कॉर्पोरेट घरानों पर टैक्स से दिया जा सकता है शिक्षा-स्वास्थ्य व रोजगार- अखिलेंद्र 

आजमगढ़ उत्तर प्रदेश

सफल समाचार 

कॉर्पोरेट घरानों पर टैक्स से दिया जा सकता है शिक्षा-स्वास्थ्य व रोजगार- अखिलेंद्र 

• प्रदेश में पूंजी के पलायन पर लगे रोक 

• एआईपीएफ संस्थापक अखिलेंद्र प्रताप सिंह ने रोजगार अधिकार अभियान के सिलसिले में आजमगढ़ में किया व्यापक संवाद 

आजमगढ़। एआईपीएफ के संस्थापक अखिलेंद्र प्रताप सिंह रोजगार अधिकार अभियान के सिलसिले में पूर्वांचल के दौरे पर हैं और इसी कड़ी में उन्होंने आज आजमगढ़ में लोगों से संवाद किया। उन्होंने संवाद में कहा कि रोजगार लोगों को मिल सकता है बशर्ते सरकार अपनी अर्थनीति में बदलाव के लिए तैयार हो। सरकार का तर्क कि पैसा कहां से आएगा, का जवाब है कि अन्य देशों की तरह भारत में भी यदि कॉर्पोरेट घरानों के ऊपर वेल्थ टैक्स लगाया जाए और उनके काले धन की पूंजी पर नियंत्रण किया जाए तो मौजूदा बजट के बराबर लगभग 50 लाख करोड रुपए सरकारी कोष में आ सकता है। जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, सामाजिक सुरक्षा जैसे मदों में बड़ा निवेश किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि यह उनका निजी मंतव्य नहीं है बल्कि प्रसिद्ध मार्क्सवादी अर्थशास्त्री प्रोफेसर प्रभात पटनायक और गांधीवादी अर्थशास्त्री प्रोफेसर अरुण कुमार जैसे अर्थशास्त्रियों की आर्थिक गणना पर आधारित है। कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में रोजगार सृजन की भारी संभावना है उस पर ध्यान देने की जरूरत है।उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में भी आर्थिक संसाधन मौजूद हैं लेकिन सरकार की नीति में भारी कमी है। जिसकी वजह से यहां से पूंजी का पलायन अन्य प्रदेशों में हो जाता है। बताया कि बैंकों में जमा यहां के नागरिकों का पैसा उन पर खर्च करने में भारी अंतर मौजूद है। जिसे ऋण-जमा अनुपात असंतुलन कहते हैं। लगभग 60 फ़ीसदी यहां के लोगों का बैंकों में जमा पैसा अन्य प्रदेश में चला जाता है। यही पैसा अगर उत्तर प्रदेश सरकार कौशल विकास, आईटीआई और पॉलिटेक्निक पर खर्च करें और हर नौजवान को उद्यम लगाने के लिए 10 लाख रुपए अनुदान दे तो बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन हो सकता है।उन्होंने बिना मुकदमा चलाए अनावश्यक रूप से जेलों में कैद सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि केंद्र सरकार बराबर समाज के प्रबुद्ध नागरिकों, राजनीतिक, सामाजिक कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न कर रही है।

मानवाधिकार की रक्षा और सामाजिक सुरक्षा संविधान के न्याय की अवधारणा में निहित है जिसे कोई भी सरकार व न्यायालय छीन नहीं सकता। फिर भी मौजूद निजाम में ऐसा किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि समाज के सरोकारी लोगों को अपने पुराने प्रयोगों का मूल्यांकन करना चाहिए और सभी लोगों को जन मुद्दों पर आधारित एक राष्ट्रीय राजनीतिक अर्थनीति के लिए राष्ट्रीय संवाद शुरू करना चाहिए। देश व दुनिया की राजनीतिक परिस्थितियों में भारी बदलाव हुआ है। पुरानी सैद्धांतिकी के आधार पर वित्तीय पूंजी के राजनीतिक हमले से निपटा नहीं जा सकता है। संगठन और सिद्धांत के क्षेत्र में नए सिरे से काम करने की जरूरत है। कहा कि रोजगार अधिकार अभियान और सामाजिक अधिकार को मिलाकर आंदोलन चलाने की जरूरत है। एससी, एसटी, पिछड़े, अल्पसंख्यक और महिलाओं के विकास पर बजट का खर्च बढ़ना चाहिए तभी समावेशी समाज बन सकता है।उन्होंने आरएसएस और भाजपा की तानाशाही से न डरने की सलाह दी और कहा कि वह परास्त होगी क्योंकि उसकी विचारधारा विदेशी है और भारत की बहुलता, परंपरा और सभ्यता के खिलाफ है। उन्होंने कचहरी के एक प्रांगण में राजनीतिक सामाजिक कार्यकर्ताओं और हक मैरिज हॉल में नौजवानों की बैठक को संबोधित किया। उन्होंने शिब्ली मंजिल लाईब्रेरी का दौरा भी किया और कहा कि पूर्वांचल खासकर आजमगढ़ और मऊ की सामाजिक सांस्कृतिक पूंजी बेहद समृद्ध है। जमीनीस्तर पर इस बहुलता और समृद्धि के अध्ययन की जरूरत जताई। उन्होंने अगली बार आजमगढ़ आने पर शिब्ली मंजिल लाईब्रेरी में ही रूकने का निर्णय लिया। संवाद में वरिष्ठ समाजवादी राम कुमार यादव, संस्कृतिकर्मी हेमंत, एआईपीएफ प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर, राजनीतिक कार्यकर्ता नसीम, एडवोकेट जावेद शामिल रहे।

 

 

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