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मनमोहन राय
उप्र परिवहन निगम के कानपुर स्थित प्रशिक्षण संस्थान में प्रदेश में होने वाली दुर्घटनाओं की समीक्षा के बाद चार प्रमुख कारण चिह्नित किए हैं। इसके बाद परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने दुर्घटनाओं की केंद्रीयकृत सॉफ्टवेयर बनाकर उसके माध्यम से त्वरित समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि इसके जरिए दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए बेहतर योजना बनाने में मदद मिलेगी। सड़क दुर्घटनाओं को रोकना प्रदेश सरकार की प्राथमिकता है। इसके लिए प्रदेश सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है।
प्रशिक्षण संस्थान ने जनवरी, 2022 से जुलाई 2023 तक (19 माह) में हुए सड़क हादसों का अध्ययन किया। इसमें पता चला कि प्रदेश में 35.15 प्रतिशत दुर्घटनाएं मोटर साइकिल, साइकिल, पैदल व्यक्ति, जानवर आदि के अचानक आने से होती हैं। 18.63 प्रतिशत दुर्घटनाएं पीछे से टकराने से, 18.41 प्रतिशत दुर्घटनाएं अचानक मुड़ने पर, गलत लेन पर चलने पर, असुरक्षित लेन परिवर्तन करने पर, लापरवाहीपूर्वक चलने पर, खतरनाक ड्राइविंग, अनुचित मोड़, ट्रैफिक सिगनल से होती हैं।
वहीं 17.25 प्रतिशत दुर्घटनाएं आमने-सामने टकराने से होती हैं। यह भी सामने आया कि 41.14 प्रतिशत दुर्घटनाएं सुबह छह बजे से लेकर दोपहर तीन बजे तक, जबकि 17.61 प्रतिशत दुर्घटनाएं दिन में 12 बजे से तीन बजे के बीच होती हैं। परिवहन निगम ने दुर्घटनाओं की त्वरित जानकारी के लिए आईआरएस (इंसिडेंट रिपोर्टिंग सिस्टम) बनाया गया है। परिवहन मंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि निगम बसों के सभी चालकों को और अधिक प्रशिक्षित किये जाने की आवश्यकता है। इन कारणों से स्पष्ट है कि चालकों को मोटर साइकिल, साइकिल, पैदल व्यक्ति एवं जानवर की गतिविधियों को भांपते हुए सावधानीपूर्वक वाहन चलाने की आवश्यकता है।
इन वजहों से हादसे ज्यादा
परिवहन निगम के कानपुर स्थित प्रशिक्षण संस्थान ने सोमवार को दुर्घटनाओं की समीक्षा कर आंकड़े जारी किए। अफसरों ने बताया कि सुबह छह से दोपहर तीन बजे तक पीक ऑवर में सर्वाधिक दुर्घटनाएं होती हैं। इन्हीं नौ घंटों में 41.14 प्रतिशत बस हादसे होते हैं। इसका मुख्य कारण सुबह की झपकी आना है। पिछले वर्ष जनवरी से इस साल जुलाई तक के आंकड़े के अनुसार, 35.15 प्रतिशत दुर्घटनाएं, बाइक, साइकिल, पैदल, जानवर के अचानक रोड पर आने से होती है, जबकि 18.63 फीसदी बस के पीछे से टक्कर होने व 18.41 प्रतिशत दाहिने-बायें मुड़ने, गलत लेन पर चलने, असुरक्षित लेन परिवर्तन, लापरवाहीपूर्ण ड्राइविंग से होती हैं। इसी तरह 17.25 प्रतिशत हादसे आमने-सामने की टक्कर से होते हैं।