यूपी की राजधानी लखनऊ में एक ऐसे गिरोह का पुलिस ने भंडाफोड़ किया है जो नकली वेबसाइट बनाकर जाली आधार और पैन कार्ड बनाते थे।

उत्तर प्रदेश लखनऊ

सफल समाचार 
मनमोहन राय 

वेबसाइट बनाकर फर्जी आधार व पैन कार्ड बनाने की सुविधा उपलब्ध कराने वाले गिरोह के तीन सदस्यों को बुधवार को वाराणसी साइबर क्राइम थाने की टीम ने राजधानी से गिरफ्तार किया है। गिरोह के नौ सदस्य दो महीने पहले गिरफ्तार किये जा चुके हैं। साइबर अपराधी इन वेबसाइट के जरिये फर्जी आधार व पैन कार्ड बनाकर सिम खात खुलवाते हैं और सिम भी लेते हैं। जिनका इस्तेमाल साइबर ठगी व अन्य साइबर अपराधों में इस्तेमाल करते हैं।

एसपी साइबर क्राइम प्रो त्रिवेणी सिंह ने बताया कि पूर्वी चंपारण बिहार निवासी अफजल आलम, शिवरतनगंज अमेठी के सुशील कुमार और गया बिहार के मोहम्मद इरशाद को टीम ने गिरफ्तार किया है। इनके गिरोह के भी तीन और साथी फरार हैं। जिन पर 25-25 हजार रुपये का इनाम घोषित है। इसमें हरिओम, आकाश और सजीत नाम के आरोपी शामिल हैं। एसपी के मुताबिक पूरे गिरोह ने कई अलग-अलग वेबसाइट बना रखी हैं। ये वेबसाइट यूजर बेस हैं। मतलब कोई भी व्यक्ति अपना मोबाइल नंबर, ईमेल, नाम आदि डालकर अपना एकाउंट बना सकता है। 

उसके बाद इसमें कोई भी आधार कार्ड नंबर डालकर फर्जी फोटो, फर्जी पता व नाम डालकर आधार कार्ड बनाते थे। पैन कार्ड नंबर डालकर पैन कार्ड बना लेते थे। वेबसाइट से दोनों दस्तावेज असली की तरह हूबहू प्रिंट होते थे। इसका इस्तेमाल साइबर अपराधी व अन्य अपराधी भी करते हैं। ये दोनों डॉक्यूमेंट तैयार कर उस पर सिम लेते थे और बैंक खाते खुलावते हैं। जिनका इस्तेमाल फ्रॉड में करते हैं। इसके एवज में आरोपियों पर प्रति आधार व पैनकार्ड का कुल 40 रुपये मिलता है। जो ऑनलाइन ट्रांसफर हो जाता है। इसके लिए वह अपना ही एक पेमेंट गेटवे का इस्तेमाल करते हैं।

हर दिन 20-25 हजार रुपये कमाते हैं

एसपी के मुताबिक हर दिन इनकी वेबसाइट से लगभग एक एक हजार पैन व आधार कार्ड बनाए जाते हैं। इस तरह से वह 20 से 25 हजार रुपये आसानी से बैठकर कमा लेते हैं। जानकारी के मुताबिक गिरोह के तमाम सदस्य साइबर ठगी के बड़े गिरोह संचालित कर रहे हैं। जो इन फर्जी आधार व पैन का इस्तेमाल करते हैं। वह पकड़े न जाएं इसलिए फेक आईडी का उपयोग करते हैं। एक एक अपराधी कई कई सिम व कई खाते खुलवाते हैं। इसलिए अधिक संख्या में दस्तावेज बनाते हैं।

अब तक 9 वेबसाइट के बारे में मिली जानकारी

साइबर क्राइम थाने की टीम की अब तक की जांच में सामने आया है कि गिरोह के लोग 9 वेबसाइट चला रहे थे। चूंकि अभी कई आरोपी फरार हैं। इसलिए आशंका है कि ये संख्या बढ़ सकती है। इन वेबसाइट के बारे में साइबर अपराधियों के गिरोह को पूरी जानकारी है। इसलिए चंद पैसे देकर वह दस्तावेज तैयार करते हैं और फिर लाखों-करोड़ों की ठगी को अंजाम देते हैं।

यूआईडीएआई का डाटा खरीदते थे आरोपी

एसपी ने बताया कि आरोपियों ने बताया कि डार्कवेब और टेलीग्राम पर यूआईडीएआई व एनएसडीएल द्वारा अधिकृत कंपनियों का डाटा चुराकर साइबर अपराधी बेचते हैं। ये आरोपी ये डाटा खरीदते थे। जिससे आधार नंबर, पैन कार्ड व अन्य जानकारियां इनके पास पहुंच जाती थी। ये डाटा वह अपनी वेबसाइट पर अपलोड करते थे। जो वेबसाइट के यूजर होते थे उनको आसानी से आधान नंबर मिल जाता था। जिसके जरिये वह अपने फर्जी आधार व पैन बना लेते थे।

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