गरीबो की चिंता नही किच्छा की बेनी मजार को बचाने के लिए बेहङ कर रहे बयानबाजी – राजेश शुक्ला

उत्तराखंड उधमसिंह नगर

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रुद्रपुर:- किच्छा विधायक द्वारा अतिक्रमण अभियान में गरीबों के उजड़ने के बाद बयानबाजी मात्र किच्छा की बेनी मजार को बचाने के लिए की जा रही है, यदि ऐसा नहीं है तो किच्छा हल्द्वानी रोड पर चले अतिक्रमण के दौरान वो घर में क्यों घुसे रहे? जबकि उसी समय वे शांतिपुरी व अन्य क्षेत्रों में कार्यक्रमों में जा रहे थे।

उक्त आरोप लगाते हुए पूर्व विधायक राजेश शुक्ला ने कहा कि जिस दिन बंडिया चौराहे पर अतिक्रमण हटाओ के नाम पर पुलिस व लोक निर्माण विभाग के लोग अकारण गरीबों को हटा रहे थे उस दिन वे पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी जी के ब्रह्मभोज में गोरखपुर गए हुए थे वहां से लौटने पर उन्होंने जनता को समय देकर परगनाधिकारी किच्छा के समक्ष अपना रोष जताया, जबकि बेहड़ यही मौजूद रहते हुए नहीं पहुंचे। शुक्ला ने कहा कि जब उन्होंने कल मुख्यमंत्री से वार्ता कर ली तथा मुख्यमंत्री जी ने पुरानी आबादीयो को न हटाने का आश्वासन दे दिया, तब बेहड़ बयानबाजी व धरना देने की बातें कर रहे हैं।

क्या भाजपा नेताओं के भरोसे लड़े थे चुनाव?

शुक्ला ने कहा कि विधायक बेहड़ अपनी पार्टी के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष भी हैं और यह रोना भी रो रहे हैं कि कोई उनका साथ नहीं दे रहा है कोई विरोध नहीं कर रहा है, वो भाजपा के विधायकों एवं पूर्व विधायकों से भी सवाल कर रहे हैं कि वे लोग विरोध क्यों नहीं कर रहे हैं, क्या बेहड़ भाजपा के नेताओं के भरोसे विधायकी चलाएंगे, क्या खुद उनमें दम नहीं बचा? क्या हमारे भरोसे चुनाव लड़े थे कि उनकी ओर से हम काम करेंगे। यदि कांग्रेस के लोग उनकी बात नहीं सुन रहे हैं या उनमें क्षमता नहीं है तो बेहड़ को अपने कांग्रेस अध्यक्ष पद से व विधायक पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि उनका प्रस्तावित धरना भी कांग्रेस के झंडे बैनर के बगैर होगा ऐसा उन्होंने कहा है इसका मतलब यह कांग्रेस को खुद ही कमजोर समझ रहे हैं और झंडे बैनर पर धरना देने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।

उनका यह बयान कि उन्होंने जनता के विरोध के बाद भी उधम सिंह नगर उत्तराखंड में डलवाया और उधम सिंह नगर के लोगों का उत्पीड़न हो रहा है इसके द्वारा वह क्या कहना चाहते हैं, क्या वह गलत थे? क्या उन्हें अफसोस है? शुक्ला ने कहा कि ऐसे बयान देकर वे यहां क्षेत्रवाद की भावनाओं को भड़का कर उत्तराखंड का ही अहित करना चाहते हैं, राज्य बनने के 23वे वर्ष में इस तरह की बात का कोई औचित्य नहीं है।

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