दीपावली की पूजा में लेते हैं अंग्रेज अधिकारियों के नाम वाले शहरों का संकल्प

उत्तर प्रदेश सोनभद्र

सफल समाचार गणेश कुमार 

दीपावली की पूजा में लेते हैं अंग्रेज अधिकारियों के नाम वाले शहरों का संकल्प

-ब्रिटिश सल्तनत का आज भी जलवा कायम है।

-डॉ राम मनोहर लोहिया ने गुलामी के प्रतीक वाले नामों को बदलने की सरकार से मांग की थी।

-आजादी के बाद भी कायम है यह परंपरा।

सोनभद्र।आजादी के 75 साल व्यतीत हो जाने के बावजूद आज भी आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, धार्मिक प्राकृतिक, कलात्मक रूप से संपन्न सोनभद्र जनपद के निवासी प्रत्येक वर्ष दीपावली के पूजा में कार्य की सिद्धि के लिए अनुष्ठान का उद्देश्य एवं अनुष्ठान कहां किया जा रहा है किसके लिए किया जा रहा है आदि का संकल्प लेते हैं जनपद में दीपावली के दिन जब हम लक्ष्मी पूजन का आयोजन करते हैं, तब जनपद मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज, विंढमगंज, म्योरपुर के निवासी (अंग्रेज अधिकारियों द्वारा अपने नाम पर बसाए गए) नगरों का नाम लेकर संकल्प लेते हैं।साहित्यकार प्रतिभा देवी के अनुसार-“यह परंपरा ब्रिटिश काल से ही पूर्वर्ती जनपद मिर्जापुर वर्तमान सोनभद्र में कायम है, क्योंकि प्रत्येक पूजा-पाठ व अन्य मांगलिक कार्यक्रमों में पुरोहित द्वारा अपने जजमान को अपने नगर एवं क्षेत्रीय भूगोल से संबंधित संकल्प दिलाते हैं।  इतिहासकार दीपक कुमार केसरवानी के अनुसार-“सोनभद्र जनपद का मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज इस नगर की स्थापना मिर्जापुर के उप जिलाधिकारी डब्ल्यूबी रॉबर्ट्स ने सन 1846 ईस्वी में किया था, इस नगर का प्रथम नागरिक जगन्नाथ साहू को बनाया था। कालांतर में शाहगंज में संचालित कुसाचा तहसील को रॉबर्ट्सगंज नगर में स्थापित किया गया। सन 1954 इसवी में इस तहसील का नाम रॉबर्ट्सगंज तहसील हो गया।मिर्जापुर के लोकप्रिय जिलाधिकारी पी० बिल्डम (कार्यकाल 1901-1903-1916) ने मिर्जापुर जनपद के दक्षिणांचल के निवासियों को मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने, ब्रिटिश सरकार की आय बढ़ाने एवं इस क्षेत्र के आदिवासियों को अधिकार दिलाने हेतु इस क्षेत्र में दौरा किया था और मुडीसेमर नामक गांव में जिस स्थान पर उन्होंने विश्राम किया था वह गांव बिल्ढमगंज के नाम से विकसित है।सन् 1870-71 ई0 संयुक्त प्रांत आगरा एवं अवध लेफ्टिनेंट गवर्नर मिस्टर डब्लू०म्योर० वर्तमान जनपद सोनभद्र का प्रशासनिक दौरा कर राजस्व विभाग का एक अस्थाई कार्यालय बनाया था शासकीय व्यवस्था पर विचार परामर्श स्थानीय लोगों के साथ किया और यहां के टप्पो के लिए 10 साला भूमि व्यवस्था लागू की गई।

फोटो – दीपक केसरवानी (इतिहासकार)

कैप्टन म्योर जिस स्थान पर अपना अस्थाई कार्यालय स्थापित किया था आज वह स्थान म्योरपुर के नाम से जाना जाता है। वर्तमान समय में यहां पर एयरपोर्ट निर्माणाधीन है भविष्य में यह नगर आधुनिक एवं तकनीकी रूप से विकसित हो जाएगा।अंग्रेज अधिकारी जहां कहीं भी सैर- सपाटा, प्रशासनिक कार्य के लिए जाते थे वहां पर आपकी यात्रा अथवा स्मृतियां सजोने के लिए उस स्थान का नामकरण अपने नाम पर कर देते थे, जनपद सोनभद्र का मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज, बिल्डमगंज एवं म्योरपुर इसका उदाहरण है।आचार्य संतोष धर द्विवेदी के अनुसार-“प्रत्येक कार्य के सिद्धि के लिए हम धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन करते हैं, इस आयोजन के पूर्व दीप प्रज्वलन कर दीपक को समस्त कर्मों का साक्षी मानकर हम अपने कार्य की सिद्धि, कार्य किस लिए किया जा रहा है, किसके समक्ष किया जा रहा है इत्यादि का संकल्प लेते हैं। इस संकल्प मे हम जिस स्थान पर अनुष्ठान करते हैं उस स्थान का नाम का संकल्प लेने की परंपरा है।हमारी भारतीय संस्कृति एवं धर्म जब हम किसी मांगलिक धार्मिक आयोजन करते हैं तो उस पर हमारे पुरोहित द्वारा अपने जजमान को देश, प्रदेश,नगर, गोत्र के नाम का संकल्प कराते हैं । संकल्प के बिना हमारै कार्य की सिद्धि नहीं हो सकती ऐसा हमारे शास्त्रों में वर्णित है। समाजवादी चिंतक एवं विचारक डॉक्टर राम मनोहर लोहिया जब सोनभद्र दौरे पर आए थे तो इन्होंने रावटसगंज ब्लॉक के निसोगी डाक बंगला में एक मीटिंग में कहा था कि-” हमें इन गुलामी के प्रतीक वाले कस्बों, शहरों के नामों से छुटकारा पाना चाहिए और उन्होंने सुझाव दिया था कि म्योरपुर का नाम मयूरपुर, रॉबर्ट्सगंज का नाम रापटगंज सरकार को करना चाहिए। लेकिन आजादी के 75 साल व्यतीत हो जाने के बावजूद अंग्रेजी नाम वाले शहरों का सिक्का कायम है।हमें इन गुलामी के प्रतीक नाम वाले शहरों, कस्बों का नाम बदलने के लिए आंदोलन चलाना चलाना चाहिए। ताकि हम अपने पूजा- अनुष्ठान में अंग्रेजों के नाम वाले शहरों का नाम का संकल्प न दोहराए।ले शहरों का सिक्का कायम है।हमें इन गुलामी के प्रतीक नाम वाले शहरों, कस्बों का नाम बदलने के लिए आंदोलन चलाना चलाना चाहिए। ताकि हम अपने पूजा- अनुष्ठान में अंग्रेजों के नाम वाले शहरों का नाम का संकल्प न दोहराए।

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