रुद्रपुर कांग्रेस को बड़ा झटका: पूर्व प्रधान राजेश पासवान सैकड़ों समर्थकों सहित भाजपा में हुए शामिल

उत्तराखंड उधमसिंह नगर

सफल समाचार 

विक्रांत सिंह चौहान 

रुद्रपुर ऊधम सिंह नगर 

रुद्रपुर कांग्रेस को बड़ा झटका: पूर्व प्रधान राजेश पासवान सैकड़ों समर्थकों सहित भाजपा में हुए शामिल

 

रुद्रपुर, उत्तराखंड:

कांग्रेस को उस समय तगड़ा झटका लगा जब ग्राम कीरतपुर, रुद्रपुर के पूर्व प्रधान एवं कांग्रेस एससी मोर्चा के जिला अध्यक्ष राजेश पासवान ने अपनी पार्टी से नाता तोड़ते हुए सैकड़ों समर्थकों के साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम लिया। यह राजनीतिक घटनाक्रम रुद्रपुर की राजनीति में बड़ा बदलाव माने जा रहा है।

राजेश पासवान का भाजपा में जोरदार स्वागत किया गया। स्थानीय विधायक शिव अरोरा और भाजपा किसान मोर्चा जिला अध्यक्ष धीरेंद्र मिश्रा जी ने उन्हें पुष्प मालाएं पहनाकर पार्टी में स्वागत किया। इस मौके पर भाजपा कार्यालय में भारी भीड़ उमड़ी और समर्थकों में खासा उत्साह देखने को मिला।

राजेश पासवान ने भाजपा में शामिल होने के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्होंने यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की नीतियों और दलित समाज के प्रति प्रतिबद्धता से प्रभावित होकर उठाया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में अब संगठनात्मक ढांचा कमजोर पड़ चुका है और जमीनी कार्यकर्ताओं की कोई सुनवाई नहीं होती।

वहीं विधायक शिव अरोरा ने पासवान और उनके समर्थकों का भाजपा में स्वागत करते हुए कहा कि यह शामिल होना भाजपा की नीतियों में बढ़ते जनविश्वास का प्रमाण है। उन्होंने दावा किया कि आने वाले समय में और भी कई नेता भाजपा में शामिल होंगे और पार्टी को और मजबूती मिलेगी।

राजनीतिक विश्लेषण:

राजेश पासवान का भाजपा में जाना केवल एक व्यक्ति का निर्णय नहीं, बल्कि एक सामाजिक संकेत भी माना जा रहा है। दलित समुदाय से आने वाले पासवान की गिनती इलाके के प्रभावशाली नेताओं में होती है और उनके इस कदम से कांग्रेस की जमीनी पकड़ को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है।

राजनीतिक पंडितों के अनुसार, यह घटनाक्रम आगामी विधानसभा चुनाव में समीकरणों को बदल सकता है। भाजपा के लिए यह एक रणनीतिक जीत है, जिससे उसे दलित वोट बैंक को और सुदृढ़ करने में मदद मिल सकती है।

निष्कर्ष:

राजेश पासवान का भाजपा में शामिल होना रुद्रपुर की राजनीति में एक बड़ा घटनाक्रम है। यह कांग्रेस के लिए आत्ममंथन का समय है और भाजपा के लिए विस्तार और सशक्तिकरण का अवसर। आने वाले दिनों में इस बदलाव का असर राजनीतिक गतिविधियों और जन समर्थन पर साफ नजर आ सकता है।

 

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