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जनजाति धर्म को जनगणना में शामिल किया जाए -एआईपीएफ
• बैठक में रोजगार और सामाजिक अधिकार संवाद तेज करने का निर्णय
म्योरपुर, सोनभद्र। भारत सरकार को जातिगत जनगणना करने की अपनी घोषणा को तुरंत लागू करना चाहिए और इसमें जनजाति धर्म के कालम को शामिल करना चाहिए। देश में 1951 में तक हुई जनगणना में आदिवासियों के अलग धर्म का कालम मौजूद था। जिसे 1961 से हुई जनगणना में बंद कर दिया गया। सभी लोग जानते हैं कि आदिवासियों की अपनी संस्कृति, भाषा, लिपि व धार्मिक परंपरा रही है और वह प्रकृति उपासक रहा है। जिसे सचेत ढंग से नष्ट करने की कोशिश हो रही है। इसलिए जनजाति धर्म को जनगणना में शामिल कराने के सवाल पर एआईपीएफ व्यापक संवाद चलाएगा और आदिवासी जनप्रतिनिधियों से हस्ताक्षर कराकर शीघ्र ही राष्ट्रपति महोदया को पत्रक भेजा जायेगा। यह निर्णय ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट की जिला इकाई की वर्चुअल बैठक में हुआ। बैठक की अध्यक्षता मजदूर किसान मंच के नेता रामचंद्र पटेल ने और संचालन मंगरु प्रसाद श्याम ने किया।बैठक के बारे में प्रेस को बताते हुए एआईपीएफ के जिला संयोजक कृपाशंकर पनिका ने कहा कि विकास की जो मौजूदा नीतियां सरकार द्वारा बनाई जा रही है वह यहां की परिस्थितियों और पर्यावरण के अनुकूल नहीं है। पक्का आवास से लेकर शौचालय तक का जो निर्माण अभी किया जा रहा है वह आदिवासियों की संस्कृति और जीवनचर्या के अनुरूप नहीं है। इसे भी अभियान में उठाने का निर्णय हुआ। बैठक में माइक्रो फाइनेंस कंपनियों द्वारा महिला स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को महंगे ब्याज दर पर दिए जा रहे लोन, निजी बैंकों द्वारा गरीबों की जमा पूंजी की हो रही लूट और आईटीआई पास नौजवानों के सुनिश्चित रोजगार के सवाल को भी संवाद अभियान में उठाने का निर्णय हुआ।बैठक में मजदूर किसान मंच के जिलाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद गोंड, युवा मंच की संयोजक सविता गोंड, युवा मंच अध्यक्ष रूबी सिंह गोंड, ठेका मजदूर यूनियन के जिला मंत्री तेजधारी गुप्ता, जिला प्रवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह, राजकुमारी गोंड, बिरझन गोंड आदि लोगों ने बातचीत रखी।