सफल समाचार
सुनीता राय
क्या बताऊं, मेरे बेटे की किसी से दुश्मनी नहीं थी। वह नशा भी नहीं करता था। सबसे हंसकर बातें करता था। वह सबके सामने पुतले की तरह धू-धू कर जल गया। बहुत चिल्लाई पर किसी का कलेजा नहीं पसीजा। एक बाल्टी पानी तक किसी ने नहीं डाला कि आग बुझ जाए। दिव्यांग सुरेंद्र की मौत पर इतना कहते ही मां मैना देवी बेसुध हो गईं। उनके आसपास खड़ी गांव की महिलाएं उन्हें संभालने में जुट गईं। सबकी आंखें नम थीं।
गोरखपुर-देवरिया रोड पर दुबियारी पुल पार करते ही सात टोलों वाले देवीपुर ग्राम पंचायत की सीमा शुरू हो जाती है। मुख्य सड़क से दाएं देवीपुर का स्कूल टोला है। इसी टोले में मृतक सुरेंद्र का दो कमरों का मकान है। पास में ही एक झोपड़ी है, जिसमें चारपाई पर दिव्यांग सुरेंद्र सोते थे। बगल के कमरे में उनकी मां मैना देवी रहती हैं। सुरेंद्र के छोटे भाई योगेंद्र गांव में अपने चाचा रामजीत के पास रहते हैं। मंगलवार की दोपहर 12.16 बजे झोपड़ी में ही मां मैना देवी लेटी थीं।
उनके पास में ही सुरेंद्र की बहन रीता और गांव की एक महिला भी थीं। रीता से जब घटना के बाबत कुरदने की कोशिश की गई तो बोलीं- जो बताना था, पुलिस को बता दिए हैं। भगवान सब जान रहा है और अब पुलिस जाने। तभी योगेंद्र की पत्नी भी गांव से आ गईं। इसी दौरान मैना देवी भी उठकर बैठ गईं और छाती पीटकर मारकर रोने लगीं। इसी बीच चौरीचौरा थाने से पुलिस भी आ धमकी। एक महिला कांस्टेबल ने सुरेंद्र बहन रीता से बोली, चलो थाने पर गोरखपुर से साहब आए हैं। कुछ बातचीत करेंगे। लेकिन भाई के फटकारने पर रीता ने थाने जाने से मना कर दिया।
बहन बोलना चाही तो भाई ने जड़े थप्पड़
प्रधान के घर पहुंचे थे मृतक के चाचा…अपशब्द भी कहे
घटना की छानबीन के लिए मंगलवार की दोपहर एसपी (नार्थ) चौरीचौरा थाने पहुंचे। हिरासत में लिए गए लोगों से पूछताछ की। पुलिस सूत्रों के अनुसार पूछताछ में हत्या में प्रधान के परिवार का हाथ है कि नहीं, सुरेंद्र की हत्या से किसे और कितना फायदा होगा? मां और बेटे के तहरीर देने के बजाय मृतक की बहन से प्रार्थना पत्र क्यों दिलाया गया? इन बिंदुओं पर पुलिस गहनता से छानबीन कर रही है।