हिस्सा आम लोगों के प्रत्यक्ष व परोक्ष टैक्स से ही आता है ऐसे में इन अरबपतियों की संपत्ति व उत्तराधिकार कर क्यों नहीं लगाया जाता। जबकि इनके ऊपर 2 फीसद संपत्ति कर और इसी तरह इस्टेट ड्यूटी जैसे अन्य में समुचित टैक्स ही रोजगार सृजन, शिक्षा स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और हर व्यक्ति की सम्मानजनक जिंदगी जैसे सवालों को हल करने के लिए पर्याप्त है। युवा मंच अन्य सहयोगी संगठनों से मिलकर रोजगार अधिकार अभियान में इन सवालों पर बड़े पैमाने पर छात्रों, आम नागरिकों और नागरिक समाज समेत समाज के सभी तबकों से संवाद किया जा रहा है। आप सभी से निवेदन है कि इस अभियान से जुड़े। वाट्सएप नंबर 7905645778 पर मैसेज भेज कर इस मुहिम से जुड़ सकते हैं और यह आग्रह है कि इस अभियान को कैसे आगे बढ़ाया जाए इस संबंध में सुझाव भी भेजें।