प्रवीण शाही
सफल समाचार कुशीनगर
वाह रे पुलिस
न्याय पाने के लिए लड़ रहे निर्दोष रंजीत पर लगा दिया गैंगेस्टर
उपर वाले की लाठी से तो डरो साहब,कब तक निर्दोषों को बलि का बकरा बनाते रहोगे
एक ऐसे निर्दोष पर गैंगेस्टर की कार्रवाई हुआ हैं जिसने वह अपराध किया ही नहीं
यह मामला किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं हैं मामला तमकुहीराज थाने से जुड़ा हैं।2023 के अगस्त महीने में पिकप संख्या UP57AT/9594 पर दो तस्करों को गिरफ्तार कर उनके उपर गोबध का मुकदमा लिखा जाता हैं।विवेचना के दौरान गाड़ी मालिक रंजीत सिँह पुत्र हरिनाथ सिंह निवासी जौरा मनराखन को पकड़कर गोबध के धारा में जेल भेज दिया जाता हैं वह चीख चीख के कहते रहे कि उनकी गाड़ी को किस्त फेल होने के वजह से फाइनेंसर ने खिंच लिया था जब गाड़ी उनके पास थी ही नहीं तो वह उस पर गाय कैसे लादेंगे लेकिन पुलिस के लोगो ने उनकी एक न सुनी और फाइनेंस कम्पनी के उस जिम्मेदार को जिसने गाड़ी खिंचा था और उसे किसी और के हाथो में सुपुर्द कर दिया था उसे अभयदान देते हुए निर्दोष रंजीत को जेल भेज दिया। पुलिस अगर रंजीत के बातो को संज्ञान में लेकर जाँच की होती तो यह जरूर पता चल गया होता कि फाइनेंस कम्पनी के यार्ड में किस्त के देयता के अभाव में खिंच कर ख़डी की गयी पिकप को किस कर्मचारी ने किस ब्यक्ति को क्यों दिया था /बेंचा था, लेकिन नहीं पुलिस के लोगो को फाइनेंस कम्पनी वालो ने मैनेज कर लिया लिहाजा सारा आरोप निर्दोष रंजीत पर चला गया और उसे जबरिया गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया उसे यह पता था कि उसकी गाड़ी फाइनेंसर के यार्ड में हैं जबकि कम्पनी वाले उसे किसी और को सौंप दिए थे जिस पर गो तस्करी का धंधा चल रहा था।
जेल से लौट कर आने के बाद की कहानी गौर करने लायक हैं
गोबध के मुकदमे में जेल काटकर जमानत पर बाहर आये रंजीत सिंह ने सोचा कि जब निर्दोष होते हुए भी वह जेल चले गए तो चलो थाने में बंद पिकप को रिलीज करवा लें। रंजीत ने पिकप छुड़वाने के लिए न्यायालय में रिलीज आर्डर के लिए प्रत्यावेदन किया जिसके तहत उनके पक्ष में जिला जज ने पिकप का रिलीज आर्डर जारी कर दिया। पांच जनवरी 2024 को रिलीज आर्डर लेकर रंजीत सिंह तमकुहीराज थाने में पहुंचे तो उन्हें थाने से बताया गया कि आपके द्वारा तो बीते छः दिसम्बर 2023 को ही पिकप रिलीज कराकर थाने से लें जाया जा चूका हैं और दुबारा चले आये हैं गाड़ी रिलीज कराने। थाने पर तैनात पुलिसकर्मियों की यह बात सुन रंजीत के पैरों तले जमीन खिसक गया कि आखिर दूसरा रंजीत कौन हैं जो थाने से मेरे नाम पर गाड़ी लेकर चला गया हैं। दूसरे के द्वारा कारित अपराध के मामले में साजिशन जेल भेजे गए रंजीत की मुश्किले कम होने का नाम नहीं लें रही थी लिहाजा रंजीत ने कोर्ट का शरण लिया तो पुलिस वालो ने अपना गर्दन फंसता देख आनन फानन में नकली रंजीत बनकर गाड़ी रिलीज कराये ब्यक्ति के उपर अपराध संख्या 18/24 धारा 419,420,467,468,471 आईपीसी के तहत न सिर्फ मुकदमा किया बल्कि गाड़ी बरामद कर थाने भी लें आये और रंजीत के पास फोन करने लगे कि आओ अपनी गाड़ी लें जाओ लेकिन न्याय पाने और असली दोषी को सजा दिलाने के प्रयास में लगे रंजीत ने कोर्ट के माध्यम से गाड़ी लेने की बात कही और गाड़ी थाने में ही पड़ी रही।
पुलिस के मिलीभगत के प्रमाण के बावजूद भी रंजीत को नहीं मिला न्याय
रंजीत के इस पुरे प्रकरण में तमकुहीराज पुलिस की दोषियों से मिलीभगत रही तभी तो वह निर्दोष होने का दावा करता रहा लेकिन पुलिस उसके बिरुद्ध कार्य करती चली गयी। जेल भेजने की बात हो सकता हैं पुलिस ने अनजाने में कर दिखाया हो लेकिन जब पुलिस ने खुद रंजीत को गिरफ्तार कर थाने से जेल भेजा था और उसे अच्छे से देखा भाला था फिर उसके जगह पर कोई दूसरा रंजीत बनकर कैसे थाने आ जाता हैं और उसे गाड़ी रिलीज कर दिया जाता हैं। बहरहाल यह भी मान लिया जाये कि फर्जी रंजीत ने पुलिस को चकमा देकर गाड़ी अपने पक्ष में रिलीज करा लिया था तो फिर फर्जी रंजीत के नाम पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करने के बाद पुलिस को पिकप कहा मिल गयी आखिर किसके निशांदेही पर किसके वहां से पिकप बरामद किया गया था ऐसा तो होगा नहीं कि पिकप कही सड़क पर लावारिस हालत में ख़डी हो और पुलिस को सपना आ गया हो कि पिकप फला जगह सड़क के किनारे ख़डी हैं जाकर लें आओ। जब पिकप को पुलिस ने जिसके पास से बरामद किया तो उसको गिरफ्तार कर उसका नाम सार्वजनिक करते हुए जेल क्यों नहीं भेजा। रंजीत के भाई के अनुसार पुलिस के लोगो ने असली गुनहगार को शायद थाने से ही मुचलका दे दिया और मामले में चार्जशीट या एफ आर लगा दिया जिसे देखने के लिए और जानकारी के लिए सीओ साहब के पास गए तो वहां के मुंशी ने यह कहकर भगा दिया कि न्यायालय चला गया हैं वही जाकर देख लेना जबकि पत्रावली न्यायालय में पहुंची ही नहीं हैं। पीड़ित का कहना हैं कि अगर पुलिस की मिलीभगत नहीं रहती तो नकली रंजीत बनकर गाड़ी छुड़ाने वाला जालसाजी के मामले में उनके द्वारा जेल भेजा गया होता और यह बात भी सार्वजनिक कर दिया गया होता कि पिकप पर फाइनेंसर की मदद से गाय की तस्करी कराने वाला और कोई नहीं बल्कि यही नकली रंजीत था।
न्याय पाने के लिए दौड़ भाग कर रहे रंजीत का मुँह बंद कराने के लिए पुलिस ने ठोक दिया गैंगेस्टर का केस
न्याय पाने के लिए रंजीत कोर्ट से लेकर थाने तक दौड़ लगाता रहा पर अब तक उसे ना तो नकली रंजीत बनकर उसके गाड़ी से पशु तस्करी कर रहे नकली रंजीत का पता चला ना हैं फाइनेंसर कम्पनी के उस कर्मचारी/अधिकारी का जिसने उसकी खींची हुई गाड़ी को पशु तस्करों को चलाने के लिए दिया था। न्याय पाने की प्रत्याशा में भाग दौड़ लगा रहे रंजीत की दुशवारी यही कम नहीं होने वाली थी उसके सर पर एक बार भ्रस्ट तंत्र के हथोड़े से एक और प्रहार हुआ हैं और इस बार उस पर बिना गुनाह के ही थानाध्यक्ष तमकुहीराज ने अपराध संख्या 316/2024 के तहत धारा 3(1)उत्तर प्रदेश गैंगेस्टर एक्ट की कार्यवाही कर दिया हैं। रंजीत कहा अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए लड़ रहा था और कहा उसे गुनाह का सरताज बनाकर उसपर गैंगेस्टर एक्ट लगा दिया गया। ऐसा फरेब और अत्याचार तो फिल्मो में अक्सर देखने को मिलता हैं लेकिन यहां पर रूबरू देखने को मिल रहा हैं निर्दोषों को फर्जी तरीके से फंसाने को लेकर जिम्मेदार तनिक भी नहीं डर रहे हैं पर मेरे हिसाब से ऐसा कुकृत्य करने से डरना चाहिए और यह जरूर याद रखना चाहिए कि उपर वाले की लाठी में आवजा नहीं होती हैं। अपनी नाकामी और कारनामो को छिपाने के लिए जिम्मेदार लोगो धर्म और जाति का हवाला देकर अपना बचाव कर रहे हैं पर मेरे हिसाब से न तो अपराधियों की जाति होती हैं और ना ही निर्दोष लोगो को फंसाने वाले पुलिसकार्मियों की दोनों किसी के नहीं होते जब भी अवसर मिलेगा इन्हे लाभ लेने का सबसे पहले वह उन्ही को डसेंगे जो उनका अजीज होगा