प्रयागराज निगम की ओर से जीआईएस सर्वे कराया गया था। पहले चरण में 93 हजार से अधिक भवनों का सर्वे हुआ था

उत्तर प्रदेश प्रयागराज

सफल समाचार 
आकाश राय 

प्रयागराज निगम की ओर से जीआईएस सर्वे कराया गया था। पहले चरण में 93 हजार से अधिक भवनों का सर्वे हुआ था और उसी के आधार पर गृहकर का निर्धारण किया गया था। इसकी वजह से गृहकर में 25 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी हो गई। कई भवनों का तो 10 गुना तक गृहकर बढ़कर आया।

बढ़े गृहकर एवं विसंगतियों को लेकर शहरियों को बड़ी राहत मिली है। जीआईएस सर्वे को निरस्त कर दिया गया है। इसके बजाय शहरी गृहकर का खुद मूल्यांकन करेंगे और उसी आधार पर तत्काल बिल जारी किया जाएगा। नगर निगम सदन की दूसरी बैठक में रविवार को इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। हालांकि, किसी ने गलत जानकारी दी तो उसे जुर्माने का भी भागी बनना होगा।

निगम की ओर से जीआईएस सर्वे कराया गया था। पहले चरण में 93 हजार से अधिक भवनों का सर्वे हुआ था और उसी के आधार पर गृहकर का निर्धारण किया गया था। इसकी वजह से गृहकर में 25 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी हो गई। कई भवनों का तो 10 गुना तक गृहकर बढ़कर आया। इसमें कई तरह की विसंगतियां भी सामने आईं। इसे लेकर शहरियों में नाराजगी रही और 10 हजार से अधिक लोगों ने आपत्ति भी दर्ज कराई।

पार्षदों की ओर से भी इसे लेकर लगातार आपत्ति जताई जा रही थी। पार्षद जीआईएस सर्वे को निरस्त कर स्व गृहकर मूल्यांकन व्यवस्था को लागू करने की मांग कर रहे थे। मांग पर इसे सदन की बैठक में भी शामिल किया गया। इस पर चर्चा के दौरान पार्षदों का कहना था कि जीआईएस सर्वे पर उनका विश्वास नहीं है। सभी पार्षदों ने जीआईएस सर्वे को निरस्त करने एवं स्व गृहकर मूल्यांकन की व्यवस्था लागू करने के प्रस्ताव का समर्थन किया। इसी क्रम में सदन में दोनों प्रस्ताव मंजूर कर लिए गए।

सदन में एक प्रारूप को भी मंजूरी दी गई। भवन स्वामियों को इस पर पूरी जानकारी देनी होगी। साथ ही शपथ पत्र भी देना होगा कि इसमें दी गई जानकारी पूरी तरह से सही है। गलत जानकारी देने पर जुर्माने के साथ अन्य कार्रवाई का भी प्रावधान किया गया है, जो निगम निर्धारित करेगा। यह व्यवस्था 2022-23 से लागू की जाएगी। जिन लोगों ने गृहकर जमा कर दिया है, लेकिन इससे संतुष्ट नहीं हैं, वे आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। महापौर गणेश केसरवानी ने इन प्रस्तावों को मंजूर किए जाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि गृहकर की अन्य विसंगतियों को भी दूर किया जाएगा। लोग आपत्ति दर्ज करा सकते हैं।

31 अक्तूबर तक देना होगा स्व गृहकर मूल्यांकन का शपथ पत्र
शहरियों को निर्धारित प्रारूप में स्व गृहकर मूल्यांकन का शपथ पत्र 31 अक्तूबर तक देना होगा। नगर निगम में शपथ पत्र देने पर तत्काल गृहकर निर्धारित कर बिल दे दिया जाएगा। इसे देखते हुए गृहकर में 10 प्रतिशत की छूट एवं ब्याज माफी योजना को भी 31 जुलाई से बढ़ाकर 31 अक्तूबर कर दिया गया है।

एकमुश्त समाधान योजना होगी लागू
वर्षों के एवं बड़े बकाएदारों के लिए एकमुश्त समाधान योजना लागू की जाएगी। सदन ने इसे भी मंजूरी दे दी। इसका प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा जाएगा। वहां से मंजूरी मिलने के बाद इसे लागू किया जाएगा।

 विस्तारित क्षेत्र के 25 हजार घरों में इसी वर्ष से लगेगा गृहकर
विस्तारित क्षेत्रों में भी इसी सत्र से गृहकर लागू होगा। हालांकि इस सत्र में उन्हीं क्षेत्रों में गृहकर लगेगा जहां निगम सभी तरह की सुविधाएं मुहैया करा रहा है। मुख्य कर निर्धारण अधिकारी पीके द्विवेदी ने सदन को बताया कि विस्तारित क्षेत्र में करीब एक लाख 15 हजार घर हैं। इनमें से 84 हजार का सर्वे हो गया है। शेष का सर्वे भी जल्द कर लिया जाएगा। 25 हजार भवन ऐसे क्षेत्रों में हैं जहां निगम की सभी तरह की सुविधाएं प्रदान की जा रही है। इनका गृहकर वित्तीय वर्ष 2023-24 से ही लिया जाएगा। अन्य क्षेत्रों में अगले सत्र से गृहकर लिए जाने की तैयारी है।

दाखिल खारिज कराना हुआ महंगा
प्रयागराज। गृहकर को लेकर तो शहरियों को राहत मिली है लेकिन नगर निगम में जमीन या भवन का दाखिल खारिज कराना महंगा हो गया है। पांच जुलाई को कार्यकारिणी की बैठक में ही दाखिल खारिज शुल्क में बढ़ोतरी का निर्णय लिया गया था। उसे नगर निगम सदन ने भी मंजूरी दे दी। इसके अनुसार अभी तक पांच लाख रुपये की संपत्ति पर एक हजार रुपये एवं पांच से 10 लाख तक की रजिस्ट्री पर दो हजार रुपये तथा 10 से 15 लाख रुपये रजिस्ट्री पर तीन हजार रुपये नामांतरण शुल्क लग रहा था लेकिन अब 15 लाख रुपये की रजिस्ट्री तक 5000 रुपये शुल्क लगेगा। अभी तक 15 से 50 लाख रुपये तक की रजिस्ट्री चार हजार रुपये देना होता था लेकिन अब 0.50 फीसदी नामांतरण शुल्क लगेगा। वहीं 50 लाख रुपये से अधिक की संपत्ति पर अभी 10 हजार रुपये लग रहे थे लेकिन अब एक फीसदी शुल्क लगेगा।

सदन में हुए ऐतिहासिक फैसले के तहत जीआईएस सर्वे को निरस्त कर दिया गया है। अब लोग स्वयं गृहकर का मूल्यांकन करके शपथ पत्र देंगे और उसी पर बिल जारी होगा। यह देश का पहला नगर निगम है, जहां स्वकर निर्धारण प्रणाली लागू होगी। इसकी काफी समय से मांग चल रही थी। बजट में महाकुंभ-2025 को ध्यान में रखकर भी प्रावधान किए गए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *