लखनऊ के विवादों में घिरा पूर्व मंत्री: मधुमिता की बहन को कवयित्री मधुमिता शुक्ला की बोली- छह बार धमका चुका है शूटर

उत्तर प्रदेश गोरखपुर

सफल समाचार 
सुनीता राय 

 

लखनऊ के निशातगंज स्थित पेपर मिल कॉलोनी में 9 मई 2003 को कवयित्री मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हत्या हुई थी। सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक, मधुमिता पेपर मिल कॉलोनी में अकेली रहती थी। पूरे मामले में सीबीआई जांच के दौरान अमरमणि पर गवाहों को धमकाने के आरोप लगाए गए।

कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में सजायाफ्ता पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उसकी पत्नी मधुमणि एक बार फिर आरोपों में घिर गए हैं। मधुमिता की बहन निधि शुक्ला ने पूर्व मंत्री से जान का खतरा बताया है। उनका आरोप है कि उनके पास छह बार अलग-अलग नंबरों से शूटर संतोष राय के धमकी भरे फोन आ चुके हैं। निधि ने गोरखपुर पुलिस को डाक के जरिए लिखित शिकायत भेजकर जांच कर कार्रवाई की मांग की है।

वहीं, उन्होंने समय पूर्व रिहाई पर भी सवाल उठाते हुए सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन कर जवाब मांगा है। वर्तमान में रिहाई के बाद अमरमणि मेडिकल कॉलेज में है तो मधुमणि वहां से जा चुकी है।

जानकारी के मुताबिक, बहन निधि शुक्ला ने मधुमिता की हत्या करने वाले शूटर संतोष राय का जिक्र करते हुए कहा है कि 24 अगस्त को उन्हें छह बार धमकी भरा फोन आया है। निधि शुक्ला ने रजिस्ट्री से भेजे गए शिकायती पत्र में मधुमिता की हत्या करने वाले शूटर संतोष राय के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। निधि शुक्ला का दावा है कि शूटर संतोष राय अभी पेरोल पर जेल से बाहर है और पूर्व मंत्री के इशारे पर वह कुछ भी कर सकता है।

वहीं, फिलहाल गोरखपुर पुलिस इस पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। निधि शुक्ला ने बताया कि उन्होंने आरटीआई के तहत यूपी सरकार और राज्यपाल से अमरमणि और मधुमणि त्रिपाठी की रिहाई का आधार भी पूछा है। इतना ही नहीं, उन्होंने मेडिकल कॉलेज गोरखपुर से भी अमरमणि के मेडिकल रिपोर्ट के बारे में भी सवाल किया है।

यह है पूरा मामला

लखनऊ के निशातगंज स्थित पेपर मिल कॉलोनी में 9 मई 2003 को कवयित्री मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हत्या हुई थी। सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक, मधुमिता पेपर मिल कॉलोनी में अकेली रहती थी। पूरे मामले में सीबीआई जांच के दौरान अमरमणि पर गवाहों को धमकाने के आरोप लगाए गए तो मुकदमा देहरादून की फास्ट ट्रैक कोर्ट को ट्रांसफर कर दिया गया।

देहरादून फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 24 अक्तूबर, 2007 को अमरमणि, मधुमणि, भतीजे रोहित चतुर्वेदी, प्रकाश पांडेय और शूटर संतोष राय को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। फिर जुलाई 2012 में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने भी दोषियों को सीबीआई कोर्ट द्वारा सुनाई गई उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा। हालांकि, अमरमणि और उसकी पत्नी मधुमणि करीब 20 साल सजा काटने के बाद 25 अगस्त को शासन के निर्देश पर समय से पहले ही जेल से रिहा कर दिए गए।

 

समय से पहले रिहाई के लिए शूटर संतोष ने भी सुप्रीम कोर्ट में दी है अर्जी

अमरमणि, मधुमिता की समय पूर्व रिहाई के बाद अब शूटर संतोष राय ने भी समय से पहले रिहाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है। संतोष ने भी अमरमणि त्रिपाठी और मधुमणि त्रिपाठी के मामले का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है कि वह सरकार को उसकी रिहाई पर फैसला करने का निर्देश दे। साथ ही यह भी मांग की है कि जब तक उसकी दया याचिका पर फैसला ना हो, तब तक अंतरिम जमानत दी जाए।

हालांकि, अभी संतोष की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से पहले यूपी सरकार और उत्तराखंड सरकार से जवाब मांगा है। संतोष ने अपने वकील हर्षवर्धन विशेन की ओर से दाखिल याचिका में कहा है कि उसने केंद्र, यूपी और उतराखंड सरकार को समय से पहले रिहाई की अर्जी दाखिल की है और अब तक उस पर फैसला नहीं किया गया है।

उसने बताया है कि वह 27 मार्च 2023 को छूट के साथ 18 साल 1 महीने 14 दिन की कुल अवधि के लिए और छूट के साथ 21 साल 10 महीने 15 दिन की अवधि के लिए जेल में बंद है। याचिकाकर्ता छूट और समय पूर्व रिहाई के लिए विचार किए जाने का पात्र है। अदालत सरकार को मामले पर विचार करने का निर्देश दे।

हर्षवर्धन विशेन ने दलील दी है कि सह-अभियुक्त मधुमणि त्रिपाठी और अमरमणि त्रिपाठी की याचिका पर भी सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को उनके द्वारा समय पूर्व रिहाई के लिए दायर आवेदन पर विचार करने का निर्देश दिया था। इसी तरह सुप्रीम कोर्ट उसके मामले पर भी तुरंत फैसला करने को कहे, तब तक उसे अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाए।

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