विश्व पर्यटन दिवस पर संग्रहालयो में बंद रहे ताले – दीपक कुमार केसरवानी

उत्तर प्रदेश सोनभद्र

सफल समाचार गणेश कुमार 

विश्व पर्यटन दिवस पर संग्रहालयो में बंद रहे ताले – दीपक कुमार केसरवानी

– विश्व पर्यटन दिवस पर पर्यटकों को हुई मायूसी।

– मऊ एवं शिवद्वार के संग्रहालय में बंद रहे ताले। 

– मूर्तियों के चोरी चले जाने का बना हुआ है खतरा।

– संग्रहालय को मरम्मत की दरकार

– पुरातत्व विभाग मौन। 

 

सोनभद्र।चार राज्यों से घिरा भारत का एकमात्र अनूठा सोनभद्र जनपद के घोरावल तहसील के अंतर्गत शिवद्वार एवं रॉबर्ट्सगंज ब्लॉक के मऊ गांव में उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व विभाग लखनऊ द्वारा निर्मित स्थलीय संग्रहालय मे वर्षों से ताला लटक रहा है, मरम्मत के अभाव में यह दोनों संग्रहालय क्षतिग्रस्त हो चुका हैं,इस संग्रहालय में संग्रहित प्राचीन, कलात्मक, वेशकीमती मूर्तियो, ऐतिहासिक अवशेषों पर खतरे के बदले मडरा रहे हैं।इतिहासकार दीपक कुमार केसरवानी के अनुसार- भूरातात्विक, पुरातात्विक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, प्राकृतिक, स्थलों के संरक्षण, संवर्धन, पर्यटन विकास के क्षेत्र में कार्यरत विंध्य संस्कृति शोध समिति उत्तर प्रदेश ट्रस्ट द्वारा राज्य पुरातत्व विभाग का ध्यान सोनभद्र स्थित शिवद्वार, मऊ संग्रहालय की बदहाली, अव्यवस्था,असुरक्षा की ओर आकृष्ट कराने के बावजूद अब तक इसकी मरम्मत, सुरक्षा व्यवस्था का मुकम्मल इंतजाम नहीं हो पाया है । सोनभद्र जनपद में लगातार भारी बरसात के कारण संग्रहालय लगातार क्षतिग्रस्त होता चला जा रहा है।विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर संग्रहालय अवलोकन हेतु यहां पर आए शोध छात्र-छात्राएं, पर्यटकों को खंडहर संग्रहालय बंद तालों को देखकर मायूसी हुई।विंध्य संस्कृति शोध समिति उत्तर प्रदेश ट्रस्ट के प्रयासों के परिणाम स्वरूप ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने, सोनभद्र की संस्कृति, साहित्य, कला से पर्यटकों को परिचित करने के उद्देश्य से शिवद्वार एवं मऊ में स्थलीय संग्रहालय की स्थापना के साथ-साथ प्रकृति के सहारे बिखरे तमाम ऐतिहासिक अवशेषों को पुरातत्व विभाग द्वारा संग्रहालय में संग्रहित किया गया। लेकिन कुछ वर्षों बाद ही इन संग्रहालयो मे ताला बंद हो गया।स्थानीय नागरिको उत्तर प्रदेश शासन से यह मांग किया कि जनपद के घोरावल एवं रॉबर्ट्सगंज तहसील के अंतर्गत शिवदार एवं मऊ गांव में निर्मित संग्रहालय को उचित संरक्षण, सुरक्षा, संवर्धन एवं विकास की व्यवस्था सरकार द्वारा कराई जाय ताकि इनमें संग्रहित ऐतिहासिक धरोहरों की सुरक्षा हो सके और संग्रहालय स्थापना का उद्देश्य पूरा हो सके।

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