अगर आपको जिले में ड्राइविंग लाइसेंस चाहिए तो बेझिझक आइए। एआरटीओ कार्यालय आपको सहजता से लाइसेंस दे देगा।

उत्तर प्रदेश देवरिया

सफल समाचार 
शेर मोहम्मद 

परिवहन विभाग की ओर से बिना ट्रैक पर टेस्ट लिए ही जारी किए जा रहे हैं ड्राइविंग लाइसेंस
 ट्रैक के निर्माण के लिए चकरवा धूस में ढूंढी गई थी जमीन, बकायदा भूमि पूजन के बाद अब बजट की तलाश

देवरिया। अगर आपको जिले में ड्राइविंग लाइसेंस चाहिए तो बेझिझक आइए। एआरटीओ कार्यालय आपको सहजता से लाइसेंस दे देगा। इसके लिए ट्रैक या ट्रायल की जरूरत भी नहीं है। जरूरत है तो बस दलाल की। दलाल मिल जाए तो भले ही आपको साइकिल भी चलाने न आता हो, ट्रक सहित भारी वाहनों का लाइसेंस भी आसानी से बन जाएगा। अगर आपकी सेटिंग ठीक है तो आपको कार्यालय भी नहीं जाना पड़ेगा। घर बैठे आवेदन और घर पर ही ड्राइविंग लाइसेंस मिल जाएगा।
दरअसल, परिवहन विभाग में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों का टेस्ट लेने के लिए ट्रैक प्वाइंट ही नहीं है। स्पष्ट है कि जो भी ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए जा रहे हैं उसकी मदद से अप्रशिक्षित हाथों में स्टीयरिंग थमाई जा रही है।

परिवहन विभाग ने चार माह पूर्व ट्रैक प्वाइंट के लिए दो एकड़ जमीन चकरवा धूस में देखी भी थी और बकायदा इसका अधिकारियों की मौजूदगी में भूमि पूजन भी किया गया था। हालांकि शासन से बजट व मंजूरी नहीं मिलने यह ठंडे बस्ते में अब चला गया है। इस कारण कार या अन्य वाहनों की ड्राइविंग टेस्ट कार्यालय के सामने दूसरी तरफ देवरिया-गोरखपुर फोरलेन पर ही मात्र कुछ दूरी तक कराकर ही पास घोषित कर दिया जा रहा है, जबकि कुछ लोगों को ट्रायल की भी जरूरत नहीं होती है। पंजीकृत अधिवक्ताओं को छोड़ दें तो आजकल परिवहन विभाग में दलालों की खूब चांदी है। यदि यह चाह लें तो ट्रायल की जरूरत खत्म हो जाती है। ड्राइविंग लाइसेंस की परीक्षा में भी इनकी खूब चलती है। परिवहन विभाग के कार्यालय से हर दिन 30 से 35 ड्राइविंग लाइसेंस जारी हो रहे हैं। इनमें ट्रायल से परीक्षा तक सेटिंग का खेल जाेरों पर है।

कार्यालय के अंदर से बाहर तक चल रहा सेटिंग का खेल
ड्राइविंग लाइसेंस के लिए बार-बार परेशान होने से बचने के लिए लोग पहले ही सेटिंग कर लेते हैं ताकि उन्हें आसानी से लाइसेंस मिल जाए। एआरटीओ कार्यालय में डीएल की परीक्षा, रिन्युवल आदि के लिए रेट तय है। 1000 से 1500 रुपये खर्च करिए तो आसानी से काम हाे जाता है। भारी वाहनों का डीएल बनवाने वालों को फाॅर्म-5 अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसे में इनके आवेदकों को इसे बनवाने के लिए अधिक चढ़ावा देना पड़ता है।

स्पीकअप

ट्रक का फिटनेस कराने आया था तो सुविधा शुल्क की मांग की गई। इसके पहले तत्काल डीएल की जरूरत थी, जिसके लिए सुविधा शुल्क दिया तो बिना टेस्ट पास भी हो गया और 10 दिन में लाइसेंस मिल भी गया।
भैयाजी यादव, बनकटा

डाइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था। पहली बार में फेल हो गया, दूसरी बार भी यही हुआ। तीसरी बार पास कराने के एवज में सुविधा शुल्क की मांग की गई। इसके बाद पास हो गया और डीएल भी अब मिल गया है।
विकास कुमार, भटनी

एआरटीओ कार्यालय में कुछ अनाधिकृत व्यक्ति हैं जो काम कराने का दावा करते हैं। पता नहीं चलता कि वह क्या करने और कराने आते हैं। लर्निंग लाइसेंस का शुल्क 350 रुपये है, जबकि 1000 रुपये अधिक खर्च करने पर दलालों के माध्यम से आसानी से लाइसेंस जारी कर दिया जाता है। संगठन ने कई बार अधिकारियों का ध्यान इस ओर दिलाया है।
रामप्रवेश सिंह, अधिवक्ता

एआरटीओ कार्यालय में वर्तमान में आरआई का पद खाली चल रहा है। ऐसे में डीएल की परीक्षा, रिन्युवल, फिटनेस जैसे कार्य प्रभावित हो रहे हैं। ट्रैक प्वाइंट ही नहीं है तो भारी वाहनों का ट्रायल भी नहीं हो रहा। कुछ बाहरी लोगों ने विभागीय कर्मचारियों से मिलीभगत कर रखी है, इसमें कुछ ऑनलाइन करने वाले दुकानदार भी शामिल हैं, जो 1000 से 1500 रुपये लेकर आने वालों का आर्थिक शोषण भी करते हैं। संगठन की ओर से एआटीओं का इस समस्या की ओर से दिलाया गया है।
अजय चंद, जिला ट्रांसपोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष

कुछ माह पूर्व चकरवा धूस में ड्राइविंग टेस्ट कराने के लिए एक जमीन देखी गई थी। हालांकि शासन स्तर से इसे मंजूरी नहीं मिली है। ऐसे में कार्यालय के बगल में ही मुख्य रोड पर ही आवेदनकर्ताओं से वाहन चलवाकर देखा जाता है। आरआई के स्थानांतरण के बाद उनका काम वह खुद देख रहे हैं। जल्द ही नए आरआई के आने की उम्मीद है।

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