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शेर मोहम्मद
एमसीएच विंग स्थित महिला अस्पताल में काल्पोस्कोप मशीन से होगी जांच
देवरिया। महर्षि देवरहा बाबा मेडिकल कॉलेज में संभावित सर्वाइकल कैंसर (बच्चेदानी के कैंसर) के जांच की निशुल्क सुविधा होगी। इसके लिए कल्पोस्कोप मशीन उपलब्ध कराई गई है। जांच के शुरू होने से महिला मरीजों को काफी सहूलित होगी। अभी तक यह सुविधा न होने से मरीजों को बाहर से जांच करानी पड़ती थी। इसके लिए उन्हें अधिक कीमत चुकानी पड़ती थी।
सर्वाइकल कैंसर से महिलाएं पीड़ित हो रही हैं। जांच और इलाज कराने में लापरवाही से उन्हें और परिजनों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। मेडिकल कॉलेज के एमसीएच विंग स्थित महिला अस्पताल के ओपीडी में हर रोज 10 से 15 संभावित सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित मरीज पहुंचती हैं। इनमें कुछ लक्षण होता है। महिला डॉक्टरों को इसकी पुष्टि करने में दिक्कत होती है, जिससे वह जांच कराती हैं। यहां जांच की सुविधा न होने से मरीज को हायर सेंटर और निजी जांच सेंटरों का सहारा लेना पड़ता था। निजी सेंटर पर जांच के लिए एक से दो हजार रुपये कीमत देना पड़ता है, जिससे मरीजों और तीमारदारों पर आर्थिक बोझ पड़ता है। इसे देखते हुए प्राचार्य डॉ. राजेश बरनवाल की पहल पर कल्पोस्कोप मशीन मंगाई गई है। उसे स्थापित कर दिया गया है। अब यहां की महिला डॉक्टर ही कल्पोस्कोपी जांच कर इलाज कर सकेंगी। इसमें सर्वाइकल कैंसर के मरीज चिह्नित किए जाएंगे। यह सामान्य जांच होती है, इसमें दर्द व अन्य परेशानी नहीं होती है।
शुरू में पता चलने पर छोटी सर्जरी से मिल जाती है बीमारी से मुक्ति : डॉ. सीमा
देवरिया। महर्षि देवरहा बाबा मेडिकल काॅलेज के एमसीएच विंग स्थित महिला अस्पताल के ओपीडी में सोमवार को सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें महिलाओं को बीमारी के प्रति जागरूक किया गया। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की वरिष्ठ प्रोफेसर व आरोग्य भारती की प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉ. सीमा द्विवेदी ने कहा कि सर्वाइकल कैंसर की बीमारी महिलाओं में तेजी से हो रही है। शुरूआत में इसका पता चल जाए तो छोटी सर्जरी से इस बीमारी से मुक्ति मिल सकती है। उन्होंने कहा कि कम उम्र में शादी, ज्यादे बच्चे होने आदि के कारण होता है। इससे बचाव के लिए परिवार नियोजन, यौन सुचिता का पालन करना जरूरी है। कहा कि महिलाओं को थोड़ी सी परेशानी होने पर लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। उन्हें तत्काल डॉक्टर से संपर्क कर समस्या बतानी चाहिए। कहा कि शुरूआती संक्रमण से लेकर कैंसर का रूप लेने में करीब आठ से दस साल लगते हैं। शुरू में पता चलने पर इलाज से ठीक हो सकता है। कहा कि 21 वर्ष की उम्र के बार महिलाओं को हर तीन साल पर पैप्समेयर टेस्ट करानी चाहिए। यह सामान्य जांच होती है। इस बीमारी से बचाव के लिए अब वैक्सीन भी आ गई है। नौ साल की उम्र के बाद वैक्सीनेशन होता है। इसके तीन डोज लगते हैं। पहले डोज के एक माह और छह माह बाद लगता है। इस दौरान डॉ. बबीता कपूर, डॉ. माया सिंह, डॉ. प्रतिभा, डॉ. शिप्रा, डॉ. शुभम पांडेय, डॉ. अरूणेश वरिष्ठ ग्लोबल के फाउंडर लेफ्टिनेंट कर्नल रीतेश कुमार, एलो प्लस के निशिश राव आदि मौजूद रहे। संवाद