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संविधान रक्षा के लिए कल्याणकारी राज्य की पुनर्वापसी जरूरी
देश को डीप हिंदू स्टेट बनाने में लगी है भाजपा-आरएसएस
कानपुर के सामाजिक संगठनों के संयुक्त मंच का सम्मेलन सम्पन्न हुआ, गोविंद नारायण चुने गए संयोजक
कानपुर। भारत का संविधान औद्योगिक पूंजीवाद के युग में कल्याणकारी राज्य की अवधारणा के साथ बना था। संविधान में दिए गए न्याय, समता, स्वतंत्रता, बंधुत्व, संप्रभूता, लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद की बातें इसी कल्याणकारी राज्य की अवधारणा से निकलती है। भारत के हर नागरिक को जन्म से लेकर मृत्यु तक गरिमापूर्ण जीवन को संविधान सुनिश्चित करता है। आज वित्तीय पूंजी के युग में संविधान में दिए गए मूल्यों और अधिकारों पर लगातार हमला किया जा रहा है। कारपोरेट-हिंदुत्व गठजोड़ की भाजपा-आरएसएस सरकार देश को एक डीप हिंदू स्टेट में बदलने में लगी है। जहां मौजूदा सरकार, शासन व्यवस्था और संस्थाओं के अलावा आरएसएस देश का संचालन करें। इसलिए आज संविधान की रक्षा का सवाल कल्याणकारी राज्य की पुनर्वापसी के लिए जरूरी है। समाज के सभी तबके के लोगों को इसके लिए मजबूती से खड़ा होना चाहिए। यह बातें कानपुर में आयोजित सामाजिक संगठनों के संयुक्त मंच के पहले जिला सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर ने कहीं। ‘संविधान कल, आज और कल’ विषय पर रामआसरे भवन जरीब चैकी कानपुर में सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन की अध्यक्षता देवी प्रसाद निषाद व संचालन चमन खन्ना ने किया। सम्मेलन ने पंद्रह सदस्यी संयोजन समिति का चुनाव किया, जिसका संयोजक पूर्व पार्षद गोविंद नारायण को चुना गया।सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए एआईपीएफ नेता ने कहा कि पूरे प्रदेश में रोजी-रोटी, सामाजिक अधिकार और सामाजिक सुरक्षा के लिए रोजगार और सामाजिक अधिकार संवाद किया जा रहा है। इस संवाद में देश के हर नागरिक को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, सम्मानजनक जीवन की गारंटी जैसे सवालों को उठाया जा रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आज देश में असमानता बहुत तेजी से बढ़ी है। देश की जीडीपी का एक तिहाई हिस्सा 284 कॉर्पोरेट घरानों के पास है और देश की आय का 57.7 प्रतिशत हिस्सा यह हड़प जाते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार 100 करोड़ भारतीय उपभोक्ता बाजार से बाहर है और पिछले पांच वर्षों में मध्य वर्ग की आय आधी रह गई है। इसलिए आज जरूरत है कि देश के 200 बड़े कॉर्पोरेट घरानों की संपत्ति पर समुचित टैक्स लगाकर संसाधन एकत्र किए जाएं और इससे हर नागरिक के गरिमापूर्ण जीवन को सुनिश्चित किया जाए।सम्मेलन में बोलते हुए एचबीटीआई कानपुर के प्रोफेसर बृजेश कटियार ने कहा कि संविधान में जरूर कुछ कमी कमजोरी मौजूद है बावजूद इसके संविधान को बचाना हर नागरिक का सबसे पहला दायित्व है। उन्होंने कहा कि डॉ अंबेडकर दरअसल देश को एक सही मायने में लोकतांत्रिक देश बनाना चाहते थे जिसमें नागरिकों के सम्मानपूर्ण जीवन को सुनिश्चित किया जाए। सम्मेलन में दो साल के कामकाज और इस दौरान ली गई पहलकदमियों की रिपोर्ट रखते हुए संयोजक गोविंद नारायण ने कहा कि भारत के संविधान की मूल भावना का सम्मान करते हुए भारतीय समाज में मौजूद जाति व्यवस्था में हो रहे जुल्म के खिलाफ हमारा संगठन सदैव संघर्ष करता रहेगा।सम्मेलन में लिए गए राजनीतिक प्रस्ताव में एसएसी, एसटी, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक विषेषकर पसंमादा मुस्लिम और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए बजट में अतिरिक्त धन देने, न्यायपालिका, निजी क्षेत्र और मिडिया में आरक्षण देने, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के ओबीसी में अलग आरक्षण कोटे के लिए बनी रोहिणी कमीषन की रिपोर्ट संसद में रखने और उसे लागू करने, मनरेगा का बजट बढ़ाने और इसे शहरी क्षेत्र में भी लागू करने, क्रीमीलेयर प्रावधान की पुर्नसमीक्षा करने, सरकारी विभागों में रिक्त पदों को भरने विशेषकर बैकलाक भर्ती करने, हर नागरिक के लिए गुणवत्तापूर्ण व मुफ्त शिक्षा व स्वास्थ्य, रोजगार, सम्मानजनक पेंशन और भोजन के अधिकार को सुनिश्चित करने की मांग उठाई गई। इस पर कानपुर में समाज के सभी हिस्सों से व्यापक संवाद करने का निर्णय हुआ।दिनभर चले सम्मेलन को सीमा कटियार, अध्यापिका अंजली सागर, रिंकी साहू, औसान सिंह यादव, हरिशंकर वर्मा, रामपाल नागवंशी, फतेह बहादुर सिंह गिल, राजेश आजाद, रंजन पासी, अनिल प्रजापति, रमेश वर्मा, हाजी सलीस, जगतपाल, एड0 सोनेलाल गौतम, एड0 आनंद गौतम, राहुलन अंबेडकर, प्रदीप यादव, मनोज वाल्मीकि, विक्रम वाल्मीकि, विक्रम कोरी, सुधीर कुमार, रियाज अहमद, कैथल, राजेश गौड़, अजीत सिंह यादव, देवेन्द्र गौतम, डा0 आर. के. चैधरी, विश्वनाथ प्रसाद, राजकुमार वर्मा, टेक चन्द, हिमांशु जनवादी, राहुल वर्मा, अरविंद पेंटर वाल्मीकि, राजाराम वाल्मीकि, रामबाबू वाल्मीकि, आकाश वाल्मीकि, प्रेमदास वाल्मीकि, सुखदीन वाल्मीकि, हरि नारायण बौद्ध, राज नारायण बौद्ध, सरल बौद्ध, सुभि बौद्ध, इंजी0 विवेक पाल, मो0 वसी, महबूब आलम, जागेश्वर कैथल, अरविंद निषाद, मुन्नी देवी, सुनील यादव, एड0 आरके यादव, गौरी शंकर वर्मा, एड0 जयप्रकाश, रामगोपाल, मथुरा प्रसाद, प्रेमचंद गौतम ने भी सम्बोधित किया।