सफल समाचार
शेर मोहम्मद
देवरिया। राजस्व विभाग में बिना चढ़ावा कोई काम नहीं हो पा रहा है। इस बात की तस्दीक दो वर्षों के भीतर पांच राजस्व कर्मियों के घूस लेते रंगे हाथों पकड़े जाने से हो रही है। इससे विभाग की साख पर लगातार बट्टा लगा रहा है। जनपद में आय, जाति प्रमाणपत्र से लगायत खेत की नापी तक के लिए सुविधा शुल्क की वसूली की जा रही है। न देने पर काम नहीं होता है और फरियादी चक्कर लगाते रह जाते हैं। इनकी जड़ें इतनी गहरी हैं कि हर जगह मिलीभगत कर रिश्वत लेने की हिम्मत जुटा रहे हैं।
राजस्व हो या अन्य विभाग। हर जगह चढ़ावे का खेल धड़ल्ले से चल रहा है। अगर आसानी से काम कराना है तो इन कर्मचारियों को रुपये देने होंगे। रुपये न देने पर लोगों के काम इस कदर अटका देते हैं कि फरियादी दौड़ता ही रह जाता है। कागजों में हेरफेर भी कराना हो तो चढ़ावा मिल जाए तो कुछ भी कर देते हैं। यहां तक कि समाधान दिवस पर आए मामले भी जब आला अफसर इनको सौंपते हैं तो उसमें भी चढ़ावे की मांग करते हैं। न मिलने पर काम नहीं होता है, क्योंकि दो मामले ऐसे एंटी करप्शन ने पकड़े, जो समाधान दिवस पर आए थे और उनमें राजस्व कर्मियों ने रिश्वत की मांग की थी।
अगर रिश्वत लेते हुए पकड़े कर्मचारियों के पकड़े जाने की घटनाओं पर नजर डाली जाए तो 14 जून को भूमि की आख्या लगाने के नाम पर 25 हजार रुपये रिश्वत मांगने वाले राजस्व निरीक्षक जोखन प्रसाद को एंटी करप्शन की टीम ने सदर तहसील के पास से रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। इसी तरह 29 मार्च ट्रेजरी कार्यालय के लिपिक दिनेश उपाध्याय को एंटी करप्शन की टीम ने रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। अगस्त माह में खुखुंदू थाना क्षेत्र मरहवा गांव निवासी शत्रुध्न कुशवाहा ने एंटी करप्शन को शिकायत की थी कि खेत का नक्शा दुरुस्त कराने के नाम पर हल्का कानूनगो रिश्वत मांग रहे हैं। इस पर 20 अगस्त को तहसील दिवस पर भूमि का पत्थर दुरुस्त कराने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था। कार्रवाई की जिम्मेदारी हलका कानूनगो अशोक पांडेय को दी गई थी। इस पर टीम ने कानूनगो को घूस लेते रंगेहाथ पकड़ लिया था। इसी तरह बिजली निगम कार्यालय पर तैनात वरिष्ठ लिपिक उग्रसेन सिंह को एंटी करप्शन टीम ने घूस लेते पकड़ा था।
अभिलेखागार में भी जालसाजी का खेल
देवरिया। अभिलेखागार में कागजों में हेरफेर करने में भी कुछ राजस्व कर्मी काफी माहिर हैं। इसके कारण सदर कोतवाली में तीन केस दर्ज हो चुके हैं। अभी कुछ दिन पहले एसडीएम तमकुहीराज की जांच में यह बात सामने आई थी कि एक व्यक्ति की जमीन पर दूसरे का नाम चढ़ा दी गई थी। यहां तक कि 35 गांवों के नक्शे आज भी गायब हैं। इन गांवों में भूमि विवाद निपट नहीं पा रहा है। इतना ही नहीं करीब 280 गांवों के नक्शे फट चुके हैं।