हिंदी विभाग के प्रो.संतोष भदौरिया कहते हैं, विभाग ने देश को कई दिग्गज कवि, कथाकार, एकांकीकार, आलोचक दिए। लक्ष्मी सागर वार्ष्णेय जैसे दिग्गजों ने हिंदी साहित्य का इतिहास लिखा

उत्तर प्रदेश प्रयागराज

सफल समाचार 
आकाश राय 

इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) का हिंदी विभाग अपनी स्थापना के शताब्दी वर्ष में प्रवेश करने जा रहा है। एक समय था, जब इस विभाग में हिंदी की पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम से होती थी। प्रगतिशील कविता के प्रमुख कवि केदारनाथ अग्रवाल ने अपने संस्मरण में उल्लेख किया है, विश्वविद्यालय में आने पर एकांकीकार डॉ.राम कुमार वर्मा ने जयशंकर प्रसाद की कृति कामायनी अंग्रेजी माध्यम से ही पढ़ाई थी।

जुलाई-1924 में स्थापित विभाग के पहले अध्यक्ष डॉ.धीरेंद्र वर्मा भी अपनी पुस्तक ‘मेरी कॉलेज डायरी’ में लिखते हैं, जुलाई-1927 में लेक्चर के पद पर नियुक्ति हुई थी। विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.कुमार वीरेंद्र बताते हैं, शुरुआत में डॉ.धीरेंद्र अकेले शिक्षक थे। इसके बाद डॉ.रामकुमार वर्मा आए। हिंदी की कक्षाएं, संस्कृत विभाग में ही चला करतीं थीं। वर्ष 1960 के बाद विभाग को अपना भवन मिला।

हिंदी विभाग के प्रो.संतोष भदौरिया कहते हैं, विभाग ने देश को कई दिग्गज कवि, कथाकार, एकांकीकार, आलोचक दिए। लक्ष्मी सागर वार्ष्णेय जैसे दिग्गजों ने हिंदी साहित्य का इतिहास लिखा। हिंदी विभाग के शिक्षक रहे दूधनाथ सिंह और पूर्व छात्र मार्कंडेय एवं कमलेश्वर ने कथाकार के रूप में दुनिया भर में विश्वविद्यालय को पहचान दिलाई। भाषा विज्ञानी डॉ.हरदेव बाहरी के योगदान से विभाग को अलग पहचान मिली।

विभाग से जुड़े प्रो.योगेंद्र प्रताप सिंह ने अयोध्या संस्थान के साथ मिलकर बुंदेली, भोजपुरी, बघेली में रामकथा लेखन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। साहित्यकार डॉ.धर्मवीर भारती, कवि-चित्रकार डॉ.जगदीश गुप्त, आलोचक प्रो.राम स्वरूप चतुर्वेदी, प्रो.सत्य प्रकाश मिश्र, पाठ संपादन के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान देने वाले माता प्रसाद गुप्त जैसे शिक्षकों और कवि वीरेन डंगवाल जैसे छात्र इसी विभाग से जुड़े थे।

बेल्जियम से आए फादर कामिल बुल्के ने हिंदी विभाग से माता प्रसाद के निर्देशन में ‘रामकथा: उत्पत्ति और विकास’ विषय पर शोध किया था, जो काफी चर्चित रहा। पूर्व विभागाध्यक्ष एवं वरिष्ठ आलोचक प्रो.राजेंद्र कुमार, गौरवशाली परंपरा के संवाहक बने हुए हैं। विभागाध्यक्ष प्रो.प्रणय कृष्ण कहते हैं, अगले वर्ष यानी वर्ष 2024 में हिंदी विभाग की स्थापना के सौ वर्ष पूरे होंगे। इस उपलक्ष्य में वर्षपर्यंत विविधतापूर्ण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

हिंदी विभाग में गल्प सम्मेलन का उद्घाटन करने आए थे प्रेमचंद
विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर कुमार वीरेंद्र कहते हैं, जब डॉ.रामकुमार वर्मा विभागाध्यक्ष थे, तब मुंशी प्रेमचंद यहां गल्प सम्मेलन का उद्घाटन करने आए थे। इसके एक वर्ष बाद आईं प्रेमचंद की पत्नी शिवरानी देवी ने प्रेमचंद के तैलचित्र का अनावरण किया था। विभाग से प्रकाशित कौमुदी नामक पत्रिका में प्रकाशन के लिए प्रेमचंद ने भी लेख भेजा था।

शताब्दी वर्ष का उद्घाटन समारोह आज
इविवि के हिंदी विभाग के शताब्दी वर्ष का उद्घाटन समारोह विश्वविद्यालय के तिलक भवन में 28 जुलाई को शाम पांच बजे आयोजित किया जाएगा। विभागाध्यक्ष प्रो.प्रणय कृष्ण के अनुसार समारोह में ‘समय और साहित्य’ विषयक व्याख्यान के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार अशोक बाजपेयी होंगे जबकि वरिष्ठ आलोचक प्रो.राजेंद्र कुमार अध्यक्षता करेंगे। इस अवसर पर विभाग की शोध पत्रिका अनुसंधान के विशेषांक का विमोचन भी होगा, जो आजादी के 75 वर्षों के साहित्य पर केंद्रित है।

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