विदेशी नस्ल के कुत्ताें से ज्यादा देसी खूंखार हो गए हैं। गली-गली घूमने वाले ये कुत्ते लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं।

उत्तर प्रदेश कुशीनगर

सफल समाचार 
विश्वजीत राय 

पडरौना। विदेशी नस्ल के कुत्ताें से ज्यादा देसी खूंखार हो गए हैं। गली-गली घूमने वाले ये कुत्ते लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। इसका अंदाजा जिला अस्पताल और सीएचसी के रिकाॅर्ड से लगाया जा सकता है। हर रोज 80 से ज्यादा लोग एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाने पहुंच रहे हैं। 18 फीसदी संख्या बच्चों की है।
उमस भरी गर्मी और बदलते मौसम में कुत्ते खतरनाक हो गए हैं। शहर से लेकर गांवों की गलियों में दिन-रात देसी कुत्तों का झुंड दिख रहा है। बृहस्पतिवार को जिला अस्पताल में 59 और पीएचसी पर 47 लोग एआरवी लगवाने पहुंचे। इनमें 29 बच्चे शामिल रहे।

शहर की तंग गलियों से लेकर प्रमुख सड़कों पर आवारा कुत्तों ने डेरा जमा लिया है। इनकी संख्या इतनी ज्यादा हो गई है कि अगर सावधान नहीं रहे तो कुत्ते पीछे लग जा रहे हैं और झुंड में होने पर हमला कर दे रहे हैं। इनके हमलों से कई बार बाइकसवार अनियंत्रित होकर गिर जा रहे हैं।
बृहस्पतिवार को सुबह रुपई गांव के निवासी राजकिशोर पडरौना बाइक से आ रहे थे, शहर में इंट्री करते ही दो कुत्ते दौड़ा लिए और बाइक लेकर गिर पड़े। घायल का इलाज छावनी के पास एक निजी अस्पताल में कराया गया।

खाली पेट और ज्यादा गर्मी से हो रहे हिंसक
गर्मी ज्यादा पड़ रही है। इसकी वजह से कुत्तों के व्यवहार में बदलाव आया है। ऐसे मौसम में कुत्ते ज्यादा आक्रामक हो जाते हैं। क्योंकि कुत्तों के दिमाग में थर्मो रेगलेट्री सिस्टम नहीं होता है। यही कारण है कि अपनी गर्मी को शांत करने के लिए जीभ निकालकर हांफते हैं। इससे महज 10 से 15 प्रतिशत ही गर्मी निकल पाती है। गर्मी के चलते उनमें चिड़चिड़ापन आ जाता है। आवाज सुनने पर आक्रामक होकर लोगों को काट लेते हैं। दूसरी बड़ी वजह यह भी है कि इनके रहने की जगह भी कम होती जा रही है। हर तरफ मकान बन गए हैं, जो जगह बच रही है वहां गाड़ियों का कब्जा रह रहा है। पहले घरों के आसपास इन्हें खाने के लिए पर्याप्त मात्रा में जूठन मिल जाता था। सफाई को लेकर लोग जागरूक हुए तो अब खाने को भी नहीं मिल रहा है। खाली पेट होने के चलते गुस्सा भी बढ़ रहा है।
-डाॅ. रविंद्र प्रसाद, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी

एआरवी न लगवाने वाले जान पर खेल रहे
जिला अस्पताल के फिजिशियन डॉ. दीन मोहम्मद ने बताया कि मरीज अगर एआरवी नहीं लगवाते हैं तो जान जोखिम में डाल रहे हैं। कुत्तों के काटने का तत्काल प्रभाव नहीं पड़ता है। जैसे-जैसे समय बीतता है, वैसे-वैसे शरीर में संक्रमण बढ़ता जाता है। ऐसे में मरीज के शरीर में क्या परिवर्तन हो जाए, यह किसी को नहीं पता। इसलिए कुत्ते, बंदर और इंसान के काटने पर जरूर एआरवी लगवाएं।

गांवों में कुत्तों के काटने की शिकायत ज्यादा
जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. एचएस राय ने बताया कि कुत्ते आक्रामक हो गए हैं। 50 से अधिक मरीज हर रोज जिला अस्पताल में आ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र से अधिक लोग पहुंच रहे हैं। पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन की उपलब्धता है।
डिप्टी सीवीओ डॉ. अमर सिंह ने बताया कि पालतू कुत्तों के रख-रखाव में दिक्कत होने पर हमलावर हो रहे हैं। राॅट विलर, पिटबुल, बुलडाॅग प्रजाति के कुत्ते शामिल हैं। इन्हें रहने के लिए अधिक स्थान चाहिए और टहलते-खेलते रहना चाहिए।
पडरौना नगर पालिका के चेयरमैन विनय जायसवाल ने बताया कि कुत्तों के पकड़ने के लिए कैटल कैचर खरीदा गया है। पागल या खूंखार कुत्तों की शिकायत मिलने पर पकड़ने के लिए वाहन के साथ कर्मचारियों को भेजा जाता है।

छह दिनों में एआरवी लगवाने पहुंचे मरीज
दिनांक- कुल जख्मी मरीज- बच्चों की संख्या
-एक जुलाई-72-सात बच्चे
-दो जुलाई- 61-नौ बच्चे
-तीन जुलाई- 55- 11 बच्चे
-चार जुलाई- 58- पांच बच्चे
-छह जुलाई- 59- 13 बच्चे

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