यूपी में मधुमेह की बीमारी अपने पैर फैला रही है। यदि आप 40 की उम्र पार कर गए हैं या उसके पास पहुंचने को हैं तो आपको जरुर एलर्ट हो जाना है।

उत्तर प्रदेश लखनऊ

सफल समाचार
मनमोहन राय

प्रदेश के विभिन्न चिकित्सा संस्थानों की ओपीडी में 40 की उम्र में मधुमेह रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसका सबूत राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे 5 की रिपोर्ट भी दे रही है। चिकित्सा विशेषज्ञ इस समस्या की बड़ी वजह तनाव और बदली जीवनशैली को मान रहे हैं। ऐसे में चिकित्सा संस्थानों की ओर से मधुमेह से बचने के लिए कई तरह के जागरूकता कार्यक्रम तैयार किए जा रहे हैं।

प्रदेश में मधुमेह के प्रारंभिक रोगियों की संख्या राष्ट्रीय औसत से तीन फीसदी ज्यादा है। केजीएमयू, पीजीआई और लोहिया संस्थान की ओपीडी में युवा मधुमेह रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। यहां की ओपीडी में आने वाले मधुमेह रोगियों में ज्यादातर मरीज 50 साल से अधिक उम्र के होते थे, लेकिन अब 35 से 50 साल के बीच वालों की संख्या बढ़ रही है। चिकित्सा विशेषज्ञ इसे बड़ी चुनौती मान रहे हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे 5 की रिपोर्ट भी यही सबूत दे रहे हैं। इस रिपोर्ट में एनएफएचएस- 4 की अपेक्षा एनएफएचएस-5 में युवा आबादी के मधुमेह होने की दर अधिक है। महिलाओं में 15 से 34 वर्ष के बीच उच्च मधुमेह वृद्धि की दर में 0.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जबकि 35 से 39 की उम्र वालों में 0.6 फीसदी, 40 से 44 वर्ष की उम्र वालोंं में 1.6 और 45 से 49 वर्ष की उम्र वालों में 1.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इसी तरह पुरुषों में मधुमेह रोगियों की संख्या में एनएफएचएस4 की अपेक्षा एनएफएचएस-5 में 15 से 34 वर्ष वालों के बीच औसतन 0.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन 35 से 39 वर्ष वालों में 0.4 फीसदी, 40 से 44 वर्ष वालों में 1.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

मुस्लिम में पुरुषों और हिंदू में महिलाओं में वृद्धि दर ज्यादा
एनएफएचएस 4 और 5 की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक हिंदू महिलाओं में मधुमेहग्रस्त रोगी बढ़ने की दर 0.6 फीसदी, मुस्लिम महिलाओं में 0.1 फीसदी है। पुरुष हिंदुओं में वृद्धि दर 0.1 और मुस्लिम पुरुषों की वृद्धि दर 0.7 फीसदी है।

30 मिनट तेज गति से टहलना जरूरी
युवाओं में शारीरिक कार्य के बजाय मानसिक कार्य करने की प्रवृत्ति बढ़ी है। तनाव बढ़ा है। पहले ज्यादातर मरीज 50 साल से अधिक उम्र वाले होते थे, लेकिन अब 35 वर्ष की उम्र वाले मरीजों की संख्या बढ़ रही है। 40 से 50 के बीच की संख्या ज्यादा है। ऐसे में खानपान में बदलाव की जरूरत है। फास्ट फूड छोड़कर मोटे अनाज का सेवन बढ़ाने, योगाभ्यास के जरिए शरीरिक श्रम की भरपाई करने की जरूरत है। सुबह करीब 30 मिनट तेज गति से पैदल चलकर इस समस्या को रोका जा सकता है।- प्रो नरसिंह वर्मा, विभागाध्यक्ष फैमिली मेडिसिन, केजीएमयू।

चुनौती के रूप में सामने है मधुमेह
ओपीडी में मधुमेह से ग्रसित होने वाले मरीजों में युवाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है। करीब पांच साल पहले 40 से 45 की उम्र वाले चार से पांच मरीज आते थे। अब इनकी संख्या बढ़कर 10 से 15 हो गई है। इसकी एक बड़ी वजह है कि प्रदेश में जांच का दायरा बढ़ा है। लोगों में मधुमेह को लेकर जागरूकता बढ़ी है। किसी भी तरह की समस्या होने पर तत्काल लोग जांच करा रहे हैं। लेकिन चिकित्सा क्षेत्र में मधुमेह बढ़ी चुनौती के रूप में सामने आ रहा है। जागरुकता अभियान बढ़ाने के लिए भी कार्ययोजना तैयार की जा रही है।- प्रो विक्रम सिंह, मेडिसिन विभागाध्यक्ष, लोहिया संस्थान

कई तरह के जागरूकता कार्यक्रम तैयार
मधुमेह के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। युवा आबादी इसकी चपेट में तेजी से आ रही है। उपचार से ज्यादा बचाव पर जोर देने की जरूरत है। मरीजों को मधुमेह से बचाव के लिए एसजीपीजीआई की ओर से पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। इंडोक्राइनोलॉजिस्ट सोसायटी की ओर से डिजिटल प्लेटफार्म पर सामग्री तैयार की जा रही है। कॉलेजों में जागरूकता कार्यक्रम चलाकर इस समस्या को बढ़ने से रोका जा सकता है। – डा. अजय शुक्ला, इंडोक्राइनोलॉजिस्ट

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