राष्ट्रीय युवा दिवस पर छात्रों से किया गया संवाद 

उत्तर प्रदेश प्रयागराज

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राष्ट्रीय युवा दिवस पर छात्रों से किया गया संवाद 

करोड़ों युवाओं की ऊर्जा हो रही है बर्बाद – राजेश सचान, कोआर्डिनेटर, रोजगार अधिकार अभियान

प्रयागराज।राष्ट्रीय युवा दिवस के मौके पर छात्रों से संवाद करते हुए रोजगार अधिकार अभियान के कोआर्डिनेटर राजेश सचान ने कहा कि आज करोड़ों युवाओं की ऊर्जा बर्बाद हो रही है जिसका सदुपयोग राष्ट्र निर्माण में होना चाहिए। इसके लिए सरकार की कारपोरेट हितैषी नीतियां जिम्मेदार हैं। हालात इतने बुरे हैं कि आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के युवा भी बड़े पैमाने पर बेरोजगार हैं। तब संकट की भयावह स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। इस संकट का सीधा संबंध राजनीतिक अर्थनीति से है। ऐसे में आम नागरिकों व देश हित में यह जरूरी है कि इन नीतियों में आमूलचूल बदलाव हो। राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर सलोरी, यूनिवर्सिटी रोड समेत विभिन्न डेलीगेसियों व हास्टलों में हुए संवाद व जनसंपर्क में इविवि के छात्र नेता रजत सिंह, युवा मंच जिला संयोजक जय प्रकाश यादव, राहुल मिश्रा, प्रशांत तिवारी, अजय गौतम, अर्जुन प्रसाद, रोहित समेत बड़ी संख्या में छात्रों व युवाओं की मौजूदगी रही।वक्ताओं ने बताया गया कि 10 नवंबर को दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में गहन विचार-विमर्श के बाद चार सवालों को लेकर देशव्यापी रोजगार अधिकार अभियान संवाद शुरू किया गया है। इसमें प्रमुख रूप से शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार की गारंटी, देश में रिक्त पड़े करीब एक करोड़ पदों पर तत्काल भर्ती, हर व्यक्ति के सम्मानजनक जीवन की गारंटी और सुपर रिच की संपत्ति पर समुचित टैक्स लगाने जैसे मुद्दे शामिल हैं। भर्तियों में धांधली पर रोक, नार्मालाईजेशन जैसे विवाद पैदा कर भर्तियों को जानबूझकर उलझाए रखने जैसे सवालों को भी इस मुहिम में उठाया गया है।वक्ताओं ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस व उच्च तकनीक के इस दौर में तमाम विकसित देशों में काम के घंटे कम किए जा रहे हैं ऐसे में भारत के कुछ एक उद्योगपति प्रति सप्ताह 70-90 घंटे तक काम कराने की वकालत कर रहे हैं जिसका कोई औचित्य नहीं है। इससे न सिर्फ श्रमशक्ति का बेइंतहा शोषण बढ़ेगा, उनका शारीरिक -मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होगा बल्कि बेरोज़गारी में भी इजाफा होगा। वास्तव में सरकार को काम के घंटे कम करने पर विचार करना चाहिए।आगे कहा गया कि देश के नामचीन अर्थशास्त्रियों का सुस्पष्ट मत है कि सुपर रिच की संपत्ति पर 2 फीसद संपत्ति कर, उचित विरासत व गिफ्ट कर आदि उपाय किए जाएं और काली अर्थव्यवस्था को नियंत्रित किया जाए तो आसानी से मौजूदा केंद्रीय बजट से अतिरिक्त 20-25 लाख करोड़ जुटाया जा सकता है जिससे न सिर्फ गरिमापूर्ण रोजगार, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व स्वास्थ्य की गारंटी संभव है बल्कि आंगनबाड़ी जैसे मानदेय व संविदा कर्मियों को सम्मानजनक वेतनमान, कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन बहाली, किसानों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी के साथ नागरिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा जैसे सवालों को हल किया जा सकता है। 

           

 

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