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मनमोहन राय
आरिफ और सारस की दोस्ती की कहानी से आप वाकिफ ही हैं। इस दोस्ती के चर्चाओं में आने के बाद सरकार ने वन्य जीव नियमों के अनुसार सारस को आरिफ के पास से लेकर कानपुर के चिड़ियाघर में भेज दिया था। जहां उसे देखने वालों की भीड़ जुटती। आरिफ भी उससे मिलने के लिए समय-समय पर जू जाते रहे हैं। आरिफ को देखकर वह सारस पूरे पिजड़े में उड़ने लगता है
इस मामले में नया मोड़ यह है कि आरिफ सारस को जू से आजाद करवाने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में जाएंगे। अमर उजाला डिजिटल से बात करते हुए आरिफ ने कहा कि उन्हें पता है कि नियमों के अनुसार सारस उन्हें नहीं सौंपा जा सकता। वह सारस को खुद को देने के लिए कोर्ट नहीं जा रहे हैं।
कोर्ट में लगाएंगे दो गुहारें
आरिफ ने कहा कि वह जल्द ही लखनऊ हाईकोर्ट जाएंगे। कोर्ट से उनकी दो गुहारे होंगी। पहली यह कि सारस को आजाद कर दिया जाए। बाकी पक्षियों से उलट उसका पूरा जीवन आजाद रहा है। पिंजड़े में बंद होने के बाद वह सामान्य नहीं रह गया है। उसका दम घुटता है। ऐसा नहीं है कि प्रदेश में सभी सारस जू के अंदर ही हैं। कुछ सारस बाहर भी उड़ते दिखते हैं। इस सारस को भी आजाद कर दिया जाए।
उन्होंने कहा कि मेरी दूसरी मांग यह है कि जब तक उसे आजाद नहीं किया जा सकता है, मुझे उससे मिलने से ना रोका जाए। जब दूसरे व्यक्ति उससे मिल सकते हैं तो मैं भी मिल सकता हूं। कोर्ट एक सामान्य नागरिक की तरह मुझे भी उससे मिलने का अधिकार दिलवाए।
आखिरी बार मिलने से रोक दिया गया
आरिफ ने बताया कि सारस से उसकी मुलाकात करीब दस या बारह दिन पहले हुई थी। उनको देखकर बहुत खुश हुआ और हवा में उड़ने की कोशिश करने लगा। उसे भी अच्छा लगा और मुझे भी। इसके बाद जब मैं बीते बुधवार को सारस से मिलने गया तो मुझे रोक दिया गया। सारस के बाड़े के 20 मीटर पहले ही पुलिस के लोगों ने कहा कि आपको मिलने नहीं दिया जाएगा। कारण पूछने पर बताया कि उच्च अधिकारियों के आदेश हैं। इससे ज्यादा हम कुछ नहीं जानते। अधिकारियों ने कहा है कि आपसे मिलने के बाद सारस परेशान हो जाता है। फिर उसे सामान्य होने में समय लग जाता है।
आरिफ ने कहा कि इसी घटना के बाद हमने यह किया कि वह सारस से मिलने और उसे आजाद करवाने के लिए हाईकोर्ट की चौखट पर जाएंगे। उन्होंने कहा कि मुझे पूरी उम्मीद है कि कोर्ट उनका पक्ष समझेगा।