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विश्वजीत राय
जिला पंचायत की ओर से 113 लगाए जाने हैं, 50 लगे, अधिकतर खराब
करीब दस करोड़ रुपये का एक साल पहले हुआ था टेंडर, करीब 50 ही लग पाए
जिला पंचायत प्रशासन ठेकेदार पर मेहरबान, सिर्फ नोटिस तक सिमटी कार्रवाई
कई गांवों में लगे वाटर एटीएम हुए खराब, एक साल बाद भी नहीं पूरा हुआ काम
कुशीनगर। जिला पंचायत प्रशासन और ठेकेदार की मिलीभगत से वाटर एटीएम लगाने के नाम में करोड़ों रुपये के गोलमाल करने की तैयारी चल रही है। टेंडर होने के एक साल बाद 50 फीसदी से अधिक वाटर एटीएम गांवों में नहीं लग सके हैं, जबकि इन्हें तीन महीने में ही लगा देना था। जिन गांवों में लगे हैं, उनमें अधिकांश खराब पड़े हैं। शिकायत के बाद भी ठेकेदार नहीं सुन रहा है। जिम्मेदारों ने कार्रवाई के नाम पर ठेकेदार को सिर्फ एक बार नोटिस जारी किया है, जिसका जवाब भी नहीं मिला है।
जिला पंचायत के 61 वार्डों में 15वें वित्त टाइड से एक साल पूर्व वाटर एटीएम लगाने का टेंडर किया गया था, लेकिन अब तक करीब 50 वाटर एटीएम ही ठेकेदार ने लगाया है। इसमें भी सात वाटर एटीएम लगने के कुछ ही दिन बाद खराब हो गए। जिला पंचायत सदस्यों की शिकायत के बाद भी ठीक नहीं कराया जा रहा है।
वार्ड संख्या-58 की जिला पंचायत सदस्य गरिमा सिंह ने जानकी नगर, करहिया मंदिर, नादह और साढ़ी खुर्द में वाटर एटीएम लगाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन अभी साढ़ी खुर्द में लगा है। बाकी जगहों पर नहीं लगा है। साढ़ी खुर्द में जो लगा भी है, वह 15 दिन बाद ही खराब हो गया। इसकी शिकायत तीन माह से जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी से हो रही है, लेकिन अब तक ठेकेदार ने ठीक नहीं कराया।
इसके अलावा हाटा के कुरमौटा में भी वाटर एटीएम खराब पड़ा है। वहीं, जिला पंचायत परिसर में लगा वाटर एटीएम भी बंद पड़ा है। कर्मचारियों की मानें तो दस दिन में ही इसका मोटर जल गया था।
एक वाटर एटीएम की कीमत करीब नौ लाख रुपये है और जनपद के सभी 61 वार्डों में कुल 113 वाटर एटीएम लगने हैं। टेंडर में दी गई शर्त के अनुसार तीन माह में वाटर एटीएम ठेकेदार को लगा देना था, लेकिन एक साल होने जा रहा है। 50 प्रतिशत भी वाटर एटीएम वार्डों में नहीं लगाए जा सके हैं।
सिर्फ नोटिस तक सिमटी कार्रवाई
जिला पंचायत की ओर से ठेकेदार को सिर्फ एक बार नोटिस दिया गया है, जबकि नियमानुसार टेंडर निरस्त होना चाहिए। कमीशन के चक्कर में कई करोड़ का विभाग की ओर से ठेकेदार को भुगतान भी कर दिया गया है। विभागीय मिलीभगत से ठेकेदार वाटर एटीएम लगाने के नाम पर सरकारी धन की बंदरबांट कर रहे हैं। यदि इसकी जांच गैरविभागीय अफसरों से करा दी जाए तो करोड़ों की धांधली उजागर हो सकती है।
वर्जन-
वाटर एटीएम लगाने के लिए टेंडर हुआ था। नियमानुसार तीन माह में लग जाना चाहिए, लेकिन ठेकेदारों ने अधिकांश मशीनें नहीं लगाई हैं। उसे नोटिस दिया गया है। जवाब नहीं मिलने पर टेंडर निरस्त कर फर्म को ब्लैक लिस्ट करने की कार्रवाई की जाएगी।