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बीएचयू में छात्रों का निलंबन लोकतंत्र का हनन
• राष्ट्रपति तत्काल हस्तक्षेप करें और आंदोलनकारी छात्र नेताओं पर लगे मुकदमे और निलंबन की वापसी कराए
लखनऊ, 4 अक्टूबर 2024। बीएचयू में आइसा, एनएसयूआई, भगत सिंह स्टूडेंट मोर्चा और दिशा छात्र संगठन के तेरह छात्र-छात्राओं को निलंबित किए जाने की छात्र युवा संगठनों ने कड़ी निंदा की है और इसे लोकतंत्र का हनन बताया है। एक वर्ष पूर्व बीएचयू आईआईटी की छात्रा के साथ भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए तीन छात्रों द्वारा किए गए गैंगरेप के विरुद्ध आंदोलन करने वाले छात्रों आइसा से चंदा यादव, रोशन सिंह, अनुरति भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा से इप्शिता,आकांक्षा आज़ाद, सिद्धि बिस्मिल, अनुपम कुमार, आदर्श कुमार, उमेश, अमन, एनएसयूआई से राजीव नयन, सुमन आनंद, दिशा से अमित पाठक के निलंबन की दमनकारी कार्यवाही कतई स्वीकार नहीं है।छात्र युवा संगठनों ने अपने प्रेस बयान में कहा कि पूरे देश ने देखा है कि कैसे भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने गैंगरेप के आरोपियों को महीनों तक संरक्षण देने का काम किया। यहां तक कि वह मध्य प्रदेश के चुनाव में खुले आम भाजपा का चुनाव प्रचार करते रहे। देशभर की लोकतांत्रिक ताकतों, राजनीतिक दलों और छात्र युवा संगठनों के आंदोलन का परिणाम रहा कि उन्हें गिरफ्तार किया गया। दुखद यह है कि सरकार की लचर पैरवी के कारण कोर्ट से उनको जमानत मिल गई।छात्र युवा संगठनों ने कहा कि एक तरफ बलात्कारियों का संरक्षण और दूसरी तरफ इस सवाल पर आवाज उठाने वाले छात्र नेताओं पर मुकदमा, उनका निलंबन भाजपा के चाल, चरित्र, चेहरे को उजागर करता है। इसलिए देश की राष्ट्रपति को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए और गैंगरेप के खिलाफ लड़ने वाले छात्र-छात्राओं के निलंबन को तत्काल रद्द करने के लिए बीएचयू प्रशासन को कहना चाहिए। साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार को छात्रों के ऊपर लगे मुकदमों की वापसी के संबंध में कार्रवाई करने के लिए निर्देशित करना चाहिए।एसएफआई के अब्दुल वहाब, युवा मंच के रविन्द्र यादव व जैनुल आबदीन, डीवाईएफआई के दीप डे, बापसा के शुभम, भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा की आकांक्षा आजाद ने इस बयान को प्रेस के लिए जारी किया।