एएसपी मानुष पारिक ने कहा कि सीडीआर आने के बाद जांच में तेजी आएगी। पुलिस एक-एक पहलु पर जांच कर रही है

उत्तर प्रदेश गोरखपुर

सफल समाचार 
सुनीता राय 

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में मजदूरों के खून बेचने वाले पूरे रैकेट को खोलने के लिए पुलिस सीसीटीवी कैमरे और सीडीआर की मदद लेने की तैयारी में है। इसके लिए पुलिस ने मेडिकल कॉलेज प्रशासन से संपर्क साधा है। जल्द ही पुलिस, फुटेज और सीडीआर की मदद से पूरे नेटवर्क तक पहुंच जाएगी। हालांकि अभी पुलिस संदिग्धों की भूमिका की जांच कर रही है। खबर है कि उनके खिलाफ साक्ष्य मिलने के बाद ही पुलिस उनकी गर्दन दबोचेगी, ताकि कार्रवाई पर कोई सवाल न उठने पाए।

जानकारी के मुताबिक, महराजगंज के निवासी मजदूर गोरख के खून को बेचा गया था। उसकी शिकायत के बाद ही पुलिस ने खून माफिया तिवारीपुर के बिंद तोला निवासी वसील खान व एजेंट महराजगंज के फरेंदा निवासी केशर देव को गिरफ्तार किया था।

पूछताछ में आरोपियों ने स्वीकार किया है कि पिछले छह महीने में 50 से ज्यादा लोगों को खून निकलवाकर दिया है। लेकिन वे कौन हैं और किसकी मदद से उन्हें स्वैच्छिक रक्तदाता बनाकर खून निकलवाकर बेच भी दिया गया, पुलिस उनके बारे में जानकारी जुटा रही है।

 उधर, मंगलवार को ही मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने भी साफ कर दिया है कि ब्लड बैंक में गोरख का रक्तदान संबंधी कोई रिकॉर्ड नहीं है, जबकि उसने वहीं पर रक्तदान की बात कही है। अब पुलिस इसी गुत्थी को सुलझाने के लिए ब्लड बैंक का सीसीटीवी फुटेज देखना चाहती है। अगर गोरख वहां गया होगा तो उसका फुटेज जरूर होगा। पुलिस को आरोपियों के सीडीआर का इंतजार है, जिसकी मदद से यह पता चलेगा कि वह किस-किस से संपर्क में रहते थे।

मेडिकल कॉलेज प्रशासन से अभी पुलिस को एक महीने में रक्तदान करने वालों की सूची भी नहीं मिली है। लेकिन, इसके लिए पुलिस जल्दबाजी नहीं कर रही है, क्योंकि सीडीआर और फिर इस नाम का मिलान कर पुलिस पूरे नेटवर्क को खोलने की तैयारी में है।
एएसपी मानुष पारिक ने कहा कि सीडीआर आने के बाद जांच में तेजी आएगी। पुलिस एक-एक पहलु पर जांच कर रही है। जल्द ही सीसीटीवी कैमरा भी देखा जाएगा। पूरे नेटवर्क में जो भी लोग शामिल हैं, सभी की जांच कर पुलिस गिरफ्तारी करेगी।

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