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विश्वजीत राय
पडरौना। गांवों में पंचायतीराज व्यवस्था को हाईटेक बनाने की कवायद जिले में दम तोड़ रही है। पंचायत सहायक इस्तीफा दे रहे हैं। लोगों को परिवार रजिस्टर की नकल, जन्म, मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए ब्लॉकों का चक्कर काटना पड़ रहा है। जिले में करीब 83 पद पंचायत सहायकों का रिक्त हैं। इसके लिए शासन की मंजूरी का इंतजार है।
जिले के 980 गांवों में पंचायत भवनों पर पंचायत सहायकों की भर्ती हुई थी। इन दिनों 83 पंचायत सहायक इस्तीफा दे चुके हैं। इसकी वजह कम मानदेय मिलना बताया गया है। करीब चार महीने के अंदर सभी सहायकों ने इस्तीफा दिया है। इसके चलते लोगों को परेशानियाें का सामना करना पड़ रहा है। पंचायत सहायक नहीं होने से लोगों को मामूली काम के लिए ब्लॉकों का चक्कर काटना पड़ रहा है। रिक्त पदों के लिए शासन स्तर से भर्ती की जाएगी।
फाजिलनगर और सेवरही ब्लॉक के अधिकांश गांवों में पंचायत सहायक का पद रिक्त है। सप्ताह में एक दिन पंचायत भवनों पर सचिव पहुंच रहे हैं। लेकिन पंचायत सहायकों के नहीं होने के कारण अधिकांश लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है। कई ऐसे गांव हैं जहां सचिव भी नहीं पहुंच रहे हैं। इसकी वजह सचिव के पास दस से बारह गांव की जिम्मेदारी होना बताया जा रहा है। विशुनपुरा ब्लॉक के भुजौली, कुरौल,मनिकौरा, नगरी, पकहां, पटेरा बुजुर्ग समेत दस गांवों में पंचायत सहायक नहीं है। सिर्फ कागज में इसका संचालन होता है।
डीपीआरओ आलोक कुमार प्रियदर्शी ने बताया कि पंचायत सहायक अपने दिए गए इस्तीफे में मानदेय का कम होना बता रहे है। उनको इससे अच्छी जॉब मिल रही है, तो छोड़ रहे हैं। पंचायत सहायकों के नहीं होने से दिक्कतें हो रही हैं। शासन से निर्देश मिलने के बाद ही रिक्त पदों पर भर्ती की जाएगी। कुछ गांवों में अभी पंचायत भवन का निर्माण चल रहा है।
12 गांवाें का पंचायत भवन निर्माणाधीन
जिले के 12 गांवों में अभी पंचायत भवन का निर्माण चल रहा है। सचिव और ग्राम प्रधान की लापरवाही के कारण निर्माण अधर में था। कई बार नोटिस देने के बाद कार्य में तेजी आई है। जिम्मेदारों का मानना है कि इस महीने में भवन का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा।
जर्जर पंचायत भवन को मरम्मत की दरकार
विशुनपुरा ब्लॉक के पुर्नहा बुजुर्ग गांव में बना पंचायत भवन जर्जर हो चुका है। यहां पर पंचायत सहायक की तैनाती भी है। लेकिन यहां न तो इंटरनेट की सुविधा है और न ही भवन बैठने लायक है। मरम्मत के लिए कई बार ग्राम प्रधान ने बीडीओ से मांग की। लेकिन बजट नहीं मिलने से भवन की मरम्मत नहीं हो सकी। अपने घर से पंचायत सहायक कामों को निपटाता है।