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होली मिलन समारोह आयोजित ,अबीर लगाकर दी होली की बधाई
सोनभद्र l विंध्य संस्कृति शोध समिति उत्तर प्रदेश ट्रस्ट के कार्यालय में होली मिलन समारोह/काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।इस अवसर पर ट्रस्ट के निदेशक दीपक कुमार केसवानी ने उपस्थित अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि-होली सनातन धर्म का आदिकालीन पर्व है और यह त्योहार प्राकृतिक रंगों के माध्यम से होली खेलने का त्यौहार है। सोनभद्र जनपद में निवास करने वालेआदिवासी प्राचीन परंपराओं का पालन करते हुए फूलों, पत्तों, हल्दी आदि मिश्रण से बने रंगों से होली खेलकर प्राचीन परंपराओं का पालन करते हैं। काव्य गोष्ठी का प्रारंभ सुधाकर पांडेय”स्वदेश प्रेम”की वाणी वंदना से हुआ।ओज के कवि प्रदुम्न त्रिपाठी ने बिरह वेदना गीत प्रस्तुत किया-
नेह लागल जिनिगिया जहर हो गइल,
प्रीति लागल सनहिया से सेजल हो गइल।
राउर बुझे ना दरदिया,
बेधे छतिया मरघट नियर हो गईल।
कवित्री कौशल्या कुमारी चौहान ने अपनी पंक्तियां पढी-
अगर किसी से बेवफा करोगे,
तुझे ये जन्नत नहीं
मिलेगी।
अगर किसी से दगा
करोगे,
वफा की दौलत नहीं
मिलेगी।
अगर फिजा में जहर
भरोगे,
कहीं भी शोहरत नहीं
मिलेगी।
श्रृंगार के कवि धर्मेश कुमार चौहान ने दो पंक्तियों में ही प्रेम को समेट दिया-
तेरे आने से ही गम दूर जाने लगा,
मेरे मन का भ्रमर गुनगुनाने लगा।
भोजपुरी के कवि दयानंद दयालु ने जीवन की अलौकिक व्याख्या करते हुए काव्य पाठ किया-
हे भैइया एक दिन पेशी होई तोहरो अदालत में,
रहबा कउनो हालत में ना।
चलि ना कोनो युक्ति जुगाड़,
एक दिन खींच ले जहीयन सिपहिया थाने में।
रहबा कउनो हालत में ना।
संचालक अशोक तिवारी सवाल पर पंक्तियां पढी-
जकड़ रहे हैं सवाल मुझको, निगल न जाए ए जाल मुझको।
इस अवसर पर उपस्थित काव्य प्रेमियों, कवियों श्रोताओं ने एक दूसरे से गले मिलकर होली की शुभकामनाएं दी।