दी उत्तर प्रदेश टैक्स बार एसोसिएशन के पंजीयन के मामले का उच्च न्यायालय ने लिया संज्ञान

उत्तर प्रदेश सोनभद्र

सफल समाचार 

दी उत्तर प्रदेश टैक्स बार एसोसिएशन के पंजीयन के मामले का उच्च न्यायालय ने लिया संज्ञान 

शिकायतकर्ताओं ने सहायक रजिस्ट्रार के आदेश पर तथ्यों का अवलोकन न करने की शिकायत करते हुए उच्च न्यायालय में डाली थी याचिका

पक्षकारों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का दिया आदेश

सोनभद्र।दि उत्तर प्रदेश टैक्स बार एसोसिएशन के पंजीयन का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। विदित हो कि एसोसिएशन के पते को कानपुर से वाराणसी स्थानांतरण कराये जाने को लेकर विवाद चल रहा है। इस सम्बन्ध में दि टैक्स बार एसोसिएशन सोनभद्र के अध्यक्ष प्रदीप कुमार बागड़िया, वरिष्ठ कर अधिवक्ता जितेन्द्र कुमार श्रीवास्तव एवं डाॅ एस मनु ने सहायक रजिस्ट्रार सोसाइटीज एंड चिट्स फंड, वाराणसी को शिकायत दर्ज कराई थी और आरोप लगाया था कि दि उत्तर प्रदेश टैक्स बार एसोसिएशन का पंजीकरण पहले कानपुर के पते पर था और फिर कुछ लोगों द्वारा जिन्होंने एसोसिएशन पर अपना कब्जा जमा लिया था ने गलत दस्तावेजों के आधार पर फर्जी तरीके से संघ का पंजीयन वाराणसी के पते पर करा लिया। इस स्थानांतरण प्रक्रिया में न तो नियमों का पालन किया गया और न ही सहायक रजिस्ट्रार महोदय को समुचित जानकारी दी गई बल्कि गलत तथ्यों को पेश कर गुमराह करने का प्रयास किया गया था। शिकायतकर्ताओं ने इन्ही बातों का हवाला देते हुए रजिस्ट्रार सोसाइटीज एंड चिट्स फंड कानपुर और रजिस्ट्रार सोसाइटीज एंड चिट्स फंड वाराणसी में वाद दायर किया था और संघ के नियम विरुद्ध पंजीयन को निरस्त करने की मांग की थी। वाद के सम्बन्ध में कई तिथियों पर चली सुनवाई के आधार पर 13 जनवरी 2025 को सहायक रजिस्ट्रार सोसाइटीज एंड चिट्स फंड, वाराणसी ने शिकायतकर्ताओं की दलीलों को अस्वीकार कर सम्बंधित संघ के पंजीयन को निरस्त करने की मांग खारिज कर दी थी।सहायक रजिस्ट्रार के इस आदेश पर शिकायतकर्ताओं ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल किया और बताया कि सिर्फ विपक्षी पक्ष के आख्या के आधार पर हमारें द्वारा उपलब्ध कराए गये अभिलेखों और तथ्यों को नजरअंदाज नही किया जाना चाहिए। शिकायतकर्ताओं ने सहायक रजिस्ट्रार पर गुमराह होनें का आरोप लगाते हुए सम्बन्धित आदेश पारित होने की बात कही।अब शिकायतकर्ताओं की याचिका पर उच्च न्यायालय ने 5 अप्रैल 2025 को आदेश जारी किया है जिसके अंतर्गत उच्च न्यायालय ने माना है कि इस सम्बन्ध में शिकायतकर्ताओं के तथ्यों पर गौर किया जाना आवश्यक है। इसी क्रम में उच्च न्यायालय ने विपक्षी पक्षकारों को अपने इस आदेश के जरिए चार सप्ताह के अंदर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।ये सारी जानकारियां देते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता जितेन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने माननीय उच्च न्यायालय पर भरोसा दिखाते हुए आशा जताई है कि न्याय अवश्य होगा क्योकि न्याय कभी पराजित नही हो सकता।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *