जिले की सड़कों पर बने गड्ढों से परेशान लोगों को अभी कुछ दिन और परेशान होना पड़ेगा

उत्तर प्रदेश कुशीनगर

सफल समाचार 
विश्वजीत राय 

पीडब्ल्यूडी की विभिन्न सड़कों पर तीन सौ से अधिक गड्ढे, बरसात बाद 125 की शुरू होगी भराई, मिले एक करोड़ रुपये

पडरौना। जिले की सड़कों पर बने गड्ढों से परेशान लोगों को अभी कुछ दिन और परेशान होना पड़ेगा। क्योंकि नगर समेत पीडब्ल्यूडी की विभिन्न सड़कों की मरम्मत के लिए शासन की तरफ से एक करोड़ रुपये मिले हैं। बरसात के बाद इन गड्ढों का मरम्मत कार्य कराया जाएगा। इसके अलावा प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत निर्माणाधीन 14 सड़कों का निर्माण कार्य भी बरसात के बाद शुरू हो जाएगा।

इन सड़कों का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद लोगों का आवागमन शुरू हो जाएगा। यानी इसमें अभी करीब एक माह का समय लगेगा। इसलिए अभी गड्ढायुक्त सड़कों पर हिचकोले खाइए। बरसात बाद इस समस्या से निजात मिलेगी।

पीडब्ल्यूडी की सड्कों में तीन सौ से अधिक गड्ढे हैं। इनमें से 125 गड्ढों को भरने के लिए विभाग को एक करोड़ रुपये मिले हैं। इससे लोगों का आवागमन सुगम हो जाएगा। इसी तरह जिले में 14 प्रधानमंत्री सड़कों का निर्माण कार्य भी बरसात बाद शुरू हो जाएगा। इन सड़कों में से अधिकांश की एफडीआरएफ रिपोर्ट भी मिल चुकी है।
नगर के अलावा कप्तानगंज से पकड़ियार विशुनपुर होते हुए महराजगंज जिले के घुघली, सिसवा जाने वाली सड़क गड्ढे में तब्दील है। इस पर जलभराव होने के कारण राहगीरों और स्कूली बच्चों को काफी दिक्कत हो रही है।

पडरौना कठकुइयां मार्ग से जटहां रोड तक पीडब्ल्यूडी की सड़क है। इस मार्ग पर बेलवा चुंगी से लेकर अंबे चौक तक कई दर्जन गड्ढे हैं। इसके अलावा जटहां रोड पर जहां से आरसीसी सड़क समाप्त हो रही है, वहां क्षतिग्रस्त होने से चार से पांच की संख्या में करीब दो-दो फीट के गड्ढे बन गए हैं। हल्की बारिश होने पर भी उन गड्ढों में पानी भर जाता है।

बेलवा चुंगी निवासी साहब अली, नाजिर अली, हरिलाल कुशवाहा, जाकिर अली ने बताया कि बेलवा चुंगी से कटनवार रोड मोड़ के कुछ आगे तक सात से आठ जगह गड्ढे बने हैं। बारिश होने पर पानी भर जाता है। इसमें हर दिन बाइक सवार के अलावा पैदल आने-जाने वाले गिरकर चोटिल होते हैं।
सामान्य दिनों में भी सड़क पर गड्ढों की वजह से सुबह से लेकर शाम तक कई बार जाम लगता है। बड़े वाहन तो आराम से निकल जाते हैं, लेकिन बाइक सवार आगे निकलने के चक्कर में हर दिन गिरते हैं। जाम लगने के दौरान हर दिन एक-दूसरे के बीच झड़प होती है।

इसी तरह जटहांरोड निवासी अरविंद गुप्ता, मनीष गुप्ता, अनिरुद्ध यादव खिरकिया, जटहां बाजार, पड़री, महदेवा, भैरोगंज के अलावा यह सड़क बिहार को जोड़ती है। जहां तक आरसीसी है, वहां तक तो सड़क कुछ ठीक है, लेकिन पिच सड़क के पहले चार से पांच की संख्या में दो-दो फीट के गड्ढे बने हैं। इसमें बारिश होने पर पानी भर जाता है। इससे आवागमन में परेशानी होने के साथ ही लोग गिरकर चोटिल भी होते हैं।
शुक्रवार की सुबह ही गड्ढे की वजह से दो बाइक सवार अनियंत्रित होकर गिर गए थे। उन्हें हल्की चोट आई थी। रक्षाबंधन के दिन भी तीन बाइकें और दो साइकिल सवार अनियंत्रित होकर गिर गए थे। उन्हें भी हल्की चोट आई थी। आसपास के लोग उन्हें उठाकर कुछ देर तक बैठाकर चाय पिलाए। उनकी हालत सामान्य होने पर भेजा गया। इस तरह की घटनाएं होना यहां आम बात है।

मंसाछापर गांव से डुमरी गांव को जोड़ने वाली पिच सड़क भी क्षतिग्रस्त होकर गड्ढे में तब्दील हो चुकी है। लोक निर्माण विभाग की तरफ से इसका टेंडर भी कर दिया गया है। उसके बाद भी अधूरी सड़क का निर्माण नहीं हो रहा है।

यह सड़क ब्लॉक मुख्यालय विशुनपुरा को जोड़ती है। इस रास्ते हिरनही, डुमरी, बेतिया समेत कई गावों लोग आवागमन करते हैं। डुमरी गांव के प्रधान प्रतिनिधि राजीव मिश्र, संदीप मिश्र, बेतिया गांव के प्रधान प्रतिनिधि उदयभान गौड़, दिनेश भारती आदि ने बताया कि सड़क इतनी खराब है कि इस रास्ते आने-जाने में काफी दिक्कत होती है।
कप्तानगंज-पकड़ियार विशुनपुर पिच सड़क जर्जर होने से राहगीरों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। बीच सड़क पर बने तीन-तीन फीट गड्ढों में बरसात के समय जलभराव हो जाता है। इसके चलते राहगीर तो परेशान होते ही हैं। सबसे अधिक परेशानी स्कूली बच्चों को होती है। बच्चे इन गड्ढों में गिरकर चोटिल हो जाते हैं।

कस्बे के डीसीएफ चौक से हसनगंज, भीऊरा के रास्ते महाराजगंज जिले के कोटिया, पकड़िया विशनपुर, खुटा मैदान, मेदनीपुर, भुवन भुवनी होते हुए घुघली और सिसवा बाजार को यह सड़क जोड़ती है। महराजगंज जनपद के विभिन्न गांवों के लोग इसी रास्ते प्रतिदिन कप्तानगंज में व्यवसाय करने आते हैं। कस्बे के विभिन्न स्कूलों में इन गांवों के बच्चे साइकिल से पढ़ने आते हैं। सड़क जर्जर होने से इन्हें दिक्कत होती है। हसनगंज गांव के पास तीन-तीन फीट के गड्ढे हो गए हैं। बारिश होने पर उसमें पानी भर जाता है, जिसमें साइकिल और बाइक सवार गिरकर चोटिल हो जाते हैं।

कोटिया गांव के आशुतोष यादव ने बताया कि दूध का व्यवसाय करते हैं। उसे बेचने के लिए हर दिन सुबह और शाम कप्तानगंज जाना पड़ता है। सुबह तो किसी तरह कप्तानगंज पहुंच जाते हैं, लेकिन शाम को जाने में परेशानी होती है। रक्षाबंधन के दिन शाम को ही दूध की बाल्टी लेकर गड्ढे में बाइक समेत गिर गए थे। हल्की-फुल्की चोट भी लगी। सारा दूध भी गिर गया।

कप्तानगंज कस्बे में किराए पर रहने वाले प्राथमिक विद्यालय पकड़िया विशनपुर स्कूल में तैनात राजेंद्र सिंह, अभिषेक अवस्थी, अर्चना सिंह, राजकुमार सिंह, अवनीश सिंह शिक्षकों ने बताया कि कस्बे से प्रतिदिन स्कूल जाते हैं। स्कूल जाने के लिए यही एक रास्ता है। हरदिन छोटी-मोटी दुर्घटनाएं होती रहती हैं। गनीमत रही कि अब तक कोई बड़ी घटना नहीं हुई।

हसनगंज निवासी रमई सिंह, रामनाथ सिंह, हेमई टोला निवासी ध्रुव नारायण, राजेंद्र, मेदनीपुर निवासी उमेश तिवारी महेंद्र सिंह, खोटा मैदान निवासी राकेश और कप्तानगंज निवासी झीनकु कुशवाहा, प्रभाकर आदि ने बताया कि कप्तानगंज के कई लोगों की खेती इस सड़क के किनारे है। खेती कार्य के लिए ट्रैक्टर और कृषि यंत्र इसी रास्ते ले जाना पड़ता है। इससे लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
इस संबंध में लोक निर्माण कसया के अधिशासी अभियंता सुरेंद्र सिंह ने कहा कि सड़क की जांच के लिए विभाग के इंजीनियर को भेज कर जानकारी ली जाएगी। लोगों की समस्याओं का सावधान करने की पूरी कोशिश की जाएगी।

प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क निर्माण कार्य भी बरसात बाद
पडरौना। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत एफडीआर तकनीक से इस वित्तीय वर्ष में अब तक कुल 17 सड़कों के निर्माण की स्वीकृति मिली थी। इसमें से दो सड़कों का निर्माण कार्य पूरा करा लिया गया है। शेष सड़कें निर्माणधीन हैं। इनमें से सात सड़कों की निर्माण सामग्री जांच के लिए प्रयोगशाला भेजी गई थी। इसमें से कुछ की जांच रिपोर्ट मिल गई, शेष की रिपोर्ट भी शीघ्र ही मिलने की उम्मीद है। इन सड़कों का निर्माण कार्य भी बरसात बाद शुरू हो जाएगा।
विभागीय अधिकारियों की मानें तो खड्डा ब्लॉक की तीन सड़कों में एक का आरसीसी कार्य पूरा हो चुका है। शेष दो सड़कों की जांच के लिए निर्माण सामग्री प्रयोगशाला भेजी गई है। विशुनपुरा ब्लॉक की कुल तीन सड़कों में से दो सड़कों की भेजी गई एफडीआर रिपोर्ट मिल गई है। इसका निर्माण कार्य बरसात बाद शुरू हो जाएगा।

इसी तरह नेबुआ नौरंगिया क्षेत्र की निमार्णाधीन एक सड़क की भी एफडीआर रिपोर्ट मिली है। हालांकि, तकुहीराज क्षेत्र की तीन, विशुनपुरा, सेवरही, फाजिलनगर, मोतीचक व सुकरौली की एक-एक और खड्डा, रामकोला और तमकुहीराज ब्लॉक क्षेत्र की दो-दो सड़कों की निर्माण सामग्री जांच के लिए प्रयोगशाला भेजी गई है। इन सड़कों की जांच रिपोर्ट भी शीघ्र मिलने वाली है।

कोट
पीडब्ल्यूडी की सड़कों को गड्ढामुक्त करने के लिए प्रस्ताव भेजा गया था। इसमें से विभिन्न सड़कों पर बने 125 गड्ढों की पैचिंग के लिए एक करोड़ रुपये प्राप्त हो गए हैं। पैचिंग के लिए सभी प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई, लेकिन बरसात के चलते कार्य शुरू नहीं कराया जा रहा है। बरसात के समय कार्य होने से तारकोल उखड़ने की आशंका रहती है। बरसात समाप्त होते ही इन गड्ढों की पैचिंग का कार्य शुरू करा दिया जाएगा।

मृत्युंजय कुमार, एक्सईएन, पीडब्ल्यूडी, कुशीनगर।
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क निर्माण योजना के तहत सभी सड़कें एफडीआर तकनीक से बननी हैं। इसमें कुछ का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है। अधूरी बची सड़कों का निर्माण कार्य भी तेजी से कराए जाने के लिए विभागीय कार्रवाई की जा रही है। जांच के लिए भेजे गए अधिकांश की एफडीआर रिपोर्ट भी मिल चुकी है। शेष की रिपोर्ट भी शीघ्र मिलने की उम्मीद है। बरसात समाप्त होते ही सभी सड़कों का निर्माण कार्य शुरू करा दिया जाएगा।

सुरेंद्र प्रताप, एक्सईएन, आरईएस, कुशीनगर।
राहगीरों ने बयां की पीड़ा
पडरौना नगर में सबसे खराब हालत बाईपास सड़क की है। इसकी जब तक सही से मरम्मत नहीं होगी, तब तक राहगीरों की परेशानी कम नहीं होगी।

 वाजिद अली, दुकानदार, बाईपास मार्ग
सड़क क्षतिग्रस्त होने से हर दिन छोटी-मोटी दुर्घटनाएं हाेती रहती हैं। आसपास के लोगों में हमेशा बड़ी दुर्घटना होने का भय बना रहता है। इस सड़क की मरम्मत के लिए विभागीय अधिकारियों को सक्रियता दिखानी चाहिए।

आशुतोष यादव निवासी कुटिया
मेरे परिवार के बच्चे पडरौना के एक स्कूल में पढ़ते हैं। उन्हें हर रोज छोड़ना और लाना पड़ता है। शुक्रवार को उन्हें लेने गए थे। उसी दौरान बाईपास सड़क पर अनियंत्रित हो गया था। गनीमत रही कि बाइक को संभाल लिया, नहीं तो बच्चों को चोट लग गई होती।

रितेश गुप्त, निवासी मंसाछापर
क्षतिग्रस्त सड़क की मरम्मत के लिए जनप्रतिनिधियों से लेकर विभागीय अधिकारियों को कई बार शिकायती पत्र दिया गया। लेकिन अब तक कोई सकारात्मक पहल होती नहीं दिखी। अधिकारियों को इन सड़कों पर बने गड्ढों की मरम्मत के लिए गंभीरता दिखानी चाहिए।

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