श्रीकृष्ण की परम भक्त मीराबाई की भक्ति चरित्र लीला का हुआ मंचन 

उत्तर प्रदेश सोनभद्र

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श्रीकृष्ण की परम भक्त मीराबाई की भक्ति चरित्र लीला का हुआ मंचन 

श्री कृष्ण रासलीला के सातवें दिन मीरा चरित्र का हुआ सजीव मंचन

– श्री कृष्ण के प्रति मीरा का प्रेम देख दर्शक हुए मंत्रमुग्ध

सोनभद्र। नगर स्थित रामलीला मैदान चल रहे रासलीला के सातवें दिन भगवान श्रीकृष्ण की परम भक्त मीराबाई की भक्ति चरित्र लीला का मंचन किया गया। इस अवसर पर स्वामी दाऊदयाल की मण्डली द्वारा प्रस्तुत ब्याह गीत लगन मोहे लागी तेरे नाम की, राधिका गोरी से बृज की छोरी से मैय्या कराय दे मेरो भजन पर श्रद्धालुगण जमकर थिरके।वृंदावन के मंझे हुए कलाकारों द्वारा लीला मंचन में दिखाया गया कि राजपरिवार में जन्मी मीराबाई के बाल मन में कृष्ण की ऐसी छवि बसी थी कि यौवन काल से लेकर मृत्यु तक मीरा ने कृष्ण को ही अपना सब कुछ माना। मीरा बाई के बचपन में एक दिन उनके पड़ोस में किसी बड़े आदमी के यहां बारात आई थी। सभी स्त्रियां छत पर खड़ी होकर बारात देख रही थीं। मीरा बाई भी उनके साथ बारात देख रही थीं। इस दौरान मीरा ने अपनी माता से पूछा कि मेरा दूल्हा कौन है। इस पर मीराबाई की माता ने श्रीकृष्ण की मूर्ति की तरफ इशारा कर कह दिया कि वही तुम्हारे दूल्हा हैं। यह बात मीराबाई के बाल मन में एक गांठ की तरह बंध गई।मीराबाई का विवाह मेवाड़ के राज परिवार में राणा सांगा के पुत्र भोजराज से कर दिया गया। इस शादी के लिए पहले तो मीराबाई ने मना कर दिया। पर जोर देने पर वह फूट फूटकर रोने लगी और विदाई के समय कृष्ण की वही मूर्ति अपने साथ ले गई, जिसे उसकी माता ने उनका दूल्हा बताया था।मीराबाई के विवाह के दस बरस बाद उनके पति का देहांत हो गया। मीराबाई के कृष्ण प्रेम को देखते हुए लोक लाज की वजह से मीराबाई के ससुराल वालों ने उन्हें मारने के लिए कई चालें चाली पर सब विफल रहीं। मीराबाई ने भक्ति को एक नया आयाम दिया है, एक ऐसा स्थान जहां भगवान ही इंसान का सब कुछ होता है। दुनिया के सभी लोभ उसे मोह से विचलित नहीं कर सकते। एक अच्छा खासा राजपाट होने के बाद भी मीराबाई वैरागी बनी रहीं।कालांतर में मीराबाई द्वारिका में भगवान द्वारिकाधीश रणछोड़ जी के विग्रह में विलीन होकर भगवान श्रीकृष्ण के परम धाम चली गई। वहीं रासलीला के सातवें दिन की लीला का समापन बांके बिहारी जी के दिव्य आरती और भक्तों में प्रसाद वितरण के साथ हुआ।इस अवसर पर जितेन्द्र सिंह, रामप्रसाद यादव, पवन जैन, प्रमोद गुप्ता, कृष्णमुरारी, सचिन गुप्ता, धीरज जालान, सत्येन्द्र, पांडे, विजयकांत मिस्र, विमल अग्रवाल, डॉ अशोक, शिवकुमार केशरी, कृष्णा सेठ, धर्मेश बाबू, प्रदीप जायसवाल, अनिल, सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।

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