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10 नवम्बर को रोजगार अधिकार अभियान की दिल्ली में बैठक
• देश में रोजगार का संकट गहरा, आईआईटी जैसे संस्थानों में भी नहीं हो रहा प्लेसमेंट
• बीबीडी यूनिवर्सिटी में चला रोजगार अधिकार अभियान
लखनऊ, 26 सितंबर 2024।देश में आजादी के बाद आज सबसे ज्यादा रोजगार का संकट मौजूद है। श्रम शक्ति का इतना बड़ा विनाश इससे पहले इतना ज्यादा कभी नहीं हुआ है। आईआईटी जैसे प्रसिद्ध संस्थाओं से भी पढ़े नौजवानों का प्लेसमेंट नहीं हो पा रहा है। इस साल आईआईटी में पढ़े 38% नौजवानों को नौकरी नहीं मिल सकी है। चपरासी, सफाई कर्मचारी के पदों यहां तक कि आउटसोर्सिंग व संविदा कार्य में बड़ी संख्या में उच्च शिक्षा प्राप्त नौजवान आवेदन कर रहे हैं। मोदी सरकार द्वारा 10 साल पहले मिशन मोड में केंद्र सरकार के खाली 10 लाख पदों को मिशन मोड में भरने की घोषणा आज तक लागू नहीं हो सकी है। उलटे केंद्र सरकार ने रेलवे, बैंक, बीमा, डाक जैसे सार्वजनिक क्षेत्रों में लाखों पदों को खत्म कर दिया।उत्तर प्रदेश सरकार भी पिछले 3 सालों से यही कह रही है कि जितने खाली पद है उन पर तत्काल भर्ती होगी जबकि सच्चाई यह है कि अभी तक वह भर्ती शुरू तक नहीं हो सकी। देश में सरकारी विभागों मे करीब एक करोड़ पर खाली है जिन पर तत्काल भर्ती की जरूरत है। यह बातें आज रोजगार अधिकार अभियान में बाबू बनारसी दास यूनिवर्सिटी में छात्रों से संवाद में उभर कर आई। संवाद में छात्रों से 10 नवम्बर को दिल्ली में आयोजित रोजगार अधिकार अभियान की बैठक में शामिल होने की अपील की गई।युवा नेताओं ने छात्रों से कहा कि रोजगार का सवाल हल किया जा सकता है बशर्ते नीतियों में बदलाव हो। देश में संसाधनों की कोई कमी नहीं है यदि सुपर रिच की संपत्ति पर टैक्स लगाया जाए तो हर नागरिक के रोजगार के साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम आदि सामाजिक सुरक्षा का लाभ दिया जा सकता है। वक्ताओं ने कहा कि शिक्षा के लगातार निजीकरण के चलते बड़े पैमाने पर नौजवानों को शिक्षा से वंचित होना पड़ रहा है। सरकारी यूनिवर्सिटीज और डिग्री कॉलेज में भी सेल्फ फाइनेंस के नाम पर जो कोर्स चलाए जा रहे हैं उनकी फीस बहुत ज्यादा है और बच्चे उसमें पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं।अभियान मे एसएफआई के अब्दुल वहाब, युवा मंच के जैनुल आबदीन, भगत सिंह स्टूडेंट मोर्चा की आकांक्षा आजाद, डीवाईएफआई के दीप डे आदि लोगों ने हिस्सा लिया।