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प्रदेश में चलेगा रोजगार और सामाजिक अधिकार संवाद
• एजेंडा बदलिए, बदलिए राजनीति, राजनीति का कथानक बदलिए मुख्य विषय
• लखनऊ में राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं और सरोकारी नागरिकों की हुई बैठक
• रोजी-रोटी के साथ सामाजिक अधिकार का सवाल उठेगा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में एजेंडा बदलिए, बदलिए राजनीति, राजनीति का कथानक बदलिए के सवाल पर लखनऊ में राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं और सरोकारी नागरिकों की बैठक हुई। जिसमें पुरजोर तरीके से उत्तर प्रदेश की अधिनायकवादी सरकार के विरुद्ध लोकतांत्रिक राजनीति को खड़ा करने के लिए राजनीति के कथानक और एजेंडा को बदलने पर विचार विमर्श हुआ। बैठक के दो सत्रों की अध्यक्षता क्रमशः प्रोफेसर आनंद कुमार और एस. आर. दारापुरी ने की। बैठक में विचार विमर्श के लिए एआईपीएफ के संस्थापक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने पर्चा पेश किया। जिस पर दिनभर सारगर्भित बहस हुई। बैठक में पूरे प्रदेश में रोजगार और सामाजिक अधिकार संवाद अभियान चलाने का निर्णय लिया गया। गौरतलब है कि यह संवाद चंदौली, सोनभद्र, प्रयागराज, शामली, सीतापुर, लखीमपुर में अभी चल रहा है और गोरखपुर में अंबेडकर जन मोर्चा के अध्यक्ष श्रवण कुमार निराला के नेतृत्व में यह जारी है।
बैठक में रोजी-रोटी, खेती बाड़ी, प्रदेश से पूंजी के पलायन पर रोक, वंचित समुदाय का सशक्तिकरण व पर्याप्त प्रतिनिधित्व, शिक्षा व स्वास्थ्य और पर्यावरण रक्षा जैसे सवालों को रोजगार और सामाजिक अधिकार संवाद अभियान में प्रमुख रूप से उठाए जाने पर सहमति बनी। बैठक में यह आम राय थी कि इन मुद्दों को आर्थिक मांगों के नजरिए से ना देखा जाए। दरअसल यह नीतिगत मुद्दे हैं जो मौजूदा राजनीतिक अर्थनीति की दिशा के विरुद्ध है। इसी राजनीतिक अर्थनीति की वजह से कॉर्पोरेट-हिंदुत्व की ताकतें मजबूत हो रही है। यह जनता के हित में है कि राजनीतिक अर्थनीति की दिशा को इन जैसे मुद्दों को माध्यम से पलट दिया जाए। मैत्री भाव, समता और आर्थिक संप्रभुता की बुनियाद पर ही लोकतांत्रिक राजनीति खड़ी हो सकती है और तानाशाही की राजनीति को शिकस्त दी जा सकती है।बैठक में कहा गया कि उत्तर प्रदेश एक निर्णायक मोड़ पर है जहां मौजूदा राजनीतिक ताकतें आम लोगों के सामने मौजूद आर्थिक सामाजिक संकट का हल पेश करने में नाकाम है। उत्तर प्रदेश में भाजपा की तानाशाह सरकार द्वारा पेश चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए व्यापक आधार वाली लोकतांत्रिक पहल की तत्काल आवश्यकता है। एक ऐसी पहल की जो राजनीतिक ताकतों, सामाजिक संगठनों और सामान्य नागरिकों को रोजगार के अधिकार, आर्थिक न्याय, सामाजिक अधिकारों एवं लोकतांत्रिक शासन के संघर्ष में एकजुट कर सके। बैठक में तय किया गया कि आरएसएस- बीजेपी और उनके सहोदर संगठनों को छोड़कर कोई भी राजनीतिक समूह का सदस्य,जन संगठन, व्यक्ति और राजनीतिक दल इस राजनीतिक पहल का हिस्सा बन सकते हैं।बैठक में रोजगार और सामाजिक अधिकार संवाद अभियान के 25 सदस्यीय अध्यक्ष मंडल का गठन किया गया। जिसका संचालन एस. आर. दारापुरी जी करेंगे और उनका सहयोग आलोक सिंह करेंगे। बैठक में इस अभियान के सलाहकार मंडल का भी गठन किया गया है। बैठक में अत्यंत पिछड़े वर्ग के प्रतिनिधितत्व के लिए भारत सरकार द्वारा बनाई जस्टिस रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट और अन्य पिछड़े वर्ग वर्ग में क्रीमी लेयर के प्रावधान को खत्म करने के संबंध में सलाहकार मंडल में विचार करने का निर्णय हुआ। बैठक में मौजूद संस्कृतिक कार्यकर्ता राकेश वेदा ने कहा कि पुरानी शब्दावलियों, नारों और पुराने आंदोलन के तरीकों से आज के दौर की चुनौतियों का मुकाबला नहीं किया जा सकता। इसके लिए नए रूपों की तलाश करनी होगी और इस मामले में यह पहल बेहद स्वागत योग्य है। बैठक का संचालन डॉक्टर राम प्रकाश गौतम और उषा विश्वकर्मा ने किया।बैठक में पूर्व डीआइओएस शिव चंद राम, पूर्व एसीएमओ डॉक्टर बी. आर. गौतम, गांधीवादी सत्येंद्र सिंह, राजेश सचान, राघवेंद्र कुमार, डाक्टर बृज बिहारी, दिनकर कपूर, तिलकधारी बिंद, अजय राय, सविता गोंड, कृपा शंकर पनिका, पूजा पांडे, इमरान राजा, राष्ट्रीय कुली मोर्चा के राम सुरेश यादव, इंजीनियर दुर्गा प्रसाद, इंजीनियर रामकृष्ण बैगा, राम भवन राम, डॉक्टर मलखान सिंह, सुरेंद्र पांडे, नौमी लाल, अर्जुन प्रसाद, राम शंकर, शैलेंद्र धुर्वे, पूजा विश्वकर्मा, गोविंद सिंह आदि लोगों ने बात रखी।