विश्वजीत राय
सफल समाचार कुशीनगर
बढ़ती जा रही कुशीनगर एयरपोर्ट की मुश्किलें आईएलएस इंस्टाॅलेशन में मकान बना रोड़ा…इसके बाद यात्रियों की होगी चुनौती
अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट कुशीनगर से उड़ान को लेकर विमानन कंपनियों की ओर से तैयार होने के बावजूद उड़ान नहीं हो पा रही है। कोहरे और रात के समय में कम विजिबिलिटी में भी लैंडिंग और टेकऑफ के लिए लग रहे आईएलएस (इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम) के निर्माण में एक छोर का रास्ता साफ होने के बाद अब दूसरे छोर पर दो मकान रोड़ा बन रहे हैं।इंस्टाॅलेशन में पेंच आ रहा है। अगर सब कुछ सही हो जाता है तो इसके बाद एयरपोर्ट अथॉरिटी को यात्रियों को भी इकट्ठा करने की चुनौती होगी।
आईएलएस के तहत दूसरे चरण के कार्य अधूरे
-आईएलएस उपकरण के इंस्टाॅलेशन में महत्वपूर्ण कार्य विमान के सेंटर लाइन को इंडिकेट करना वाला लोकलाइजर और इलेक्ट्रिक कार्य हैं। यह पूरा हो चुका है। दूसरे चरण में विमानों को एंगल बताने वाला ग्लाइड पथ का कार्य होना है। ग्लाइड पथ के लोकेशन के निर्धारण करने में दो मकान और कुछ शेष टाॅवर ही अवरोध बने हुए हैं। इसके हटे बिना यह आईएलएस पूर्ण नहीं हो सकता है। इन अवरोधों की वजह से यहां विमानन कंपनियां उड़ान भरने में रुचि नहीं ले रहीं हैं, लेकिन यह अवरोध दूर होने के साथी ही विमानन कंपनियों का यहां से उड़ान भरने के लिए हरी झंडी मिल सकती है।
बढ़ती जा रही कुशीनगर एयरपोर्ट की मुश्किलें
– बिहार के बजट में सोमवार को पड़ोसी प्रांत पश्चिम चंपारण के वाल्मिकीनगर स्थित एयरपोर्ट के विस्तार के लिए बजट में बात की गई। इसके अलावा पड़ोसी जनपद गोपालगंज के सबेया एयरपोर्ट की भी चहारदीवारी का काम शुरू हो गया है। इधर, गोरखपुर एयरपोर्ट के विस्तार और नंदा नगर में रनवे और टर्मिनल के निर्माण से कुशीनगर के लोगों की धड़कनें बढ़ रही हैं। लोगों का मानना है कि एयरपोर्ट बिहार के पड़ोसी इलाके पश्चिम चंपारण, गोपालगंज के अलावा गोरखपुर मंडल के देवरिया, महाराजगंज के लोगों पर निर्भर था। लगातार पास के इलाकों में एयरपोर्ट के विस्तार से कुशीनगर एयरपोर्ट से फ्लाइट संचालन पर ग्रहण लगता दिख रहा है।
क्या है ग्लाइड पथ
-ग्लाइड पथ किसी भी विमान के लैंडिंग दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण तत्व है। यह एक आदर्श अवरोही पथ है, जिसका अनुसरण विमान रन-वे पर आसानी से उतरने के लिए करता है। इसके सहारे विमान की सुरक्षित लैंडिंग होती है। ग्लाइड पथ का पालन किए बिना रन-वे से आगे निकल जाने या बहुत कम दूरी पर उतरने का खतरा होता है। ग्लाइड पथ लैंडिंग के साथ टेकऑफ के लिए आवश्यक होता है।
तीन चरण में गति देने का ध्येय, लेकिन नाकाम
-जिले के सांसदों और विधायकों ने एयरपोर्ट के लिए अपने हर संभव प्रयास कर लिए हैं। सांसद शशांक मणि त्रिपाठी ने बताया कि हमारा ध्येय एयरपोर्ट पर पहले दो चरण में डोमेस्टिक और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के साथ तीसरे चरण में कार्गो (समान ढुलाई) के उड़ान का भी प्रयास कर रहे हैं ।
आईएलएस सिस्टम लगाने में दो मकान का अवरोध आ रहा है। इसको दूर करने के लिए जिला प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है। बहुत जल्दी बाधा दूर कर ली जाएगी और हवाई सेवाओं का संचालन होगा।
-प्राणेश कुमार राय, डायरेक्टर, कुशीनगर एयरपोर्ट