गुलामी की मानसिकता से मुक्त नहीं हो पाया सोनभद्र- दीपक कुमार केसरवानी

उत्तर प्रदेश सोनभद्र

सफल समाचार गणेश कुमार

गुलामी की मानसिकता से मुक्त नहीं हो पाया सोनभद्र-दीपक कुमार केसरवानी

सोनभद्र-आजादी के 75 साल बाद जब सारा देश अमृत महोत्सव के जश्न में डूबा हुआ है और स्वतंत्रता दिवस की 76वीं वर्षगांठ पर देशवासी जश्न मनाने की तैयारी कर रहे हो, ऐसे में सोनभद्र जनपद के ब्रिटिश नाम वाले नगर, भवन, स्मारक अपने अंग्रेजी अधिकार का दावा ठोकते हुए प्रतीत हो रहे हैं। और आज भी अमृत काल में हम अंग्रेजी की गुलामी से मुक्त नहीं हो पाए हैं। इसका प्रमाण है जनपद सोनभद्र के अंग्रेजी नाम वाले नगर। विंध्य संस्कृति शोध समिति उत्तर प्रदेश ट्रस्ट के निदेशक एवं इतिहासकार दीपक कुमार केसरवानी के अनुसार-“वर्तमान बिल्ढम गंज का प्राचीन नाम मूडी सेमर था, मुगल काल में यहां के स्थानीय राजा और मुगलों में युद्ध हुआ जिसमें स्थानीय राजा वीरगति को प्राप्त हुआ और उसका मुंडी कटकर सेमल के वृक्ष के नीचे गिरा, धड़ वही पड़ा रह गया इसके बाद से इस क्षेत्र का नाम मुड़ी सेमर पड़ा गया। आज भी स्थानीयजन एक चौरा को मूडी सेमर बाबा के नाम से पूजते हैं।ब्रिटिश शासन काल में सन 1901 में पी बिल्ढम मिर्जापुर के जिलाधिकारी बनकर आए और दुद्धी क्षेत्र के स्थानीय समस्याओं की निदान, आदिवासियों को शोषण से मुक्ति दिलाने हेतु 1903 में आए और यहीं पर दुद्धी क्षेत्र की गतिविधियों का अध्ययन किया और यहां की गरीबी, लाचारी, बेबसी, आदिवासियों की दशा देखकर उन्हें निशुल्क राशन, मिट्टी का तेल, कपड़ा आदि का वितरण कराया और संचालित पाठशाला का निरीक्षण किया।सन् 1905 में दोबारा इस क्षेत्र में आए और सड़कों आदि का निर्माण करने का वादा किया, और मूडी सेमर गांव में उन्होंने प्रवास किया उन्हीं के नाम पर इस गांव का नाम बिल्ढमगंज हो गया।सन् 1870- 71 में संयुक्त प्रांत आगरा- अवध के लेफ्टिनेंट गवर्नर मिस्टर डब्लू म्योर दुद्धि के प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार एवं भूमि समस्याओं के निदान के लिए आए और कुछ दिन रह कर यहां के लोगों से संवाद स्थापित कर यहां की स्थानीय समस्याओं को जाना और उसे पर विचार- परामर्श किया। कालांतर में जिस स्थान पर वह ठहरे थे उस स्थान को म्योरपुर के नाम से जाना जाता है। आज म्योरपुर एक नगर के रूप में विकसित है।सन्1846 के पूर्व मिर्जापुर का कुसाचा तहसील शाहगंज में संचालित था, बरसात के दिनों में इस क्षेत्र में धान के खेत एवं बेलन नदी के ऊपर पुल न बनने के कारण या क्षेत्र जलमग्न जाता था और उसाचा तहसील मुख्यालय मिर्जापुर से बरसात के महीना में कट जाता था और स्थानीय को प्रशासनिक कार्यों में दिक्कत होती थी इस परेशानी को मध्य नजर रखते हुए अदालगंज के मुखिया भूरा लाल केशरवानी ने मिर्जापुर के कलेक्टर को स्थानीय समस्याओं से अवगत करते हुए एक पत्र लिखा और कुछ अच्छा तहसील को स्थानांतरित करने की मांग किया। कलेक्टर ने उसे पत्र पर कार्रवाई करते हुए मिर्जापुर के उप जिलाधिकारी को नई तहसील की स्थापना के लिए भूमि सर्वे के लिए भेजा, डब्लू बी रॉबर्ट अदलगंज के मुखिया भूरालाल केसरवानी से विचार परामर्श करके उनके साथ सर्वे किया सर्वे के उपरांत उन्होंने एक ऐसी भूमि का चयन किया जो कछुए की आकार का हो और बरसात का पानी चारों तरफ से सरक कर निकल जाए। सर्वे के पश्चात उन्होंने वर्तमान रॉबर्ट्सगंज चौराहे पर रॉबर्ट्सगंज नगर की स्थापना किया और इस नगर का प्रथम नागरिक अदलगंज के निवासी जगन्नाथ साहू को बनाया कालांतर में अदलगंज का बाजार और लोग रॉबर्ट्सगंज में आकर बसने लगे और यह क्षेत्र विकसित होने लगा, रॉबर्ट्सगंज की स्थापना के बाद कुसाचा तहसील के स्थानांतरण एवं स्थापना के लिए भी मिस्टर डब्लू वी रॉबर्ट् ने जिलाधिकारी मिर्जापुर से अनुमति लेकर वर्तमान पुरानी तहसील रोड पर तहसील एवं पुलिस थाने का निर्माण शुरू कराया शाहगंज में संचालित कुसाचा तहसील और थाना रॉबर्ट्सगंज भवन में स्थानांतरित हो गया। और सन 1854 इस तहसील का नाम संस्थापक डब्ल्यू बी रॉबर्ट्स के नाम पर रॉबर्टसगंज हो गया।आजादी के पहले ही क्रांतिकारी, देशभक्त बलराम दास केसरवानी के नेतृत्व में जनपद सोनभद्र मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज का नाम बदलने के लिए आंदोलन शुरू हो चुका था, आजादी के बाद प्रख्यात समाजवादी चिंतक, विचारक राम मनोहर लोहिया जब सोनभद्र के भ्रमण पर आए थे तो उन्होंने एक बैठक में कहा था कि-” आजादी के बाद भी हम अंग्रेजी मानसिकता के गुलाम बने हुए हैं, सरकार को चाहिए कि अंग्रेजी नाम वाले नगर, स्मारक, सड़क का नामकरण भारतीय महापुरुषों के नाम पर होना चाहिए।”उन्होंने सरकार को सुझाव दिया था कि विंढमगंज का नामकरण मां विंध्यवासिनी के नाम पर विंध्यमगंज, म्योरपुर का नामकरण मयूरपुर करके इन नगरों का भारतीयकरण किया जाए। लेकिन आजादी के 75 साल बाद भी इस भारतीय नेता का सपना पूरा नहीं हुआ।नागरिकों सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से मांग किया कि अंग्रेजीकरण वाले नगरों का भारतीयकरण करके देशभक्ति क्रांतिकारियों का सपना पूरा करना चाहिए।

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