सफल समाचार
शेर मोहम्मद
देवरिया। जनविश्वास विधेयक पर मुहर लगने के बाद अब छोटे जुर्म व छोटी सजा वाले मुकदमे में जेल भेजने और सजा की जगह अर्थदंड वसूलने की तैयारी है। इसके पीछे मूल वजह सुगमता बढ़ाना और न्यायालयों में मुकदमे का बोझ कम करना है।
लागू होने पर जिले में भी पुलिस से लेकर अदालत तक में मुकदमों का बोझ घटेगा और काफी संख्या में लोग अर्थदंड जमा कर जेल जाने से बच सकेंगे। इसको लेकर विधि विशेषज्ञों की अपनी-अपनी राय है। इसे मुकदमे का बोझ घटाने वाला बताया जा रहा है। अब तक आईटी, ईसी, रेलवे, औषधि एवं प्रसाधन सामग्री एक्ट, कापी राइट एक्ट सहित कई ऐसे कानून हैं, जिसमें आरोपी बनने पर मुकदमा दर्ज होता है। न्यायालय ऐसे मामलों में अर्थदंड और सजा तय करता है। इस तरह के मामलों में नए कानून से अर्थदंड वसूल कर आरोपी को छोड़ दिया जाएगा।
कोट
छोटे जुर्म में जुर्माना लगाकर छोड़ना अच्छी बात है। पीड़ित को भाग-दौड़ से फुर्सत मिल जाएगी और वह एक बार जुर्माना देकर आजाद हो जाएगा। मुकदमे का बोझ भी न्यायालय पर कम होगा।
अभिषेक श्रीवास्तव, अधिवक्ता
छोटे जुर्म में जुर्माना के लिए नया कानून काफी अच्छा है। इसका फायदा मिलेगा। पीड़ित को बार-बार परेशान होने से बचाने वाला यह कानून होगा। लोगों को राहत मिलेगी।
आनंद कुमार सिंह, अधिवक्ता
छोटे मामले में जुर्माना लेकर अगर छोड़ दिया जाता है तो अच्छी पहल है। इससे मुकदमे का भी बोझ कम होगा। यह कानून बेहतर है।
सुशील मिश्रा
अध्यक्ष, जिला अधिवक्ता संघ
अक्सर देखने को मिलता है कि छोटे-छोटे मामलों में फंस कर लोगों को परेशान होना पड़ता है। नए कानून से एकबार जुर्माना भरने के बाद पीड़ित निश्चिंत हो जाएगा।
उर्वी श्रीवास्तव, अधिवक्ता
जिले में मुकदमों के आंकड़े
तीन वर्षों के दौरान 250 मुकदमे आईटी एक्ट के दर्ज हुए।
सौ मुकदमे ईसी एक्ट के लंबित हैं।
130 मुकदमे रेलवे एक्ट के दर्ज हुए हैं।
जेल का भी बोझ होगा कम
नए कानून से मुकदमा का बोझ कम होगा। इसका असर जेल पर भी पड़ेगा। इन धाराओं में जेल जाने वाले लोगों की संख्या भी कम नहीं होती है। इससे जेल की व्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ता है। जुर्माना भरकर छूटने से जेल में बंदियों की संख्या में कमी आएगी।