सफल समाचार
सुनीता राय
गोरखपुर कैंट-बाल्मिकीनगर रेल खंड पंजाब से लेकर असम तक को जोड़ता है। इस मार्ग से पूर्वी एवं पूर्वोत्तर भारत को अनाज, फर्टिलाइजर, सीमेंट, कोयला, लोहा आदि की ढुलाई कम समय में हो सकेगी। इसके अलावा उत्तर प्रदेश एवं बिहार के कृषि बाहुल्य क्षेत्र से जूट, गन्ना मक्का उत्पादों को बाजार के लिए कनेक्टिविटी बेहतर होगी।
अब नेपाल बाॅर्डर से जोड़ने वाली गोरखपुर-वाल्मीकिनगर-नरकटियागंज रेल मार्ग का दोहरीकरण हो जाएगा। वाल्मीकिनगर से मुजफ्फरपुर तक का काम पहले से चल रहा है। गोरखपुर कैंट-वाल्मीकिनगर तक के हिस्से के दोहरीकरण की मंजूरी मिल गई है। तीन साल में काम पूरा करना है। रेल मंत्रालय के प्रस्ताव पर आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी ने बुधवार को 1269.8 करोड़ रुपये के बजट को मंजूर कर दिया। इस लाइन के दोहरीकरण होने से समय की बचत होगी। साथ ही, इस लाइन पर ट्रेनों की संख्या भी बढ़ जाएगी।
पूर्वोत्तर रेलवे के महाप्रबंधक चंद्रवीर रमण ने बुधवार को अपने सभागार में पत्रकार वार्ता में इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गोरखपुर कैंट-वाल्मीकिनगर (95.95 किमी.) खंड के दोहरीकरण का प्रस्ताव दो साल पहले भेजा गया था, अब मंजरी मिल गई है। गोरखपुर कैंट-वाल्मीकिनगर रेल खंड की लाइन क्षमता का 146 प्रतिशत उपयोग हो रहा है।
दोहरीकरण परियोजना के पूरा होने पर उपयोग क्षमता में करीब 15 प्रतिशत की वृद्धि हो जाएगी। मतलब अभी जो गाड़ियां चल रही हैं, उससे 15 प्रतिशत अधिक गाड़ियां चलाई जा सकेंगी। दोहरीकरण के बाद सवारी गाड़ी व माल गाड़ियों की औसत गति में सुधार आएगा। वे पहले से कम समय में गंतव्य तक पहुंचेंगी। इसका लाभ यात्रियों को मिलेगा। उन्होंने कहा कि इसका अधिक फायदा गोरखपुर, महराजगंज, कुशीनगर और बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले को होगा।