तीन दोषियों को 4-4 वर्ष की कठोर कैद 

उत्तर प्रदेश सोनभद्र

सफल समाचार 

तीन दोषियों को 4-4 वर्ष की कठोर कैद 

– प्रत्येक पर साढ़े 11 हजार रूपये अर्थदंड, न देने पर एक-एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी ।

– जेल में बिताई अवधि सजा में समाहित की जाएगी।

– अर्थदंड की धनराशि में से 25 हजार रूपये वादी मुकदमा को मिलेगी

 – 7 वर्ष पूर्व हुए छेड़खानी व घर में घुसकर मारपीट करने का मामला

फोटो: कोर्ट भवन

सोनभद्र। 7 वर्ष पूर्व हुए छेड़खानी व घर में घुसकर मारपीट करने के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट अमित वीर सिंह की अदालत ने मंगलवार को सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर तीन दोषियों को 4-4 वर्ष की कठोर कैद एवं प्रत्येक पर साढ़े 11 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड अदा न करने पर एक-एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बितायी अवधि सजा में समाहित की जाएगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि में से 25 हजार रूपये वादी मुकदमा को मिलेगी।अभियोजन पक्ष के मुताबिक अनपरा थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी पीड़िता के पिता ने अनपरा थाने में 3 मार्च 2018 को दी तहरीर में आरोप लगाया था कि उसकी 13 वर्षीय नाबालिग बेटी 2 मार्च 2018 को शाम 6:30 बजे शौच के लिए निकली थी तभी आशीष कुमार पुत्र दयाराम निवासी ग्राम रणहोर, थाना अनपरा, जिला सोनभद्र उसकी बेटी का हाथ पकड़कर खींचने लगा और बंधा की ओर ले जाने लगा। जब बेटी चिल्लाने लगी तो वह गया तो उसे छोड़कर भाग गया। कुछ ही देर में उमेश कुमार पुत्र दयाराम, जगदीश पुत्र द्वारिका व आशीष पुत्र छोटेलाल के साथ कई लोग लाठी डंडा लेकर आ गए और घर मे घुसकर मारपीट करने लगे तथा गाली देने लगे। इस दौरान गम्भीर चोटें आई। इस तहरीर पर छेड़खानी, घर में घुसकर मारपीट करने और पाक्सो एक्ट में एफआईआर दर्ज कर पुलिस ने मामले की विवेचना शुरू कर दिया और पर्याप्त सबूत मिलने पर कोर्ट में चार्जशीट विवेचक ने दाखिल किया था। मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्को को सुनने, गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर तीनों दोषियों को 4-4 वर्ष की कठोर कैद एवं प्रत्येक पर साढ़े 11 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर एक-एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वही अर्थदंड की धनराशि में से 25 हजार रुपये वादी मुकदमा को मिलेगी। अभियोजन पक्ष की ओर ले सरकारी वकील दिनेश कुमार अग्रहरि, सत्यप्रकाश त्रिपाठी और नीरज कुमार सिंह ने बहस की।

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