नेपाल से भारत लाए जाने वाले गर्म मसालों के पैकेट में सोने की छोटी-छोटी खेप भेज रहे हैं

उत्तर प्रदेश गोरखपुर

सफल समाचार 
सुनीता राय 

गोरखपुर एडीजी के ड्रोन और युवा मित्रों के अभियान के जरिए सख्ती के बाद से अवैध सोने के धंधेबाजों ने सोने की तस्करी का तरीका बदल दिया है। अब वे नेपाल से भारत लाए जाने वाले गर्म मसालों के पैकेट में सोने की छोटी-छोटी खेप भेज रहे हैं। नए तरीके से सोना खपाने में धंधेबाजों को दिक्कत भी नहीं हो रही। गर्म मसालों के 200 व 500 ग्राम के खुले पैकेट में सोना पैक कर भेजा जा रहा है। यही वजह है कि जांच एंजसियां भी धरपकड़ में चूक जा रही हैं।

जांच एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक, अवैध सोने को खपाने वाले धंधेबाज अलग-अलग साइज में सोने का स्टॉक मंगवाते हैं। जैसे 500 ग्राम सोने को ढाई गुणे तीन इंच के आकार में ढाल लिया जाता। इसके अलावा एक हजार ग्राम को ढाई से छह इंच के आकार में गला लेते हैं। इसे आधा किलो के पैकेट में आसानी से छिपा लिया जाता।

कालीमिर्च, दालचीनी, बड़ी इलाइची, छोटी इलाइची, लौंग, पोस्तादाना, जावित्री और भारत से जीरा, धनिया, कबाब चीनी मसालों के पैकेट में सोने की छोटी-छोटी खेप छिपाकर बार्डर पार करवाई जाती है। बार्डर पर स्थानीय हैंडलर आसानी से इसे नेपाल बार्डर से पार कराकर भारत में भेज देते हैं।

यहां से अलग-अलग तरीकों से अवैध सोने को हिंदी बाजार के साथ ही जिले के अन्य बाजार में खपाया जाता है। इसके अलावा आसपास के जिलों में भेज दिया जाता है। जांच एजेंसियों को जानकारी मिली है कि इन दिनों तस्कर इसी मॉड्यूल पर काम कर रहे हैं।

विदेशी मसाले की भी हो रही तस्करी
अवैध सोने के साथ मसाले की तस्करी भी जमकर हो रही है। ये मसाले साहबगंज मंडी से लेकर शाहमारूफ और पांडेयहाता में खूब बिकते हैं। सूत्रों ने बताया कि मसाले की तस्करी की आड़ में कुछ अवैध सोने की भी खेप मंगाते हैं। इसे लेकर कोई खुल कर विरोध नहीं कर पाता है।

बेहद मुश्किल है पहचान पाना
विदेशी मसालों को भारतीय बाजार में आसानी से खपाने की एक सबसे बड़ी वजह यह भी है कि इनकी पहचान करना बेहद मुश्किल है। ये देखने में बिल्कुल उसी तरह हैं, जैसा कि भारत में है। सिर्फ पैकिंग में फर्क होने की वजह से आसानी से पकड़ में आ सकते हैं। नेपाल के सुदूर पहाड़ी इलाकों से मसाला लाकर सीमावर्ती जिलों में डंप किया जाता है।

कुछ मसाले ऐसे हैं जो नेपाल में नहीं होते हैं। उन्हें नेपाल के व्यापारी भारत में तस्करी करने के लिए ही नेपाल में आयात करते हैं। नेपाल में इन मसालों की कस्टम ड्यूटी भारत के मुकाबले बहुत कम है। इसका फायदा उठाते हुए तस्कर रोजाना करोड़ों का माल बार्डर से आसानी से पार करा रहे हैं, जो कि गोरखपुर सहित देश के तमाम महानगरों में जा रहा है।

ऐसे पार कराते हैं बार्डर

तस्करी के इस कारोबार से कई सफेदपोश भी जुड़े हैं। इन्होंने इस काम के लिए सैकड़ों कैरियर लगा रखे हैं। ये कैरियर भारत-नेपाल की खुली सीमा के 84 किलोमीटर की सीमा का फायदा उठाते हुए पगडंडियों के रास्ते पहले इन सामान को महेशपुर जैसे नेपाल के दूसरे बार्डर को पार कराते हैं। फिर सोनौली, कोल्हुई बाजार, ठूठीबारी, झुलनीपुर आदि इलाके से मंगवाते हैं। इसके बाद यहां से इन सामानों को गोरखपुर भेजा जाता है। जहां से इसकी देश भर में सप्लाई हो रही है।

कम दिनों में बड़े खिलाड़ी बने सराफा भी अब रडार पर
हिंदी बाजार के पंडित ने अपनी पूरी कमाई का नेटवर्क पिछले कुछ वर्षों में बनाया है। ये अवैध सोने के धंधे से ही बना है। ऐसे ही बाजार में पिछले पांच से सात वर्ष में बड़े व्यापारी बने धंधेबाजों को जांच टीम ने रडार पर लिया है। सूचना है कि पहले गलाई का काम करने वाले अब करोड़ों रुपये का व्यापार कर रहे हैं।

ऐसे सात सराफा व्यापारी हैं, जिनकी कुंडली एजेंसियों ने खंगाल कर रखी ली है। इनके आय-खर्च के स्रोतों के साथ रिश्तेदार और अन्य के नाम पर खरीदे गए कटरे, जमीन और अन्य चीजों का रिकार्ड भी एजेंसियों ने अपने पास सुरक्षित रखा है।

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