ईश्वर के अंश से ही होती हैं जीव की उत्पत्ति: पंडित राघवेन्द्र शास्त्री

उत्तर प्रदेश देवरिया

शेर मोहम्मद 

सफल समाचार देवरिया 

 

जनपद के ग्राम खुखुंदू के पईलहां टोले में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन कथा व्यास पंडित राघवेन्द्र शास्त्री ने बताया कि पुतना ही अविद्या है। अर्थात ईश्वर के अंश से ही जीव की उत्पत्ति होती है। परमात्मा का स्वरूप ही जीव है। लेकिन पुतना रुपी अविद्या जीव को आनंद से दूर लेकर जाती है। 

 

 

    कथा में आगे माखन लीला का वर्णन करते हुए कथा व्यास ने श्रोताओं को बताया कि चित्त ही मक्खन है और शरीर मिट्टी का घड़ा है। भगवान देह रुपी मटकी में से चित्त रुपी मक्खन को चुरा लेते है। उन्होंने बताया कि नदियों से ही हमारी पहचान और नदियों से ही हमारी संस्कृति है। ऐसे में इसकी रक्षा करना हम सबका कर्तव्य है। भगवान कृष्ण ने यमुना की रक्षा के लिए कालिया मर्दन की लीला की थी। उन्होंने गोवर्धन लीला की कथा सुनाते हुए बताया कि वर्षा ऋतु के लिए जितना इंद्र भागीदार है, उतना ही पर्वत और वृक्ष इत्यादि भी है। वर्तमान में वृक्षों और पहाड़ों का शोषण किया जा रहा है। प्रकृति के साथ जीव ने अन्याय किया। पांच हजार वर्ष पूर्व भगवान ने गोवर्धन पर्वत की पूजा कराई थी। अर्थात पूजन का अर्थ उसकी रक्षा से है। कृष्ण से प्रेम करके प्रकृति से वैर नहीं किया जा सकता है। क्योंकि प्रकृति भी उसी की है? कथा शुभारंभ से पहले कथा व्यास का मुख्य अतिथि जिलाधिकारी देवरिया दिव्या मित्तल, सदर विधायक शलभ मणि त्रिपाठी, रामपुर कारखाना विधायक सुरेन्द्र चौरसिया ने माल्यार्पण कर अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया। विशिष्ट अतिथि सल्हपुर ग्राम प्रधान सुशील राय और पंडित शिरोमणि तिवारी ने भी माल्यार्पण किया। इस दौरान प्रधानाचार्य आलोक राय, दिनेश शर्मा, शैलेन्द्र पांडेय, नारद मद्धेशिया, उग्रसेन उपाध्याय, राजेश वरनवाल, शारदा यादव, रमेश यादव, पंडित अशरफी पांडेय, राकेश शर्मा, सुभाष राय, अमर ध्वज राय, अजय राय शर्मा आदि उपस्थित रहे।

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