यूपी में प्री डायबिटिक मरीजों संख्या राष्ट्रीय स्तर से ज्यादा है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के अध्ययन में इसका खुलासा किया गया है। ये मरीज साल दो साल में मधुमेह रोगी में तब्दील हो सकते हैं।

उत्तर प्रदेश लखनऊ

सफल समाचार 
मनमोहन राय 

उत्तर प्रदेश पर मधुमेह का खतरा मंडरा रहा है। यहां अन्य राज्यों की अपेक्षा मधुमेह के प्रारंभिक रोगी (प्री डायबिटिक) मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। राष्ट्रीय स्तर पर ये मरीज 15.3 फीसदी हैं। जबकि यूपी में 18 फीसदी का आंकड़ा पार कर गया है। इसका खुलासा हुआ है भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अध्ययन में। चिकित्सा विशेषज्ञों की सलाह है कि जिन लोगों का एचबीए1सी का स्तर 5.5 से अधिक है, उन्हें तत्काल उपचार शुरू कर देना चाहिए। मोटापा कम करके इस बीमारी के बढ़ते भार को कम किया जा सकता है।

आईसीएमआर की ओर से कराए गए अध्ययन में यूपी में मधुमेह का प्रसार 4.8 फीसदी पाया गया है जो अन्य राज्यों की अपेक्षा कम है, लेकिन मधुमेह के प्रारंभिक (प्री-डायबिटिक) मरीजों की संख्या आबादी का करीब 18 फीसदी है। जबकि राष्ट्रीय औसत 15.3 फीसदी है। ऐसे में ये मरीज साल से दो साल बाद मधुमेह रोगी में तब्दील हो सकते हैं। यानी राज्य पर मरीजों का भार तेजी से बढ़ेगा।

क्या है प्री डायबिटिक
केजीएमयू के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. कौसर उस्मान कहते हैं कि मधुमेह के प्रारंभिक मरीजों में कुछ समय बाद करीब एक तिहाई मधुमेह रोगी हो जाते हैं। मधुमेह के प्रारंभिक रोगी वे होते हैं, जिनके रक्त में शुगर लेवल सामान्य से ज्यादा है पर इतना ज्यादा नहीं है कि उन्हें मधुमेह की श्रेणी में रखा जाए। जिन लोगों का शुगर लेवल खाना खाने के पहले 100 से 126 और खाना खाने के बाद 140 से 200 (एमजी-डीएल) के स्तर पर रहता है और एचबीए1सी 5.5 से 6.5 फीसदी के बीच हैं, उन्हें सावधान हो जाना चाहिए। उन्हें तत्काल चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए। खानपान का ध्यान रखकर मधुमेह रोगी होने की गति को रोका जा सकता है।

मोटापा कम करें, नियंत्रित रहेगा मधुमेह
इंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. अजय शुक्ला बताते हैं कि प्रारंभिक मधुमेह के स्तर पर ही मधुमेह की तरह सावधानी बरती जाए तो इसे नियंत्रित किया जा सकता है। प्रारंभिक स्तर का पता लगते ही चिकित्सकीय सलाह से दवा शुरू कर दें। मोटापा हर हाल में कम करें। खुद को सक्रिय रखें। कम से कम 30 मिनट तेज गति से टहलें और योग करें। रोगी को खाने में शक्कर की मात्रा कम कर सब्जियों, फलों और साबूत अनाज बढ़ा देना चाहिए। कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा के संतुलित अनुपात का ध्यान रखें। चिकित्सक की सलाह पर रक्त शर्करा स्तर आदि की जांच करते रहे। अपनी मर्जी से दवा बंद न करें। तनाव न लें।

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