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सुनीता राय
सीएमओ डॉ. आशुतोष दूबे ने बताया कि इन लापता डॉक्टरों को कई बार नोटिस भेजा चुका है। शासन को भी इस स्थिति से अवगत कराया गया है। डॉक्टरों की कमी के कारण ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों में दिक्कत होती है। जहां डॉक्टर नहीं हैं, वहां सीएचसी के डॉक्टरों को संबद्ध करके काम चलाया जाता है।
गोरखपुर जिले के सरकारी अस्पतालों मेंं तैनात 40 डॉक्टर करीब चार साल से लापता हैं। स्वास्थ्य विभाग परेशान है कि ग्रामीण इलाकों में डॉक्टरों की कमी कैसे पूरी की जाए। दरअसल गायब डॉक्टरों के बारे में कोई आधिकारिक सूचना भी नहीं है। माना जा रहा है कि ये सभी डॉक्टर कहीं न कहीं प्राइवेट प्रैक्टिस में लगे होंगे। इन डॉक्टरों ने अभी तक अधिकृत रूप से अपना त्यागपत्र भी नहीं भेजा है।
जिले के ग्रामीण क्षेत्र में 21 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और 57 नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। इसके अलावा शहरी क्षेत्र में भी 23 अर्बन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। इन अस्पतालों में कुल मिलाकर 162 डॉक्टरों की तैनाती है। लेकिन इनमें से 40 डॉक्टर चार साल से अनुपस्थित चल रहे हैं। इस वजह से ग्रामीण क्षेत्र के कई अस्पतालों में डॉक्टर ही नहीं हैं। इसका सबसे अधिक असर नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर पड़ रहा है।
कई जगह अस्पतालों को संचालित करने के लिए दूसरे जगह के डॉक्टरों को अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। अनुपस्थित चल रहे इन डॉक्टरों ने अभी तक न तो विभागीय प्रारूप पर अपना त्यागपत्र दिया है और न ही अपने किसी अन्य कार्य में लगे होने की ही सूचना दी है।