कुशीनगर: कप्तानगंज चीनी मिल की अचल संपत्ति की होगी नीलामी, किसानों को मिलेगा बकाया भुगतान

उत्तर प्रदेश कुशीनगर

विश्वजीत राय 

सफल समाचार कुशीनगर 

कुशीनगर: कप्तानगंज चीनी मिल की अचल संपत्ति की होगी नीलामी, किसानों को मिलेगा बकाया भुगतान

कप्तानगंज। किसानों की कर्जदार बनी कप्तानगंज चीनी मिल की अचल संपत्ति की नीलामी होगी। गन्ना मूल्य का तय समय के बावजूद भुगतान नहीं करने पर अचल संपत्ति का मूल्यांकन करते हुए तहसील प्रशासन ने नीलामी करने का आदेश जारी किया है।

इसे नीलाम कर गन्ना किसानों का भुगतान किया जाएगा। पूर्व में गन्ना मूल्य बकाए के भुगतान को लेकर कर तहसील प्रशासन ने चीनी मिल को पूर्व में सील कर कुर्की की कार्रवाई कर चुकी है। 

कप्तानगंज चीनी मिल पर गन्ना किसानों का करोड़ों रुपये बकाया गन्ना मूल्य भुगतान नहीं करने पर कप्तानगंज तहसील प्रशासन ने चीनी मिल की अचल संपत्ति का विवरण इकट्ठा करते हुए चीनी मिल के नाम से बसहिया उर्फ कप्तानगंज के खाता संख्या 02257 में कुल पांच गाटा की अचल संपत्ति का मूल्यांकन एक अरब 11 करोड़ 17 लाख 70 हजार 500 और खाता संख्या 00781 में कुल तीन गाटा की अचल संपत्ति का मूल्यांकन तीन करोड़ 93 लाख 30 हजार और मिल के नाम से ग्राम सभा दुबौली के खाता संख्या 00087 में कुल दो गाटा की अचल संपत्ति का मूल्यांकन 34 लाख आठ हजार 600 की गई है, इसकी नीलामी की प्रक्रिया शुरू करते हुए तहसील प्रशासन ने आदेश जारी किया गया है। इसके पूर्व तहसील प्रशासन ने चीनी मिल को सील करते हुए कुर्क की कार्रवाई की है। 

एसडीएम योगेश्वर सिंह ने बताया कि किसानों का गन्ना मूल्य बकाए को लेकर अभी कप्तानगंज चीनी मिल की अचल संपत्ति की नीलामी करने की तिथि 24 जनवरी 2025 को निर्धारित की गई है। नीलामी में शामिल होने को लेकर इच्छुक क्रेता किसी भी कार्य दिवस में एसडीएम और तहसीलदार कार्यालय से संपर्क कर जानकारी हासिल कर सकते हैं

रोक के बावजूद बिक चुकी है कुछ जमीन

कप्तानगंज चीनी मिल पर किसानों का करोड़ों रुपये बकाया है। इसका कोर्ट में मुकदमा भी चल रहा है। कोर्ट ने चीनी मिल की संपत्ति को बेचकर किसानों को भुगतान करने का आदेश भी दिया है। लेकिन, चीनी मिल प्रबंधन को चीनी मिल की जमीन की बिक्री पर रोक लगी थी। बावजूद इसके लेखपाल और तहसील प्रशासन की मिली-भगत से जमीन का कुछ हिस्सा नगर के एक व्यक्ति को करोड़ों रुपये में बेच दिया गया। मामला उजागर हुआ तो जांच में तहसील के जिम्मेदारों की भी भूमिका सामने आने लगी। ऐसे में सिर्फ लेखपाल का हलका बदल दिया गया और तहसील प्रशासन ने मामले को दबा दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *