दलितों के आर्थिक सशक्तिकरण पर देना होगा जोर

आगरा उत्तर प्रदेश

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दलितों के आर्थिक सशक्तिकरण पर देना होगा जोर 

• 8 दिसंबर को ‘डॉ अंबेडकर : एससी-एसटी उप वर्गीकरण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसला’ पर आयोजित होगा दिल्ली में राष्ट्रीय सम्मेलन 

• एआईपीएफ प्रदेश अध्यक्ष डॉ बी. आर. गौतम कर रहे हैं पश्चिमी उत्तर प्रदेश का दौरा, मिल रहा है भारी समर्थन 

आगरा। 1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट द्वारा आए एससी-एसटी के उप वर्गीकरण के फैसले पर डॉक्टर अंबेडकर के विचारों के संदर्भ में दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। इसकी तैयारी के लिए ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. बी. आर. गौतम पश्चिमी उत्तर प्रदेश का दौरा कर रहे हैं। उनके साथ बिजली विभाग के पूर्व अधिशासी अभियंता और एआईपीएफ नेता इंजीनियर दुर्गा प्रसाद भी शामिल है। इस दौरे को आगरा समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में दलितों का भारी समर्थन मिल रहा है।प्रेस को जारी बयान में एआईपीएफ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. बी. आर. गौतम ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद दलितों को विभाजित करने की जो कोशिशें हो रही हैं, उनको रोकने के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है। इस संदर्भ में डॉक्टर अंबेडकर के विचार बेहद महत्वपूर्ण हैं, उन्होंने आरक्षण की दोहरी नीति पर काम किया था। उन्होंने जहां सामाजिक सहभागिता और अधिकार की बात की वही दलित व आदिवासियों के आर्थिक सशक्तिकरण के सवाल को भी मजबूती से उठाया था। आज सहभागिता की बात तो होती है लेकिन आर्थिक सशक्तिकरण पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। परिणाम स्वरुप दलितों और आदिवासियों के आरक्षित पद नाट फार सूटेबल के नाम पर रिक्त रह जा रहे हैं। केंद्र सरकार जो बजट एससी-एसटी के सब प्लान के नाम पर दे भी रही है उसका बड़ा हिस्सा कॉर्पोरेट घरानों को दे दिया जा रहा है। शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, छात्रवृत्ति, छात्रावास जैसे जीवन के लिए जरूरी मदों पर बजट में लगातार कटौती की जा रही है। ऐसी स्थिति में दलितों के आर्थिक सशक्तिकरण के सवाल को भी मजबूती से उठाना होगा। नाट फार सूटेबल के नाम पर दलितों के लिए आरक्षित पदों को दूसरे वर्गों को देने पर पूर्ण रोक लगनी चाहिए। निजी क्षेत्र में आरक्षण का विस्तार होना चाहिए, एससी-एसटी सब प्लान पर पर्याप्त बजट का आवंटन किया जाना चाहिए और उसे कॉर्पोरेट क्षेत्र के लिए देने पर रोक लगनी चाहिए। साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार के संवैधानिक अधिकार की गारंटी की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि 8 दिसंबर को आयोजित सम्मेलन में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आगरा, एटा, अलीगढ़, मथुरा आदि जिलों से भी प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। 

 

 

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