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सुनीता राय
गोड़धोइया नाला के जीर्णोद्धार कार्य का कमिश्नर अनिल ढींगरा ने निरीक्षण किया। अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंचे कमिश्नर ने इंटरसेप्शन डाइवर्जन और ट्रीटमेंट की जानकारी ली।
गोड़धोइया नाला के किनारे बीते 15 साल के भीतर बनने वाले मकानों के टूटने का डर सताने लगा है। लोगों ने सस्ती जमीन के लालच और प्रॉपर्टी डीलर के बहकावे में जमीन खरीदकर मकान बनवा लिए। अब नाले के सुंदरीकरण और चौड़ीकरण की वजह से कई मकानों के टूटने की नौबत आ गई है।
लोगों ने कुछ जमीनें स्थानीय प्राॅपर्टी डीलरों से खरीदीं तो कुछ ने काश्तकारों से सीधे बैनामा कराया। जमीन खरीदकर मकान बनाने वालों लोगों में ज्यादातर नौकरीपेशा हैं। रेलवे, पुलिस, पीएसी सहित अन्य विभागों से सेवानिवृत्त होने के बाद तो कुछ लोगों ने अपने पीएफ सहित अन्य लोन लेकर घर बनवाएं।
बीते एक हफ्ते से राजस्वकर्मी क्षेत्र में नाला के दोनों ओर जमीनों को चिह्नित करके सीमांकन कर रहे हैं। बिछिया मोहल्ले में पीएसी कैंप के सामने से बाईं तरफ जाने पर पीएसी के कांस्टेबल रामउग्रह, रेलवे कर्मचारी झीनका देवी, इंद्रेश प्रसाद समेत अन्य लाेगों के एक दर्जन से अधिक मकान हैं।
इसी क्षेत्र में सोनू का मकान है, जो पांच साल पूर्व बना है। सोनू ने कहा कि पहली बार जब लेखपाल अधिग्रहित क्षेत्र नापने आए तो बताया कि पांच मीटर जगह ली जाएगी। अब आधा मकान इसकी जद में आ गया है। मकान टूटने पर आधे मकान में कैसे रहेंगे। इस चिंता में मम्मी कई दिनों से ठीक से खाना नहीं खा रही हैं।