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आकाश राय
अपर जिला जज फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम विष्णु देव सिंह ने 12 साल पुराने एक दहेज हत्या मामले की सुनवाई की। दहेज हत्या का आरोप साबित नहीं होने पर कोर्ट ने पति को बरी कर दिया। वहीं, उत्पीड़न के आरोप में दोषी करार देते हुए उसे तीन साल की कैद व 14 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।
अपर जिला शासकीय अधिवक्ता पुरुषोत्तम लाल गुप्ता ने बताया कि फतेहपुर के खागा थाना क्षेत्र के पुरमई निवासी कुबेर सिंह ने बेटी नीलम का विवाह 28 अप्रैल 2004 को सैनी कोतवाली के कोरियो निवासी बुद्धिमान सिंह के साथ किया था।
शादी के बाद नीलम के पति व उसके घरवाले अतिरिक्त दहेज में बाइक की मांग को लेकर उसे परेशान करते थे। 11 फरवरी 2011 को ससुराल वालों की पिटाई से नीलम के गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत हो गई थी। इससे उसकी हालत बिगड़ गई। पीड़ित पिता ने नीलम को प्रयागराज के निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया, जहां इलाज के दौरान 22 फरवरी को उसकी मौत हो गई।
पिता की तहरीर पर दहेज हत्या का मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने केवल पति के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया। परीक्षण के दौरान शासकीय अधिवक्ता ने वादी मुकदमा समेत सात गवाहों को कोर्ट में प्रस्तुत किया। दोनों ओर से बहस व पत्रावली में मौजूद साक्ष्य को देख कोर्ट ने आरोपी को दहेज हत्या में दोषमुक्त करके दहेज उत्पीड़न का दोषी पाते हुए तीन साल की कैद व 14 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है।